क्षेत्रीय दलों ने दोनों प्रमुख… दलों को किया हलाकान

  • पहले चरण की चार सीटों का मामला
  • गौरव चौहान
क्षेत्रीय दलों

प्रदेश में पहले चरण के तहत जिन छह सीटों के लिए मतदान होना हैं, उनमें से चार सीटों पर क्षेत्रीय दलों ने दोनों प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस के रणनीतिकारों को हलाकान कर रखा है। इसकी वजह है कि इन दलों द्वारा कई बार बेहद चौकाने वाली उपस्थिति दर्ज कराई है। प्रदेश में पहले चरण में मतदान होने में अब महज एक पखवाड़े का ही समय रह गया है। इस चरण के लिए मतदान 19 अप्रैल को होना है। जिन सीटों पर दोनों दलों के सामने तीसरे दलों की चुनौती बनी हुई है , उसमें पहले चरण की छिंदवाड़ा, मंडला, सीधी और बालाघाट शामिल है। माना जा रहा है कि इन सीटों पर अगर तीसरे दलों ने जरा से भी अधिक ताकत दिखा दी तो हारजीत का गणित गड़बड़ा जाएगा। यह वे सीटें हैं, जहां पर बीते चुनाव में भी तीसरी ताकत अपना प्रभाव दिखा चुकी है। हालांकि तब फायदा भाजपा को मिला था। इसकी वजह रही थी प्रदेश में मोदी की लहर होना। छिंदवाड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ का मुकाबला भाजपा के बंटी साहू से हो रहा है। यह ऐसी सीट है जहां पर मोदी की सुनामी भी नाकाम साबित हुई थी। इस सीट को व्यतिगत कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। उपचुनाव में जिस तरह से उनके पुत्र नकुलनाथ को बेहद कम अंतर से जीत मिली थी, उससे नाथ परिवार भी इस बार बेहद अधिक मेहनत कर रहा है। बीते 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नत्थन शाह कवरेती की हार में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी ने अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल कवरेती आदिवासी समाज से आते हैं तो गोंडवाना पार्टी के प्रत्याशी मनमोहन शाह बट्टी भी इसी वर्ग से आते हैं, उनकी वजह से ही 37 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी गोंगपा ने  देवीराम भलावी को प्रत्याशी बनाया है। भलावी अमरवाड़ा से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। भलावी को विस चुनाव में 18 हजार से अधिक मत मिले थे। यह  क्षेत्र गोंगपा का प्रभाव वाला है। ऐसे में भलावी इस बार किसे नुकसान पहुंचाएंगे, इसके गुणा-भाग में भाजपा और कांग्रेस दोनों उलझे हुए हैं।
मंडला…
भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते पर फिर से तब दांव लगाया है, जबकि वे तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। अब वे फिर दम- खम से मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और विधायक ओंकार सिंह मरकाम को उतारा है। आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर गोंगपा ने महेश कुमार बट्टी को टिकट दिया है। महेश बट्टी आदिवासी समाज का जाना पहचाना चेहरा है। वे गोंडी साहित्यकार हैं और शंकर शाह, रघुनाथ शाह के चरित्र पर बनी लघु फिल्मों में काम भी कर चुके हैं। सरकारी नौकरी छोडक़र राजनीति में आए महेश ने मुकाबले को त्रिकोणीय कर दिया है। विधानसभा चुनावों में इस लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों में से पांच पर कांग्रेस ने विजय हासिल की थी। विस चुनाव में गोगापा को आदिवासी बाहुल्य पांच विधानसभा सीटों पर करीब सवा लाख मत मिले थे।
सीधी…
भाजपा ने यहां से डॉक्टर राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। इस सीट से दो बार सांसद रही रीति पाठक अब विधायक हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल से है। पटेल तीन माह पहले सिंहावल से विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। इस लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों में से सात पर भाजपा के विधायक हैं। यहां पर भाजपा के ही पूर्व राज्यसभा सदस्य अजय सिंह बागी होकर गोंगापा से मैदान में उतर गए हैं। उनकी वजह भाजपा के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। इस सीट पर 32 फीसदी आदिवासी मतदाता है, इसके साथ ही 11 प्रतिशत दलित है। ओबीसी पटेल की भी संख्या खासी है, इसके बाद ठाकुर मतदाता है। अजय प्रताप ठाकुर और आदिवासी मतों के सहारे ही चुनाव मैदान में उतरे है। उनको मिलने वाले मत भाजपा का ही नुकसान करेंगे।
बालाघाट…
इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद की जगह भारती पारधी पर दांव लगाया है। भारती अभी पार्षद हैं। वे पिछड़ा वर्ग, बिसेन समाज से आती है। वहीं कांग्रेस ने सम्राट सरस्वार को टिकट दिया है। सम्राट राजपूत वर्ग से आते हैं। दोनों ही प्रत्याशी यहां से पहली बार चुनाव लड़ रहे है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरकर कंकर मुंजारे ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। मुंजारे पूर्व में भी एक बार सांसद और दो बार विधायक रह चुके है। उनकी पत्नी अनुभा मुंजारे कांग्रेस से विधायक हैं। मुंजारे  पिछली बार भी बसपा से चुनाव लड़े थे। उन्होंने पिछली बार 85 हजार 177 मत हासिल किए थे। इससे भाजपा को फायदा तो कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था।

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