दो दशक बाद भी पूरी नहीं हो पायी आरक्षित वर्ग के पदों पर भर्ती

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर बीते दो दशक से अधिक समय पहले शुरू किया गया आरक्षित पदों की भर्ती का विशेष अभियान अब तक पूरा नहीं हो पाया है। इसकी वजह अब भी दर्जनों पद रिक्त पड़े हुए हैं। इन पदों का काम प्रभारी से चलाया जा रहा है। दरअसल प्रदेश में आरक्षित वर्ग के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए करीब 22 साल पहले विशेष भर्ती अभियान शुरू किया गया था। इसके तहत अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सुरक्षित रिक्त पदों को भरा जाना था। हालत यह है कि इन रिक्त पदों की भर्ती के लिए जारी अभियान में हर साल जून में सरकार एक वर्ष के लिए वृद्धि कर देती है। इसके बाद फिर से मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। उधर, अब अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण अब 13 प्रतिशत पद और रोक लिए हैं। मध्य प्रदेश में रिक्त पदों को भरने के लिए शिवराज सरकार ने पहल की थी। एक लाख रिक्त पदों को भरने के लिए अभियान चलाया। 60 हजार से अधिक पद भरे जा चुके हैं और कई के लिए प्रक्रिया जारी है। ऐसे में 22 हजार से अधिक बैकलाग के पद रिक्त बने हुए  हैं। नियमानुसार बैकलॉग के पदों को दूसरे वर्ग से भरा भी नहीं जा सकता है, इसलिए वे पद रिक्त ही बने रहते हैं। यही वजह है कि हर साल इन पदों की भर्ती के लिए अवधि बढ़ानी पड़ जाती है। यह स्थिति तब है जब रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगार 35 लाख से अधिक हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रवक्ता विजय श्रवण का कहना है कि यह कैसे संभव है कि बेरोजगारी होने के बावजूद रिक्त पदों के लिए योग्य युवा नहीं मिल रहे हैं। यह बात गले नहीं उतरती है क्योंकि हमारे जानने-पहचानने वालों में ही कई योग्य लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। जब भी कर्मचारी चयन मंडल द्वारा तृतीय या चतुर्थ श्रेणी के पद विज्ञापित किए जाते हैं तो लाखों की संख्या में आवेदन आते हैं। ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि योग्य व्यक्ति नहीं मिल रहे हैं। इसकी तो पड़ताल होनी चाहिए कि आखिर विशेष भर्ती अभियान चलाए जाने के बाद भी बैकलाग भरा क्यों नहीं जा रहा है।
2002 में शुरु किया था अभियान
प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति के बैकलाग पदों को भरने के लिए अगस्त 2002 में विशेष भर्ती अभियान चलाने का निर्णय लिया गया था। तब से ही इसकी अवधि प्रति वर्ष बढ़ाई जाती रही है। शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में बैकलाग की स्थिति को समाप्त करने के लिए सभी विभागों को रिक्त पदों पर भर्ती करने के निर्देश दिए थे। तब लगभग 18 हजार पद चिह्नित हुए थे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पात्रता अनुसार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी नहीं मिलने की वजह से पद रिक्त रह जाते हैं। इन्हें अनारक्षित वर्ग से भी भरा नहीं जा सकता है। इसी तरह से प्रदेश में शिवराज सरकार बनने के बाद 2005 में पिछड़ा वर्ग को विशेष भर्ती अभियान में शामिल करने का निर्णय लिया था। इसके पहले पिछड़ा वर्ग के पद बैकलाग में नहीं आते थे। इस वर्ग के लिए आरक्षित जो पद खाली रह जाते थे, उन्हें अनारक्षित घोषित करके भरा जाता था।
इनका कहना है
मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि पहले यह स्थिति अवश्य थी कि योग्य व्यक्ति नहीं मिलते थे लेकिन आज परिस्थितियां बदली हैं। शिक्षा का विस्तार हुआ पर नौकरियां नहीं मिलने के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता है। तकनीकी पद हों तो यह माना जा सकता है कि उस क्षमता के व्यक्ति पर्याप्त उपलब्ध न हों पर अन्य संवर्ग, जिनमें सामान्य शैक्षणिक योग्यता लगती है, वैसा मानव संसाधन तो भरपूर उपलब्ध है, इसलिए विशेष भर्ती अभियान की गहन समीक्षा कर यह पता लगाना चाहिए कि आखिर प्रतिवर्ष अभियान की अवधि बढ़ाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है।

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