- रावत को करना होगा अब इंतजार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा चुनाव के बाद से प्रदेश मंत्रिमंडल के पुर्नगठन को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर अब विराम लग गया है। दरअसल पार्टी हाइकमान ने तय किया है कि अब प्रदेश में सरकार स्तर पर होने वाले बदलावों को अगले साल चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद किया जाएगा। इनमें से दो राज्यों के चुनाव जहां इसी साल नवंबर में होने हैं, तो एक राज्य में जनवरी में। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में भी इसी साल चुनाव कराए जाने की तैयारी है। दरअसल हाल ही में सत्ता और संगठन के नेताओं का इस मामले को लेकर पार्टी हाईकमान से साथ विचार-मंथन हुआ है, जिसमें इस तरह का निर्णय किया गया है।
प्रदेश मंत्रिमंडल में अभी कुल 28 मंत्री हैं, जबकि मुख्यमंत्री सहित कुल 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसके हिसाब से अब भी मंत्रिमंडल में अब भी छह सदस्यों को शामिल किए जाने की गुंजाइश बनी हुई है।
दरअसल, प्रदेश में चुनाव हुए अभी महज छह माह ही हुए हैं, मंत्रिमंडल गठित होने के बाद लोकसभा चुनाव आ गए जिसकी वजह से मंत्रियों को काम करने का मौका ही नहीं मिल सका है। वे जब तक विभाग का कामकाज समझते जब तक लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई थी। दरअसल पार्टी हाईकमान उन मंत्रियों से नाराज है, जहां पर लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की तुलना में कम मत मिले हैं।
उधर, मंत्रिमंडल विस्तार या फिर पुर्नगठन को लेकर चर्चाओं में आयी तेजी की वजह थी, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत का भाजपा में शामिल होना। उनके शामिल होने के बाद से ही माना जा रहा है कि वे मंत्रिमंडल में शामिल होने की शर्त पर ही आए हैं। इसके अलावा पार्टी के कई ऐसे विधायक हैं , जिनकी दावेदारी पूर्व की शिवराज सरकार में भी बनी हुई थी, लेकिन तब भी उन्हें मौका नहीं मिल पाया था। वे इस बार भी दावेदार बने हुए हैं।
इसके अलावा माना जा रहा है कि अगर जरूरी हुआ तो कुछ सीनियर नेताओं को निगम मंडल में अध्यक्ष बनाकर मंत्री पद दिया जा सकता है। गौरतलब है कि डॉक्टर मोहन यादव मंत्रिमंडल में फिलवक्त कुल 30 मंत्री हैं। इनमें 18 कैबिनेट, 6 स्वतंत्र प्रभार और 4 राज्यमंत्री हैं। माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद परफार्मेंस के आधार पर दो से तीन मंत्रियों को हटाकर उनकी जगह नए चेहरों को शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा तीन नए चेहरे भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाएंगे। इसमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए विधायक रामनिवास रावत का भी नाम था। इसके अलावा विंध्य और मालवा का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर भी गंभीरता से विचार हो रहा था। सूत्रों की मानें तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि आचार संहिता के चलते मंत्रियों को अभी काम करने का पर्याप्त मौका ही नहीं मिला है, लिहाजा उनके परफार्मेन्स का इतनी जल्दी आंकलन नहीं हो सकता। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व आने वाले समय में चार राज्यों झारखंड, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी में व्यस्त है। लिहाजा उसने इस मामले को फिलवक्त टालने का फैसला किया है। अलबत्ता आयोगों में नियुक्तियों जरूर जल्दी की जा सकती है। इन आयोगों में लंबे समय से पद रिक्त पड़े हैं।
इनके लिए संगठन नेताओं ने सूची भी तैयार कर ली है। केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी मिलने के बाद इसे जारी कर दिया जाएगा। हालांकि निगम मंडलों में नियुक्ति अभी टल सकती है। केवल दो से तीन नेताओं को ही अभी मौका दिया जाएगा। इसमें कांग्रेस से भाजपा में आए नेता भी शामिल हैं।