बागी बिगाड़ेंगे खेल!

  • भाजपा और कांग्रेस के कई नेता अपनों के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव
  • विनोद उपाध्याय
बागी

मप्र में एक बार फिर बागी नेता भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत बनने वाले हैं। कई विधानसभा क्षेत्र में तो यह बागी नतीजे को भी पलटने की ताकत रखते हैं। यही कारण है कि दोनों राजनीतिक दलों के लिए बगियों को साधना बड़ी चुनौती बनती जा रही है। राज्य की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को एक चरण में मतदान होना है। राज्य में सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। दोनों ही राजनीतिक दलों को उम्मीदवार के चयन में भारी मशक्कत के दौर से गुजरना पड़ रहा है। टिकट मिलने और काटने से कई इलाकों में असंतोष भी उभर रहा है और नाराज नेता पार्टियां छोडक़र दूसरे दल का दामन थामने में लगे हैं। भाजपा ने जहां कई बागी कांग्रेसियों को टिकट दिया है तो, कांग्रेस ने भाजपा के बागियों को। वहीं दोनों पार्टियों के कई बागी दूसरी पार्टियों या फिर निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी कर चुके हैं।
कांग्रेस अब तक 229 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है और इसके बाद लगभग दो दर्जन स्थानों से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही है। इसी का नतीजा रहा है कि पार्टी को तीन स्थान दतिया, पिछोर व गोटेगांव से अपने उम्मीदवारों को बदलना तक पड़ गया। बगावती नेताओं के समर्थक विधानसभा क्षेत्र से लेकर भोपाल तक अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। बड़ी संख्या में पदाधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है और कई ने तो पार्टी तक छोड़ दी है। भाजपा ने भी जिन उम्मीदवारों के टिकट काटे हैं और दलबदलुओं को उम्मीदवार बनाया है , उसको लेकर कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। पार्टी से कई नेताओं ने इस्तीफा भी दिया और वर्तमान के दो विधायक शिवपुरी के कोलारस से वीरेंद्र रघुवंशी और मैहर के नारायण त्रिपाठी ने तो पार्टी को ही अलविदा कह दिया। ये दोनों ऐसे विधायक हैं, जिन्हें कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद थी, मगर निराशा हाथ लगी। दोनों ही राजनीतिक दल बढ़ते असंतोष से चिंतित हैं और उन्होंने नाराज नेताओं को बनाने की जिम्मेदारी अपने-अपने दल के वरिष्ठ नेताओं को सौंपी है। वे नाराज नेताओं को भरेासा दिला रहे हैं कि राज्य में पार्टी की सरकार बनने पर उन्हें महत्व दिया जाएगा, साथ ही कई नेताओं को तो संगठन में समायोजित किया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के इस बार के चुनाव कांटे के मुकाबले के हैं। सरकार किसी भी दल की बन सकती है और यही कारण है कि तमाम दावेदार चुनाव मैदान में उतरकर अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि राजनेताओं को लगता है कि अगर वह चुनाव जीत जाते हैं ,तो उनकी किस्मत बदल जाएगी। पूर्व की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के बागी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इसमें भाजपा के कई बागियों को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी को खातेगांव से मैदान में उतारा गया है। भाजपा के पूर्व सांसद बोध सिंह भगत को कटंगी से टिकट मिला है। इसी महीने भाजपा से आए रामकिशोर शुक्ला को महू से उम्मीदवार बनाया गया है। दो दिन पहले भाजपा छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक अभय मिश्रा को सेमरिया से उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, पूर्व विधायक गिरजा शंकर शर्मा को होशंगाबाद से टिकट मिला है। निवाड़ी से कांग्रेस ने भाजपा के जिला उपाध्यक्ष अमित राय को उम्मीदवार बनाया है। राय ने तब तक कांग्रेस की सदस्यता भी नहीं ली थी। भाजपा के दिग्गज नेता भंवर सिंह शेखावत ने सितम्बर में इस्तीफा दिया था। उनका कहना था, इस बार निर्दलीय लडऩा पड़े तब भी बदनावर से चुनाव लडुंगा। अब कांग्रेस ने उनको बदनावर से उम्मीदवार बनाया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में गए समंदर पटेल अगस्त में ही कांग्रेस वापस लौटे थे। उन्हें जावद से टिकट दिया गया है।
भाजपा में निर्दलीय चुनाव लडऩे को तैयार बागी
भाजपा के कई महत्वपूर्ण नेता बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने  की घोषणा कर चुके हैं। इसमें से सीधी के सीटिंग विधायक केदार शुक्ला शामिल हैं। भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया, अब वे निर्दलीय चुनाव में उतरने की तैयारी मे हैं। सतना से रत्नाकर चतुर्वेदी ने विरोध में चुनाव लडऩे की घोषणा की है। भाजपा के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी नई पार्टी बनाकर चुनाव में उतरने जा रहे हैं। चाचौड़ा सीट से पूर्व विधायक ममता मीणा ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले ली। अब वे आप की उम्मीदवार हैं। मुरैना में भाजपा के विधायक रहे रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह ने बसपा की सदस्यता ले ली। उनको भी टिकट मिल सकता है।
कांग्रेस में भी भारी विरोध कई नेता हुए बागी
पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस में विरोध की आंच तेज होती जा रही है। पार्टी कार्यकर्ता अपने नेताओं के लिए जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस से सुमावली विधायक अजब सिंह कुशवाह तो पार्टी से इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए हैं। बसपा ने उन्हें टिकट देने का वादा किया है। बड़नगर विधायक मुरली मोरवाल निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। महू से कांग्रेस नेता अंतर सिंह दरबार भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। आलोट से पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डू निर्दलीय लड़ने जा रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर जीते बड़वाह विधायक सचिन बिड़ला इस बार भाजपा से उम्मीदवार हैं। 2018 में कांग्रेस से बागी होकर जीते वारासिवनी के प्रदीप जायसवाल को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। ग्वालियर दक्षिण से केदार कंसाना निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। कालापीपल से चतुर्भुज तोमर टिकट नहीं मिलने से आप के साथ चले गए हैं। बिजावर से टिकट नहीं मिलने पर राजेश शर्मा भी इस्तीफा दे चुके हैं।
भाजपा के बागी
इस बार के चुनाव में अब तक भाजपा के जिन नेताओं ने बगावत की है, उनमें पूर्व मंत्री दीपक जोशी खातेगांव से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। वहीं बोध सिंह भगत को कांग्रेस ने कटंगी, गिरजा शंकर शर्मा को होशंगाबाद से, भंवर सिंह शेखावत को बदनावर से, अभय मिश्रा को सेमरिया से, रामकिशोर शुक्ला को महू से, अमित राय को निवाड़ी से, समंदर पटेल  को जावद से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं केदार शुक्ला, निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। नारायण त्रिपाठी ने अलग पार्टी बना ली है और मैहर सहित पूरे विंध्य में अपने प्रत्याशी उतारेंगे। रत्नाकर चतुर्वेदी सतना से गणेश सिंह के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। ममता मीणा आप से लड़ेंगी, वहीं राकेश सिंह बसपा से चुनाव लड़ेंगे। ये सभी भाजपा के प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाएंगे।
कांग्रेस के बागी
कांग्रेस के कई नेताओं ने या तो दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया है या निर्दलीय चुनाव लडऩे को तैयार हैं। अजब सिंह कुशवाह बसपा से चुनाव लड़ेंगे। वहीं मुरली मोरवाल, अंतर सिंह दरबार, प्रेमचंद गुड्डू, केदार कंसाना निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वहीं  सचिन बिड़ला को बड़वाह से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। प्रदीप जायसवाल को कांग्रेस ने भाव नहीं दिया तो, बारासिवनी से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं चतुर्भुज तोमर, राजेश शर्मा, शारदा खटीक और कविता पांडेय की बगावत पार्टी प्रत्याशियों को  नुकसान पहुंचाएगी।
आप में सबका स्वागत
उधर, आम आदमी पार्टी में भाजपा और कांग्रेस के बागियों का स्वागत है। आप ने हाल ही में कांग्रेस के पूर्व विधायक रामपाल सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। एक दिन पहले ही वह आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे और भाजपा नेता सुधीर यादव को भी आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया है। वह बंडा विधानसभा क्षेत्र से अपना भाग्य, आम आदमी पार्टी की टिकट पर आजमाने जा रहे हैं। भाजपा के नेता मुकेश जैन ढाना को भी सागर से टिकट दिया गया है। वहीं जावरा से भगवती धाकड़ ,गोहद से यशवंत पटवारी, ग्वालियर ग्रामीण से सुमित पाल ग्वालियर दक्षिण से पंकज गुप्ता, ग्वालियर से रोहित गुप्ता को आप का उम्मीदवार बनाया गया है। नरियावली से अरविंद तोमर जतारा से अनीता प्रभु दयाल खटीक, पृथ्वीपुर से उमा कुशवाह ,खरगापुर से प्यारेलाल सोनी, राजनगर से राजू पाल, मैहर से बैजनाथ कुशवाहा, रामपुर बघेलान से शशि दीपक सिंह बघेल, देवघर से महर्षि सिंह , गुढ से प्रखर प्रताप सिंह ,  चितरंगी से महादेव सिंह , मुड़वारा से सुनील मिश्रा  जबलपुर कैंट से राजेश कुमार वर्मा  शाहपुरा से अमर सिंह मार्को  हेमंत शर्मा कालापीपल से चतुर्भुज तोमर पानसेमल से दयाराम डाबर मनावर से लाल सिंह इंदौर 5 से  विनोद त्यागी और उज्जैन उत्तर से विवेक यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है।

Related Articles