कई नेताओं ने दल को किया अलविदा, तो कई निर्दलीय उतरने की तैयारी में
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस व भाजपा द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा किए जाने के बाद जो विद्रोह की स्थिति बनी है, वह दोनों ही दलों की नींद हराम किए हुए हैं। हालत यह है कि एक को शांत कराने के प्रयास किए जाते हैं, तो कई और विद्रोह की स्थिति में आ जाते हैं। ऐसे में दोनों ही दलों के बड़े नेता अपने स्तर पर इस असंतोष को शांत कराने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इसके बाद भी दावेदार नामांकन फार्म लेने और भरने तक में पीछे नहीं रह रहे हैं। कई सीटों पर तो यह हालात हैं कि दावेदार मौजूदा पार्टी के प्रत्याशी को हराने के लिए ही चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं, तो वहीं कई दावेदार दलबदल कर बसपा, सपा व आप जैसे दलों के टिकट पर ताल ठोकने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। यह वे बागी नेता हैं, जिनका अपना प्रभाव है, जिसकी वजह से पार्टी प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ना तय मानी जा रही है। इसकी वजह से कई सीटों पर तो दोनों दलों में खुली बगावत देखी जा सकती है। यही वजह है कि क्षेत्रों से लेकर भोपाल तक विरोध, प्रदर्शन और हंगामे की स्थिति बनी हुई है। भाजपा और कांग्रेस द्वारा बागियों को मनाने के लिए पूरी ताकत झोंकने के बाद भी सफलता मिलती नहीं दिख रही है। प्रदेश में शायद यह पहला मौका है जब विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के बाद भाजपा और कांग्रेस में इतनी बड़ी बगावत दिख रही है। टिकट नहीं मिलने से नाराज कई दिग्गज नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। इनमें से अधिकांश ने निर्दलीय और दूसरी पार्टियों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। नामांकन वापसी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, पार्टियों की पेशानी पर बल बढ़ता ही जा रहा है। बागियों को मनाने के लिए दोनों ही दलों ने वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतार दिया है। भाजपा में सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से लेकर अन्य वरिष्ठ नेता रूठे नेताओं को मनाने में जुटे हैं। वहीं, कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से लेकर अन्य दिग्गज नेता बागियों को साधने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। कांग्रेस द्वारा सरकार बनने पर निगम, मंडल में एडजस्ट कर मंत्री, राज्य मंत्री का दर्जा देने का आश्वासन दिया जा रहा है। कुछ को संगठन में पद दिए जा रहे हैं। इसका असर भी कांग्रेस में कुछ हद तक होता दिख रहा है। इसके उलट भाजपा नेता इस तरह के आश्वासनों पर भरोसा करने को तैयार नही है। इसकी वजह है सरकार द्वारा कार्यकर्ताओं की मांग के बाद भी लगातार उपेक्षा की जाना। मौजूदा व पुरानी भाजपा की सरकारों में कार्यकर्ताओं व नेताओं की जगह अफसरों को सेवानिवृत्ति के बाद ही सत्ता में भागीदारी को तवज्जो दी जाती रही है।
भाजपा में भी हालात नहीं सुधरे
भिंड से विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। वे पिछला चुनाव बसपा से जीते थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने भिंड सीट से नरेन्द्र सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है। इससे संजीव सिंह पार्टी से नाराज हैं। इसी तरह से पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्व. नंदकुमार चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह ने बुरहानपुर से निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। उधर, पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है, उनके बेटे राकेश सिंह मुरैना से बसपा प्रत्याशी हैं। चंदला से भाजपा विधायक राजेश प्रजापति का टिकट कट गया है। इससे नाराज उनके पिता पूर्व विधायक आरडी प्रजापति ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसी तरह से निवाड़ी सीट पर सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री नंदराम कुशवाहा के अलावा पार्टी के कई नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। लगभग यही स्थिति टीकमगढ़ सीट पर भी बनी हुई है। उधर, पूर्व भाजपा विधायक जमना सिंह सोलंकी खरगोन की भगवानपुरा सीट से, विधायक पंचूलाल प्रजापति मनगवां से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।
कांग्रेस में इस तरह के हैं हालात
मल्हारगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी परशुराम सिसोदिया के विरोध में दावेदार श्यामलाल जोकचंद के समर्थकों ने पीसीसी पर जमकर नारेबाजी की। श्यामलाल को सर्वे में 88 प्रतिशत नंबर मिले थे, लेकिन पार्टी द्वारा उनकी जगह पिछला चुनाव हारे सिसोदिया को टिकट दे दिया गया। अब श्यामलाल जोकचंद निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। इसी तरह से छतरपुर की बिजावर सीट से चरण सिंह यादव को टिकट देने के विरोध में भुवन विक्रम सिंह के समर्थकों ने भी पीसीसी में हंगामा किया। उन्होंने उप्र का प्रत्याशी नहीं चलेगा, बालू माफिया नहीं चलेगा के नारे लगाए। हंगामा इतना बढ़ा की कार्यालय के दरवाजे तक बंद कराना पड़े। यही नहीं प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की गाड़ी तक घेर ली गई। इस दौरान सुरजेवाला काफी देर बाद दूसरी गाड़ी से रवाना हो सके। पार्टी नेताओं द्वारा दिए जा रहे आश्वासन से बागियों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वे सिर्फ टिकट बदलने की स्थिति में ही मानने को तैयार हैं। यदि पार्टियां डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाईं, तो इसका नुकसान होना तय है। टिकट कटने से नाराज पूर्व कांग्रेस विधायक यादवेंद्र सिंह नागौद से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। शुजालपुर से कांग्रेस से टिकट के दावेदार योगेंद्र सिंह बंटी बना निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। पूर्व कांग्रेस विधायक ओम रघुवंशी सिवनी मालवा सीट पर और खरगापुर सीट पर अजय यादव निर्दलीय चुनाव लडऩे जा रहे हैं। हद तो यह है कि भोपाल की हुजूर सीट से कांग्रेस नेता पूर्व विधायक जीतेंद्र डागा, बैरसिया से राम मेहर और भोपाल उत्तर से नासिर इस्लाम भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।