फर्जी खरीदी में भुगतान असली

सरकार

सतना के बाहर… किसी केंद्र की नहीं हुई जांच…

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सतना जिले में सरकार द्वारा बनाए गए खरीदी केंद्र से 96 लाख रुपए के फर्जी गेहूं खरीदी और भुगतान ने पूरी खरीदी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस गठजोड़ में शामिल ट्रांसपोर्टर, बिचौलिए, अफसर और कर्मचारियों की मिलीभगत से गेहूं खरीदे बिना ट्रकों से परिवहन बताकर उसे रेलवे रैक पर उतारना बता दिया गया और किसानों को पेमेंट भी कर दिया गया। राज्य शासन ने इस मामले के संज्ञान में आने के बाद सतना जिले में पदस्थ नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक अमित गौड़ सहित दर्जनों लोगों पर कार्रवाई की गई है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि फर्जी खरीदी में असली भुगतान का बड़ा मामला सामने आने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में गेहूं खरीदी केंद्रों की जांच ही नहीं करवाई गई है।
गौरतलब है की प्रदेश में हर साल गेहूं खरीदी में भ्रष्टाचार सामने आता है। इस बार जब सतना में घोटाला सामने आया तो लगा था की पूरे प्रदेश में जांच अभियान चलेगा। लेकिन खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग व नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने अपनी सुस्त कार्यप्रणाली का एक और उदाहरण दिया है। इधर साइबर मामलों के जानकारों का कहना है कि जब खरीदी केंद्र पर ऑनलाइन धोखाधड़ी कर हवा में 13 ट्रक गेहूं की खरीदी व परिवहन किया जा सकता है, तो दूसरे केंद्रों पर ऐसी ऑनलाइन धोखाधड़ी न हुई हो, यह मान लेना ठीक नहीं है। इसलिए इनमें से कुछ केंद्रों पर कम से कम रेंडम जांच की जानी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।  सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा का कहना है कि  गेंहू केंद्र पर खरीदी व फर्जी परिवहन से जुड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद सतना के कई केंद्रों और गोदामों में भौतिक सत्यापन कराया जा चुका है। अब तक कोई गड़बड़ी नहीं मिली। आगे कार्रवाई जारी रहेगी।
3152 केंद्रों की जांच नहीं
दरअसल सरकारी गेहूं खरीदी पर घोटाले का दाग लग गया, फिर भी सतना के 128 केंद्रों को छोड़ कर प्रदेश के बचे 3152 में से एक भी केंद्र पर खरीदी की रेंडम जांच नहीं हुई। यह स्थिति तब है, जब सतना के गेंहू  खरीदी केंद्र पर 93 लाख रुपए का गेहूं खरीदी घोटाला सामने आ चुका है। फूड विभाग के अफसरों पर खरीदी की जिम्मेदारी होती है, तो नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड खरीदी की नोडल एजेंसी है। अब दोनों के जिम्मेदारों ने कहा कि सतना मामले की जांच कर संबंधितों पर एफआइआर करा दी गई है। साथ ही बाकी के केंद्रों को क्लीनचिट दे दी। 50 प्रतिशत भी नहीं पहुंची खरीदी प्रदेश में गेहूं खरीदी लक्ष्य के 50 फीसदी भी नहीं पहुंची है। 26 मई तक 48 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया, जबकि लक्ष्य 100 का है। अब तक सरकार तारीख 2 बार बढ़ा चुकी है। अब जून में भी खरीदी की तैयारी कर रही है।
ऐसे हुआ परत दर परत फर्जीवाड़ा…
जयमाल समूह खरीदी केंद्र के प्रबंधक और आपरेटर की आईडी पासवर्ड का उपयोग कर गेहूं खरीदी की गई और उसे उपार्जन पोर्टल पर फीड किया गया। नागरिक आपूर्ति निगम सतना के प्रबंधक व आपरेटर की आईडी पासवर्ड से यह गेहूं ट्रांसपोर्ट के लिए मंजूर किया गया। ट्रांसपोर्टर ने पोर्टल में खरीदी केंद्र भेजे जाने वाले ट्रकों के नंबर की एंट्री अपनी आईडी पासवर्ड के जरिए की और ट्रकों को भेजना दिखा दिया, जबकि वास्तव में कोई ट्रक रवाना ही नहीं हुआ। ट्रकों के खरीदी केंद्र पहुंचे बिना ही खरीदी केंद्र प्रबंधक व आपरेटर की आईडी से इन ट्रकों में गेहूं लोड करना बताया गया और ट्रकों को लखनवाह वेयर हाउसिंग के लिए रवाना होना बताया गया। इस बीच डीएम नान कार्यालय के जरिए निर्देश जारी किए गए कि ट्रकों को गोदाम न ले जाकर रेलवे रैक प्वाइंट पर लाएं। नियमानुसार ट्रकों के रवाना होने के बाद स्थल डायवर्शन सिर्फ डीएम नान गोदाम भर जाने, भेजा गया गेहूं नान एफएक्यू होने या रेलवे में रैक आने पर कर सकते हैं। ये स्थितियां न होने के बाद भी डीएम नान द्वारा बिल्टी को डायवर्ट कर गोदाम से रेलवे रैक प्वाइंट आने को कहा गया। रेलवे रैक प्वाइंट आने के पहले धर्म कांटे में तौल होना जरूरी है, लेकिन बिना धर्म कांटे में तौल के इनका वजन दिखाया गया। रेलवे रैक प्वाइंट पर ट्रकों के पहुंचे बिना ही नान के संबंधित सर्वेयर की आईडी पासवर्ड से गेहूं को अनलोड करना बता दिया गया। रैक प्वाइंट पर उतरने वाले गेहूं की स्वीकृति के बाद जस्ट इन टाइम सिस्टम से भुगतान की स्वीकृति डीएम नान के आईडी पासवर्ड से कर दी गई और राशि किसानों के खाते में पहुंच गई।
खाद्य, राजस्व अफसरों की भी मिलीभगत
जिन किसानों के खाते में गेहूं बेचने के नाम पर भुगतान कर पैसे भेजे गए हैं, वे सभी इस गिरोह से जुड़े अफसरों से मिलीभगत में शामिल हैं। इस पूरे मामले में खाद्य और नागरिक आपूर्ति के अफसरों के साथ राजस्व विभाग के अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि, जिन किसानों को गेहूं खरीदने के नाम पर भुगतान किया गया है उनके नाम पर संबंधित क्षेत्र में फसल बोने की मंजूरी देने का काम रिकार्ड में बताया गया। सतना के गेंहू खरीदी  केंद्र में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में किए घोटाले के 19 फर्जी किसानों की पहचान कर ली गई है। इनसे पूछताछ की जा रही है। इनके बैंक खातों पर भी रोक लगा दी गई है। हालांकि इनमें से 1 ही किसान को फर्जी खरीदी के बदले भुगतान किया गया था। राशि मिलते ही उसने दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दी थी। उक्त फर्जी किसान ने जिस अन्य खाते में राशि ट्रांसफर की, उस खाते पर भी रोक लगा दी गई है। घोटाला 13 मई को सामने आया था। मामले में 8 लोगों पर एफआईआर हो चुकी है। इन आरोपियों ने 13 ट्रक गेहूं परिवहन करना बताया था, जो कि वास्तव में किया ही नहीं गया। ये सरकार को 93 लाख रुपए का चुना लगाने की फिराक में थे। इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड के सतना जिला प्रबंधक अमित गौड़ को निलंबित किया जा चुका है। अब मामले की जांच सतना पुलिस की निगरानी में बनी एसआईटी कर रही है।

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