बुदनी में राजपूत तो विजयपुर में मेवाड़ा बन रहे मुसीबत

  • भाजपा में मान मनौव्वल का दौर शुरु
विधानसभा


भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम

बुदनी हो या विजयपुर दोनों सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद से भाजपा में असंतोष को शांत करने का संकट खड़ा हो गया है। यही वजह है कि अब सरकार से लेकर संगठन तक नाराज नेताओं को मनाने में जुट गए हैं। इसके लिए साम, दंड और भेद तीनों ही तरह की नीतियों को अपनाया जा रहा है। दरअसल, प्रदेश में मोहन सरकार बनने के बाद विधानसभा के लिए यह दूसरा मौका है, जब प्रदेश उपचुनाव दो सीटों पर हो रहा है। इसकी वजह से सभी की निगाहें इन सीटों के चुनाव परिणामों पर लगी हुई हैं। अहम बात यह है कि दोनों सीटों पर पार्टी के ही पूर्व विधायक अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस्तीफा दिए जाने की वजह से रिक्त हुई बुदनी सीट से स्वाभाविक रूप से पूर्व विधायक राजेंद्र राजपूत दावेदार थे। इसकी वजह है उनके द्वारा ही विधायक पद से इस्तीफा देकर शिवराज सिंह चौहान के लिए सीट छोड़ी थी, जिसकी वजह से माना जा रहा था कि पार्टी उन्हीं को प्रत्याशी बना सकती है, लेकिन शिवराज की पसंद के चलते पार्टी ने इस सीट पर पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को टिकट थमा दिया। इसकी वजह से राजपूत बेहद नाराज चल रहे हैं। यही नहीं वे विरोध में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सार्वजनिक रूप से बैठक भी कर चुके हैं। पूर्व विधायक राजेंद्र राजपूत के समर्थकों की बगावत की चेतावनी की वजह से रमाकांत भार्गव के नामांकन का कार्यक्रम तय नहीं हो पा रहा है। इस बीच उन्हें मनाने का काम भी किया जा रहा है, लेकिन अब तक वे मानने को तैयार नहीं हुए हैं। दो दिन पहले राजपूत अपने समर्थकों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। इसमें 1000 से भी अधिक कार्यकर्ता मौजूद थे। इस दौरान विधानसभा प्रभारी रामपाल सिंह राजपूत के सामने कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संगठन को अपना निर्णय बदलकर राजेन्द्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी बनाने पर जोर दिया। उनका कहना है कि वर्ष 2019 में राजपूत को सांसद का टिकट दिया जाना था, लेकिन उस समय की गई गलती को यदि दुबारा दोहराया गया तो पार्टी परिणाम भुगतने को तैयार रहे। कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि राजपूत को टिकट नहीं दिया तो हम पोलिंग बूथ पर ना तो काम करेंगे और न ही वोट डालने जाएंगे।  कई कार्यकर्ताओं ने यहां तक कहा कि वर्ष 2003 में राजपूत ने क्षेत्र के विकास के लिए अपनी सीट छोडक़र शिवराज सिंह चौहान को दी थी। उस ढाई वर्ष के अंतराल की पूर्ति अब की जा सकती हैं। इसलिए राजपूत को टिकट मिलना ही चाहिए। नहीं तो कांग्रेस को जीतने से कोई नहीं रोक सकता।
बता चुके हैं डकैत
उधर, विजयपुर सीट पर मंत्री रामनिवास रावत को टिकट मिलने से पूर्व विधायक बाबूलाल मेवाड़ा  बेहद नाराज चल रहे हैं। उनके द्वारा तो रावत को डकैत तक बताया जा चुका है। कार्यकर्ता जमकर विरोध कर रहे हैं। पूर्व विधायक बाबूलाल मेवाड़ा  भी इससे खासे नाराज हैं। पार्टी लाइन का ध्यान रखते हुए मेवाड़ा खुद कुछ नहीं बोल रहे लेकिन उनके समर्थक रावत की उम्मीदवारी के विरोध में मुखर हैं। पूर्व विधायक बाबूलाल मेवाड़ा के समर्थक साफ कह रहे हैं कि उपचुनाव में रावत का काम नहीं करेंगे। मेवड़ा श्योपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे दो बार (1985 और 1998 ) में विजयपुर से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि वे बीच में बीजेपी छोड़कर बसपा व कांग्रेस में भी जा चुके हैं।
कांग्रेस में भी है नाराजगी
कांग्रेस में भी टिकट को लेकर नाराजगी देखी जा सकती है।  कांग्रेस से बगावत करने वाले आर्य ने बुधवार को समाजवादी पार्टी से नामांकन दाखिल कर दिया है। उनके चुनाव में उतरने से कांग्रेस को नुकसान होना तय माना जा रहा है। हालांकि पूर्व में भी आर्या सपा के ही नेता रहे हैं। वे सपा छोड़ने के बाद कांग्रेस में गए थे और अब फिर सपा में आकर चुनाव लड़ रहे हैं।

Related Articles