राजमाता के भाई और पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह भी उतरे मलैया के पक्ष में

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भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह उपचुनाव का परिणाम अब भाजपा के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। करारी हार के बाद पार्टी में जारी उठापटक के बीच संगठन द्वारा की गई कार्रवाई के बाद अब असंतुष्टों का कारवां बनता जा रहा है। अजय विश्नोई, हिम्मत कोठारी और कुसुम मेहदेले के बाद अब मलैया के पक्ष में पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह और ध्यानेन्द्र सिंह मामा भी खड़े हो गए हैं। यही नहीं कई अन्य नेता भी मलैया से सम्पर्क कर उन्हें अपना समर्थन दे चुके हैं। फिलहाल इस मामले में अब सभी की निगाहें मलैया द्वारा संगठन द्वारा दिए गए नोटिस के जवाब पर लगी हुई हैं। उधर भाजपा के समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं  को भी संगठन की मलैया परिवार को लेकर की गई कार्रवाई रास नहीं आ रही है।
यही वजह है कि सोशल मीडिया पर भी इस मामले में आलोचना की जा रही है। फिलहाल अनुशासन का ढोल पीटने वाली भाजपा के अंदर जारी अंतरविरोध अब खुलकर सामने आ गया है। इस मामले को लेकर अब प्रदेश भाजपा का सियासी तापमान लगातार चढ़ता ही जा रहा है। खास बात यह है कि राजमाता के भाई ध्यानेन्द्र सिंह जो मामा के नाम से जाने जाते हैं। बीते चुनाव में उनकी पत्नी पूर्व मंत्री व राज्यसभा सदस्य माया सिंह की संगठन ने उपेक्षा की थी, वहीं उनके पुत्र पीताम्बरा सिंह को लेकर जो संभावनाएं थीं, उनकी भी उपेक्षा की गई, जबकि वहीं अखिल भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए रुस्तम सिंह भी दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्हें भाजपा में गुर्जर समाज का बड़ा नेता माना जाता है।
प्रदेश भाजपा संगठन द्वारा उपचुनाव में मिली हार के बाद पार्टी के एक गुट के दबाव में जिस तरह से आनन-फानन पांच दमोह के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री जयंत मलैया को नोटिस देकर जबाब तलब किया गया है, उससे पार्टी के बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में तेजी से नाराजगी दिखना शुरू हो गई है। दरअसल नाराजगी की दूसरी वजह है संगठन द्वारा दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में लेकर उन्हें अपने कार्यकर्ताओं की जगह भरपूर तबज्जो दिया जाना। यही वजह है कि अब पार्टी के बड़े व दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले चेहरे संगठन के विरोध में खड़े होते जा रहे हैं। इस विरोध की शुरूआत पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई ने की थी , जिसके बाद एक के बाद एक बड़े नेता मलैया के पक्ष में खड़े होते जा रहे हैं। हालत यह है कि बीते तीन दिनों से कोई न कोई बड़ा नेता मलैया के साथ खड़ा होता जा रहा है।
इनमें खासतौर पर वे नेता शामिल हैं जो लगातार कई चुनाव जीत चुके हैं और पार्टी की सरकार में कई बार मंत्री भी रह चुके हैं। उधर इस मामले में कांग्रेस भी सक्रिय होकर इस मामले को हवा देने के प्रयास में लग गई है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अब भाजपा में बिकाऊ और टिकाऊ के बीच संघर्ष शुरू हो गया है। दमोह उपचुनाव के प्रतिकूल परिणाम और पार्टी में शुरू हुए इस घमासान ने संगठन के साथ ही पार्टी के रणनीतिकारों की इन दिनों मुसीबत बढ़ा रखी है। इस बीच प्रदेश में चार उपचुनाव भी होना हैं। अब यह उपचुनाव पार्टी की असली परीक्षा साबित होने वाले हैं। इसमें भी सबसे बड़ी परीक्षा पृथ्वीपुर में होना तय मानी जा रही है। यह वो सीट है जहां पर बीते चुनाव मेंं भाजपा के एक नेता की वजह से ऐसे नेता को थोप दिया गया था कि वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सका था। उसके बाद से स्थानीय स्तर के पार्टी के बड़े प्रभावशाली नेता घर बैठ चुके हैं।
दिल्ली पर सभी की निगाहें
इस मामले में मलैया भी अब पूरी तरह से मुखर हो चुके हैं। वे इस मामले को लेकर दिल्ली जाने की तैयारी कर चुके हैं। उनके पार्टी में राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं से बेहद अच्छे संबंध बताए जाते हैं। मलैया ने तय किया है कि वे दिल्ली जाकर पार्टी के बड़े नेताओं के सामने न केवल अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे, बल्कि स्थानीय संगठन से लेकर पार्टी में उनके विरोधियों का भी पूरा चिट्ठा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। यही वजह है कि अब सभी की इस मामले में दिल्ली पर निगाहें लग गई हैं।
कई नेताओं का मिल रहा है साथ
मलैया को इस मामले में कई वरिष्ठ नेताओं का साथ मिल रहा है। यह वे नेता है जो अपनी ही सरकार के साथ संगठन में भी पूरी तरह से उपेक्षित चल रहे हैं। इसके अलावा माना जा रहा है कि पार्टी के कई पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारी भी मलैया के पक्ष में अपना समर्थन फोन पर जाहिर कर चुके हैं। दरअसल जिस तरह से पार्टी का प्रदेश में कांग्रेसीकरण किया गया है उससे पार्टी के पुराने व निष्ठावान कार्यकर्ता अपने आपको पूरी तरह से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। यही वजह है कि वे मलैया के पक्ष में लामबंद होते जा रहे हैं।

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