प्रतिद्वंदी को मात देने खड़े किए… हमनाम प्रत्याशी

  • भाजपा-कांग्रेस के कई प्रत्याशियों की चुनावी रणनीति
निर्दलीय

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। आजादी के शुरुआती दौर में निर्दलीय उम्मीदवारों को गंभीरता से लिया जाता है ,क्योंकि चुनावी समर में स्वच्छ छवि, सामाजिक प्रतिष्ठा होने के बावजूद किसी राजनीतिक दल पर भरोसा नहीं करने वाले चेहरे ही निर्दलीय चुनाव लड़ते थे। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में निर्दलीय को नया नाम वोट कटवा का दिया गया है। यह वोट कटवा स्वयं की जीत-हार के लिए चुनाव नहीं लड़ते हैं। इन्हें तो जाति व सामाजिक आधार पर प्रमुख राजनीतिक दल के उम्मीदवारों के वोट काटने के लिए मैदान में उतारा जाता है। वर्तमान में विपक्षी को मात देने के लिए भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने विपक्षी के प्रत्याशी के सामने हमनाम चेहरे उतारें हैं। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि मतदाता नाम के चक्कर में फंसकर वोट किसी और को दे दें। जानकारी के अनुसार, प्रदेश की करीब 5 दर्जन सीटों पर हमनाम प्रत्याशी उतारे गए हैं। ये प्रत्येक उम्मीदवार 100 से 500 के लगभग वोट हासिल कर सीधे-सीधे भाजपा व कांग्रेस उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाएंगे। अगर किसी प्रत्याशी के जीत का अंतर एक हजार के आसपास रहा तो इन वोट कटवा उम्मीदवारों की अहम भूमिका होगी। कई विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी के एक ही नाम व सरनेम के निर्दलीय प्रत्याशी मैदान हैं। इनके नामों से मतदाता भी गफलत में पड़ सकता है। इसलिए नाम वापसी के बाद प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवार इन निर्दलीयों का समर्थन हासिल करने के लिए हर तरीके से मान-मनौव्वल कर रहे हैं।
इन सीटों पर हमनाम
प्रदेश की जिन सीटों पर हमनाम उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के सामने खड़े हैं उन प्रमुख सीटों में बदनावर भी शामिल है। बदनावर सीट से कांग्रेस के भंवर सिंह शेखावत के खिलाफ हमनाम प्रत्याशी मैदान में हैं। निर्दलीय भामर सिंह उर्फ भंवर सिंह शेखावत ने बताया कि खेती करता हूं। बदलाव लाने मैदान में उतरा हूं। इंदौर-1 से कांग्रेस के संजय शुक्ला के खिलाफ उतरे निर्दलीय संजय शुक्ला ने बताया, नौकरी करता हूं। बदलाव के लिए चुनाव लड़ रहा हूं। जल्द ही प्रचार शुरू करूंगा। वहीं इंदौर-3 सीट पर कांग्रेस के दीपक (पिंटू) जोशी के हमनाम महेश पिंटू जोशी खड़े हैं। राऊ से भाजपा के मधु वर्मा के सामने निर्दलीय मधु वर्मा, बैतूल से भाजपा के हेमंत खंडेलवाल के सामने हेमंत सरियाम, बंडा से भाजपा के वीरेंद्र सिंह लोधी के सामने वीरेंद्र सिंह लोधी,  नरेला विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनोज शुक्ला के सामने मनोज शुक्ला, बांधवगढ़ से कांग्रेस की सावित्री सिंह धुर्वे के सामने सपाक्स की सावित्री कोल, भिंड से भाजपा के नरेन्द्र सिंह कुशवाह के सामने नरेन्द्र सिंह, देपालपुर से भाजपा के मनोज पटेल के सामने निर्दलीय मनोज पटेल, ग्वालियर दक्षिण से भाजपा के नारायण कुशवाह के सामने नारायण कुशवाह और तेंदूखेड़ा से भाजपा के विश्वनाथ सिंह के सामने हमनाम निर्दलीय विश्वनाथ सिंह मैदान में उतरे हैं।
60 सीटों पर हमनाम चेहरे
प्रदेश में इस बार 2500 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 60 से ज्यादा सीटों पर ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनका नाम भाजपा या कांग्रेस के प्रत्याशी से मिलता है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो हम नाम वाले प्रत्याशी वोट काटने के लिए मैदान में हैं। ऐसे में वे वोटरों की गफलत में चंद बोट तो पा लेंगे, लेकिन इसका असर चुनावी गणित पर पड़ सकता है। हालांकि सभी का दावा है कि वे बदलाव लाने के लिए मैदान में उतरे हैं। हैरानी यह है कि जब दिग्गज प्रत्याशी और बड़े दल प्रचार में उतर चुके हैं, इन हमनाम वालों में कई ने प्रचार तक शुरू नहीं किया। ऐसे उम्मीदवारों ने अपनी आय दो लाख तक बताई है।

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