बारिश ने खोल दी प्रदेशभर की सडक़ों की गुणवत्ता की पोल

  • हजारों किलोमीटर की सडक़ेें हो चुकी हैं बुरी तरह से खराब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में जिस तेजी से सडक़ों का निर्माण हो रहा है उससे दोगुनी तेजी से वे खराब भी हो रहीं हैं। दरअसल, जिस तरह से सडक़ों को बनाया जा रहा है, उससे उनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रदेश में बनने वाली सडक़ें एक बारिश के मौसम तक का सामना नहीं कर पाती हैं, जबकि केन्द्र सरकार की बनने वाली सडक़ें सालों तक जस की तस बनी रहती है। इससे सवाल खड़े होना लाजमी हैं। जानकारों का मानना है कि सडक़ निर्माण के मापदंडों को दरकिनार कर प्रदेश में सडक़ें बनाई जा रही हैं। हालांकि लोक निर्माण विभाग, मप्र सडक़ विकास निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सडक़ों की गुणवत्ता को को लेकर कर बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश में बारिश ने सडक़ों की दशा बिगाड़ दी है। मप्र में अब तक तकरीबन 6920 हजार किमी सडक़ इस बार बारिश में खराब हो गईं। सडक़ निर्माण से जुड़े सूत्रों की मानें तो 70 फीसदी सडक़ें गारंटी पीरियड में ही खराब हो गई हैं। प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों की सडक़ों की बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी भोपाल में ही 80 फीसदी से अधिक सडक़ें गड्ढों में गायब हो गई हैं। इसको लेकर प्रदेश के मंत्री और अफसर भी चिंता जाहिर कर चुके हैं। विभागीय समीक्षा में नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भोपाल की सडक़ों की बदहाल स्थिति की तस्वीर दिखाई तो अफसर भी यह मान बैठे कि सडक़ें चलने लायक नहीं हैं। वहीं पर्यटन और संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र लोधी भी सडक़ों में बड़े-बड़े गड्डों को लेकर लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह को पत्र के माध्यम से जानकारी दे चुके हैं।
पीडब्ल्यूडी की सडक़ें सबसे खराब
प्रदेश में सडक़ें लोक निर्माण विभाग, मप्र सडक़ विकास निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की हैं। ऐसा पहली बार है जब मानसूनी बारिश में प्रदेश में इतनी ज्यादा सडक़ें खराब हुई हों। जानकारों का कहना है कि सबसे अधिक पीडब्ल्यूडी की सडक़ें खराब हुई हैं। प्रदेश में करीब 81 हजार किलोमीटर का बड़ा हिस्सा लोक निर्माण विभाग के पास है, इसमें 9 हजार 315 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, 12 हजार 568 किलोमीटर स्टेट हाईवे, 25 हजार 420 किलोमीटर मुख्य जिला मार्ग और 33 हजार 697 किलोमीटर ग्रामीण सडक़ें शामिल हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा 4500 किलोमीटर से ज्यादा सडक़ें पूरी तरह उधड़ चुकी है। बाकी खराब सडक़ों में 2500 किमी का हिस्सा आरडीसी और एनएचएआई का है।
25 करोड़ रुपए की लागत बनी थी सडक़
औबेदुल्लागंज से भोजपुर तक बनी 14.5 किलोमीटर की सडक़ 25 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई थी और इसके निर्माण की जिम्मेदारी एमपीआरडीसी को दी गई थी। वीआरएस कंपनी के ठेकेदार द्वारा काम शुरू किया गया था। सडक़ का काम तो पूरा हुआ और लोगों को थोड़ी सुविधा भी मिली, लेकिन 50 वर्षों से बरसात के मौसम में जिन समस्याओं का सामना ग्रामीण कर रहे थे, वे आज भी बरकरार है। जिम्मेदारों ने पुल तो बनाया, लेकिन बारिश के दौरान वह काम नहीं आया। ग्रामीणों का कहना है कि सडक़ बनने के बावजूद पहली बारिश में गड्डे हो गए और गोदर नदी पर बने पुल की ऊचाई कम होने के कारण बारिश के समय में नदी पुल के ऊपर से बहती है। इससे लगभग दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों का संपर्क औबेदुल्लागंज से टूट जाता है, और कई स्कूली बच्चे और मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
1600 किमी सडक़ों पर ज्यादा गड्ढे
अब तक की जानकारी के मुताबिक 1600 किलोमीटर की सडक़ों में इस कदर गड्ढे हो गए हैं कि उन पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। वहीं औबेदुल्लागंज से भोजपुर तक 25 करोड़ की लागत से बनी 14.5 किलोमीटर की सडक़ में पहली बारिश के दौरान ही गड्ढे हो गए हैं। सडक़ से डामर गायब होने लगा है और दोपहिया वाहन चालक हादसों का शिकार हो रहे हैं। इस सडक़ पर दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों की आवाजाही तो होती ही है, साथ ही विश्व प्रसिद्ध भोजपुर मंदिर से विश्व धरोहर भीमबैठिका तक घूमने आने वाले पर्यटक भी इस मार्ग का उपयोग करते हैं। हाल ही में हुई बारिश के कारण गोदर नदी पर बने पुल के ऊपर से पानी बह रहा था, जिससे तीन दिनों तक यह रास्ता बंद हो गया था। सडक़ का निर्माण करने वाली वीआरएस कंपनी घटिया निर्माण के चलते पहले ही सुर्खियों में आ चुकी है। सबोटी और मगरपूंछ गांव के बीच बने पुल की मांग ग्रामीण 50 वर्षों से कर रहे थे, ताकि बारिश के दिनों में उनका आना-जाना सुगम हो सके। लेकिन पुल को सडक़ के लेवल से नहीं बनाया गया, जिसके कारण पुल पर पानी भर जाता है।
राजधानी की 80 फीसदीसडक़ें खराब
प्रदेश की राजयानी भोपाल की खराब सडक़ों से शासन-प्रशासन भी परेशान है। दरअसल, लगातार हो रही बारिश ने शहर की सडक़ों की पोल खोल दी है। राजधानी की 80 फीसदी सडक़ें खराब हैं। सडक़ों की गुणवत्ता की हालत यह है कि पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाई गई प्रमुख सडक़ों में से 70 फीसदी गारंटी पीरियड में ही खराब हो गई है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाशचा विजयवर्गीय भोपाल की सडक़ों की स्थिति देखकर गत दिनों अधिकारियों पर बहुत नाराज हुए। विजयवर्गीय ने कहा कि भोपाल नगर निगम के पास कुल 2020 किलोमीटर लंबाई की सडक़ों का नेटवर्क है, जिनमें से अधिकांश सडक़ों में बारिश के कारण गड्ढे हो गए हैं।

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