- पिछली सरकार की घोषणाओं का अभी तक पालन नहीं
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकारी निर्देशों का पालन न कर अफसर कर्मचारियों को बड़ी आर्थिक क्षति पहुंचा रहे है। ऐसा ही मामला चतुर्थ समयमान को लेकर सामने आया है। पिछली सरकार द्वारा प्रदेश में 35 साल की सेवा पूरी करने वालों को चतुर्थ समयमान देने की घोषणा की गई थी। कुछ विभागों में इस पर तत्काल अमल हुआ, लेकिन अधिकांश में अभी तक घोषणा का पालन नहीं हुआ। कहीं पालन हुआ तो आधे संवर्गों को फायदा मिला तो आधों को छोड़ दिया गया। यानी लोक सेवक हर माह रिटायर हो रहे हैं, लेकिन उन्हें चतुर्थ समयमान नहीं मिल पा रहा है।
गौरतलब है कि साल भर पहले तत्कालीन शिवराज सरकार ने प्रदेश के लोक सेवकों को यह लाभ देने की घोषणा की थी। 17 विभाग ऐसे हैं, जहां के पात्र अधिकारी- कर्मचारी इस प्रासंगिक सुविधा से वंचित हैं। अब इस मामला फिर मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जा रहा है। विभागों में रिटायर्डमेंट की झड़ी लगी है। सरकार का मानना था कि कर्मचारी प्रमोशन से वंचित हैं। नतीजतन उन्हें यह समयमान देकर आर्थिक तौर पर सशक्त किया जाए। विभागों में लोकसेवक आरोप लगाते हैं कि सक्षम अधिकारी समय से गणना नहीं कर रहे हैं। जिससे घोषणा के अमल में विलंब हो रहा। इससे सीधी आर्थिक क्षति उन्हें उठानी पड़ रही है। रिटायर्ड वरिष्ठ कृषि उद्यान अधिकारी राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि अभी अनेक विभाग ऐसे हैं, जहां एक भी संवर्ग को यह लाभ नहीं दिया गया है। हम विभाग को पत्र लिख रहे हैं, लेकिन आश्वासन ही दिया जा रहा है। वहीं मप्र राज्य कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा का कहना है कि शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षकों को चतुर्थ समयमान से वंचित किया गया। अनेक शिक्षक प्रतीक्षा में रिटायर्ड हो गये हैं।
35 साल की सेवा पूरी फिर लाभ नहीं
चतुर्थ श्रेणी की कई कैटेगिरी चतुर्थ समयमान से वंचित हैं। प्रदेश में बीस हजार ऐसे सरकारी वाहन चालक हैं, जो 35 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं, लेकिन इन्हें चतुर्थ समयमान वेतनमान के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं दी गई है। भृत्य जैसे कर्मचारी संघर्ष कर रहे हैं। फिर भी अधिकारी आदेश निकलने में आनाकानी कर रहे हैं। कर्मचारियों ने सवाल उठाया है कि जब शासन की घोषणा है तो सभी विभागों में समरूपता से काम क्यों नहीं हो रहा। मप्र स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एसबी सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में आधा दर्जन से अधिक कैडर छोड़ दिए गए हैं। जबकि यह संवर्ग पूरी पात्रता रखते हैं। फिर भी उपेक्षा हो रही है।
कई विभागों में आधा-अधूरा ही पालन
पिछली सरकार द्वारा प्रदेश में 35 साल की सेवा पूरी करने वालों को चतुर्थ समयमान देने की घोषणा की गई थी। कुछ विभागों में इस पर तत्काल अमल हुआ, लेकिन अधिकांश में अभी तक घोषणा का पालन नहीं हुआ। कहीं पालन हुआ तो आधे संवर्गों को फायदा मिला तो आधों को छोड़ दिया गया। उद्यानिकी विभाग में चतुर्थ समयमान नहीं मिल पाया है। यहां उद्यानिकी और सहायक उद्यानिकी अधिकारी आशा लगाए बैठे हैं। लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग में एएनएम, रेडियोग्राफर, लैब टैक्नीशियन जैसे संवर्गों को छोड़ दिया गया है। आयुष विभाग की विंग यूनानी, होम्योपैथिक और आयुर्वेद में भी यही स्थिति है। स्कूल शिक्षा में प्राचार्य-लेक्कर को 35 साल की सेवा में चतुर्थ समयमान दे दिया गया तो सहायक शिक्षकों इससे वंचित हैं। आदिम जाति कल्याण में भी लिपिक संवर्ग यह लाभ नहीं ले पाया तो जल संसाधन ग्रामीण यांत्रिकी लोक निर्माण में सभी इंजीनियर लेखापाल जैसे कैडर प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऊर्जा, महिला बाल विकास, नगरीय प्रशासन, तकनीकी शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण जैसे डिपार्टमेंट में इसके लिए भागदौड़ हो रही है। रिटायर्ड ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी मनोहर गिरि का कहना है कि हम मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पर भी मुलाकात करने जा रहे है।