सेवानिवृत्ति के दूसरे दिन किया प्रमोशन

सेवानिवृत्ति
  • एक ही जावक नंबर से दो अधिकारियों का संचालक पद पर प्रमोशन
  • पशुपालन विभाग का अजब-गजब कारनामा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में आए दिन कोई न कोई मामला सुर्खियों में बना रहता है। ताजा मामला पशुपालन विभाग में सामने आया है। विभाग में दो दिन में दो अफसरों को पदोन्नति दी गई। हैरानी की बात यह है कि दोनों अधिकारियों को एक ही जावक नंबर से संचालक पद पर प्रमोशन के आदेश जारी किए गए। यही नहीं एक अधिकारी के सेवानिवृत्त होने के बाद डीपीसी के आधार पर संचालक पद पर पदोन्नति का आदेश जारी किया गया था। अब इसको लेकर पशुपालन विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है।
जानकारी के अनुसार, पशुपालन विभाग में संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं को लेकर पिछले कई दिनों घमासान मचा हुआ है। हालांकि कुछ दिन से चल रहे घमासान के बीच अंतत: ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. पीएस पटेल की संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं के पद पर पदोन्नति हो गई। रविवार (1 सितंबर)को छुट्टी के दिन उनकी संचालक के पद पर पदोन्नति का आदेश जारी कर दिया गया। विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की अनुशंसा के आधार पर डॉ. पटेल का प्रमोशन किया गया है।
मजेदार बात यह है कि एक दिन पूर्व यानी 31 अगस्त को प्रभारी संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. आरके मेहिया के सेवानिवृत्त होने के बाद डीपीसी के आधार पर संचालक पद पर पदोन्नति का आदेश जारी किया गया था। डॉ. मेहिया 30 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए थे। खास बात यह है कि डॉ. मेहिया और डॉ. पटेल की पदोन्नति का आदेश अलग-अलग तारीखों में एक ही जावक नंबर (एफ 03- 06/2021/पैंतीस) से जारी किया गया है। इसको लेकर विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने सवाल उठाए हैं।
प्रमोशन में विसंगति
पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह जांच का विषय है कि सेवानिवृत्त होने के दूसरे दिन किसी अधिकारी को डीपीसी की अनुशंसा के आधार पर प्रमोशन कैसे दे दिया गया और फिर एक दिन बाद उसी पद पर किसी दूसरे अधिकारी को डीपीसी के आधार पर पदोन्नत कर दिया गया। दोनों अधिकारियों के पदोन्नति आदेश एक ही जावक नंबर से जारी किए गए। जानकारी के मुताबिक प्रभारी संचालक डॉ. मेहिया के सेवानिवृत्त होने पर सपाक्स डीपीसी के आधार पर संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं के पद पर पदोन्नति का विरोध कर रहा था। सपाक्स की मांग थी कि प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है, इसलिए मूल वरिष्ठता के आधार पर संचालक पद पर पदोन्नति दी जाए। दो साल पहले डॉ. आरके मेहिया को मूल वरिष्ठता के आधार पर प्रभारी संचालक बनाया गया था। चूंकि अभी भी पदोन्नती पर रोक के मामले में कोर्ट का कोई फैसला नहीं आया है, परिस्थितियां आज भी दो साल पहले जैसी हैं, इसलिए वरिष्ठ अधिकारी को संचालक का प्रभार दिया जाए, जबकि सरकार ने मेरिट कम सीनियोरिटी यानी डीपीसी के आधार पर संचालक के पद प्रमोशन का निर्णय लिया था और आखिर में सरकार ने ऐसा किया भी।
पदोन्नति का हो रहा विरोध
डॉ. आरके मेहिया को प्रमोशन का मामला इस कदर गरमा गया है कि उनके खिलाफ लामबंदी होने लगी है। सूत्रों का कहना है, चूंकि सपाक्स ने कोर्ट जाने की चेतावनी दी थी, इसलिए सरकार ने विवाद के बचने के लिए प्रभारी संचालक डॉ. मेहिया को एक्सटेंशन देने की तैयारी कर ली थी। यही वजह है कि सरकार ने 31 अगस्त को उनकी संचालक पद पर पदोन्नति के आदेश जारी कर दिए। इस बीच सरकार ने डीपीसी के आधार पर पदोन्नति को लेकर कानूनविदों से सलाह ली। उनकी हरी झंडी मिलने के बाद 1 सितंबर को डॉ. पीएस पटेल को संचालक पर पदोन्नति का आदेश जारी कर दिया गया। सपाक्स के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर का कहना है कि 2016 में हाईकोर्ट ने जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को डिमोट करने के आदेश दिए थे, उन्हें प्रमोशन दिया जा रहा है। यह कोर्ट की अवमानना है। पदोन्नति पर रोक का मामला सुप्रीम कोई में विचाराधीन होने के बाद भी सरकार वर्ग विशेष के अधिकारियों का प्रमोशन कर रही है। ऐसा लग रहा है कि सरकार खुद को कोर्ट से ऊपर मान रही है। एक ही जावक नंबर से दो अलग-अलग तारीखों में दो अधिकारियों के प्रमोशन के आदेश जारी नहीं किए जा सकते। हम डीपीसी के आधार पर पदोन्नति के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं से परामर्श कर रहे है।

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