नाथ समर्थक मोर्चा प्रकोष्ठ व विभाग प्रमुखों का भी बदलना तय

नाथ समर्थक
  • कई विभागों में  कर चुके हैं बदलाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी आठ माह बाद भी अपनी नई टीम का गठन नहीं कर सके हैं। इसको लेकर उनके साथ ही पार्टी की जमकर किरकिरी हो रही है। इस बीच खबर है कि पटवारी ने पार्टी के तमाम विभागों , मोर्चा और प्रकोष्ठों के प्रमुखों को भी बदलने की तैयारी कर ली है। अभी इनके अधिकांश मुखिया कमलनाथ समर्थक हैं। उधर, बीते तीन दिनों से नई कार्यकारिणी को लेकर दिल्ली में माथापच्ची की जा रही है।
नई कार्यकारिणी के लिए प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी तीन दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन अभी तक मामला पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है। हालांकि माना जा रहा है कि इसी माह में प्रदेश कांग्रेस की नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि नई कार्यकारिणी में ज्यादातर नए और युवा चेहरों को ही मौका दिया जा रहा है, लेकिन नेताओं के रिश्तेदार और उनके समर्थकों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। नई कार्यकारिणी के साथ ही महिला, किसान, अजा, अजजा, सेवादल समेत अन्य विभागों के प्रदेशाध्यक्षों का हटना भी तय हो चुका है। दिसंबर 2023 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद जीतू पटवारी ने कोई बड़ा बदलाव संगठन में नहीं किया है। कमलनाथ के समय की टीम से ही उन्होंने लोकसभा चुनाव करवा लिए है। हालांकि लोकसभा चुनाव में पटवारी कोई चमत्कार नहीं कर पाए। सांसद की एक मात्र सीट भी हार गए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद पटवारी की संगठन क्षमता को लेकर ही सवाल उठाए जाने लगे थे। कांग्रेस का दूसरा गुट पटवारी पर हार का ठीकरा फोड़ना चाहता था, लेकिन हाईकमान मप्र कांग्रेस में बड़ा बदलाव करने का मूड बना चुका था। यही वजह है कि अब मप्र कांग्रेस में बदलाव का दौर शुरू होने जा रहा है। जिसमें प्रदेश की पूरी टीम बदलेगी साथ ही विभाग, प्रकोष्ठ एवं अन्य इकाईयों के पदाधिकारियों की भी छुट्टी होगी।
कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप अहिरवार का हटना तय है। अहिरवार को कमलनाथ के प्रदेशाध्यक्ष रहते यह जिम्मेदारी सौंपी थी। ये अपने खुद के चुनाव क्षेत्र से पार्टी को चुनाव नहीं जिता पाए है। अहिरवार के खिलाफ कांग्रेस में खिलाफत की शिकायतें भी रही है। अजा कांग्रेस के जरिए सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन खड़ा करने में विफल रहे हैं।अनुसूचित जनजाति कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रामू टेकाम का भी हटना लगभग तय है। प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के घोषणा के साथ ही इन्हें हटाया जा सकता है या फिर बाद में बदले जाएंगे। इनकी जगह किसी अन्य जनजाति वर्ग के नेता को चुनाव लड़ाया जाएगा। रामू टेकाम दो बार खुद लोकसभा चुनाव हारे हैं। विधानसभा चुनाव में भी अपने गृह जिले बैतूल से एक भी सीट नहीं जिता पाए। किसान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश गुर्जर मुरैना से विधायक हैं। वे अब किसानों की आवाज को बुलंद नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में किसान कांग्रेस के लिए नए प्रदेशाध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है। दिनेश गुर्जर को कमलनाथ समर्थक माना जाता है। कमलनाथ ने ही सभी आपत्तियों को दरकिनार करके दिनेश गुर्जर को मुरैना से टिकट दिया था। महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष विभा पटेल को भी हटाया जा सकता है। उन्हें संगठन में ही दूसरी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। संभवत: विभा पटेल को राष्ट्रीय स्तर पर पदाधिकारी बनाया जा सकता है। विभा पटेल महिला मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष रहे खुद भोपाल से महापौर का चुनाव हारी। अब महिला कांग्रेस का दूसरा खेमा विभा को हटवाने की रणनीति बना रहा है। विभा पटेल को भी कमलनाथ के समय महिला कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी।
यह पदाधिकारी भी हटेंगे
कमलनाथ के समय सभी प्रकोष्ठों के प्रदेश संयोजक बनाए गए जेपी धनोपिया को भी इस जिम्मेदारी से मुक्त कर नया काम सौंपा जा सकता है। धनोपिया ने पटवारी के कार्यकाल में सक्रियता कम कर दी है। नई टीम के इंतजार में ज्यादातर पदाधिकारियों ने प्रदेश कांग्रेस आना ही बंद कर दिया है। एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष भी बदले जा सकते है। युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष मिलेन्द्र यादव की नियुक्ति हाल ही में हुई है। ऐसे में उन पर कोई खतरा नहीं है। सेवादल के प्रदेशाध्यक्ष योगेश यादव को अब संगठन में जगह दी जाएगी। अल्पसंख्यक कांग्रेस के अध्यक्ष शेख अलीम की जगह दिल्ली से नए नाम पर मुहर लगाई जाएगी।

Related Articles