भोपाल में निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाकर किया उपकृत

  • पांचवीं-आठवीं की परीक्षा में केंद्रों को बनाने में गड़बड़ी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
हर साल सरकारी स्कूलों में होने वाली पांचवीं-आठवीं की परीक्षाएं इस बार प्राइवेट स्कूलों में आयोजित की जा रही है। पांचवीं और आठवीं की परीक्षा के लिए केंद्रों को बनाने में यह गड़बड़ी राजधानी भोपाल में सामने आई है। परीक्षा के लिए सबसे पहले प्राथमिकता सरकारी स्कूलों की होती है।
सरकारी स्कूलों में व्यवस्था नहीं होने पर प्राइवेट स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जाता है। लेकिन इस बार पूरी प्रक्रिया ही बदल दी गई है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पांचवीं और आठवीं की परीक्षाएं 24 फरवरी से शुरु हो गई हैं।  पांचवीं कक्षा की परीक्षा एक मार्च और आठवीं की 5 मार्च को समाप्त होगी। राजधानी में पांचवीं- आठवीं परीक्षा में 68 हजार 935 विद्यार्थी शामिल होंगे। इसके लिए 243 परीक्षा केंद्र बनाए गए है। इनमें से अब कुछ परीक्षा केंद्रों को बनाने में गड़बड़ी सामने आने लगी है। परीक्षा के लिए सबसे पहले प्राथमिकता सरकारी स्कूलों की होती है। सरकारी स्कूलों में व्यवस्था नहीं होने पर प्राइवेट स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जाता है। पिछले साल तक फंदा ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय माध्यमिक शाला नीलबड़ को पांचवीं-आठवीं के लिए परीक्षा केंद्र बनाया जाता था। इस स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। इस बार भी परीक्षा केंद्र बनाने के लिए पहले सरकारी स्कूल प्रस्तावित थे, लेकिन सेटिंग के चलते उक्त स्कूल को इस बार परीक्षा केंद्र निरस्त कर दिया गया। इसके स्थान पर इस स्कूल के नजदीक प्राइवेट स्कूल यूके कान्वेंट व विवेक विहार को परीक्षा केंद्र बना दिया गया। प्राइवेट स्कूल परीक्षा केंद्र बनाने का प्रस्ताव जनशिक्षक सरिता लिल्लौरे और फाइनल बीआरसीसी रूपाली रिछारिया ने किया है। यह स्थिति तब है, जब पिछले साल तक सरकारी स्कूल को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाता था।
विवादों में फंसे बीआरसीसी ने दिया इस्तीफा
बीआरसीसी फंदा पुराना शहर प्रमोद परिहार ने हाल ही मेंं अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके पीछे उन्होंने व्यक्तिगत कारण बताया है, जबकि विभागीय सूत्रों की माने तो परिहार जिले में चल रही मान्यता की अनियमितताओं व अन्य अवांछित गतिविधियों से परेशान थे। गलत तरीके से मान्यता देने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा था। उन पर रजिस्टर्ड किरायानामा नहीं होने पर भी मान्यता करने के लिए दबाव था, जिसके कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद से जिले में पहली से आठवीं के प्राइवेट स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण पर सवाल खड़े होने लगे है।

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