छोटे समूहों को शराब ठेके देने की तैयारी, कीमतों में भी की जाएगी कमी

शराब ठेके
  • आदिवासी समूहों को मिल सकती है हजार ली. क्षमता की डिस्टलरी चलाने की अनुमति

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की शिव सरकार अब शराब ठेकों में आमूलचूल परिवर्तन करने की तैयारी कर रही है। यह पूरी कवायद शराब की तस्करी को रोकने और शराब सिंडिकेट की मोनोपॉली तोड़ने के लिए की जा रही है। इसके साथ ही सरकार द्वारा प्रदेश में हेरिटेज शराब को भी प्रमोट करने की तैयारी है। इसका निर्माण आदिवासी वर्ग द्वारा पंरपरागत रुप से किया जाता है।
    दरअसल प्रदेश में अभी पड़ौसी राज्यों की तुलना में देशी व विदेशी शराब की ड्यूटी अधिक होने की वजह से उनकी कीमतें भी अधिक हैं, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर इन राज्यों से अवैध शराब तस्करी कर लाई जाती है। इससे सीधा नुकसान सरकार के खजाने को होता है। ऐसे में सरकार के सामने अगले वित्तीय वर्ष से कीमतों को कम करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है। यही वजह है कि अब सरकार शराब की कीमतें करीब 20 फीसदी तक कम कर सकती है। इसके लिए बीते रोज गुरुवार को उप मंत्रिमंडलीय कमेटी की बैठक हुई। इसमें वित्त व वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह व वन मंत्री विजय शाह शामिल हुए। जबकि एक अन्य सदस्य स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी बैठक में नहीं पहुंचे। बैठक में मप्र की मौजूदा शराब नीति और उसकी कीमतों पर विचार विमर्श किया गया, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं किया जा सका। आबकारी विभाग ने अपने प्रजेंटेशन में पड़ोसी राज्यों उप्र, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व राजस्थान में शराब की कीमतों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान कहा गया कि प्रदेश में शराब की कीमतें ज्यादा होने से शराब की तस्करी अन्य राज्यों से हो रही है। इसका सीधा असर सरकार के रेवन्यू पर पड़ रहा है। ऐसे में शराब की कीमत कम करने और जिलों में शराब सिंडिकेट का एकाधिकार होने की वजह से आने वाली दिक्कतों पर मंथन किया गया। इस दौरान विचार किया गया कि जिले के समूह के बजाय छोटे-छोटे समूह बनाए जाएं। इससे कई तरह की विसंगतियां दूर होगी। गौरतलब है कि वर्ष 2019-20 में शराब से जहां 10,773 करोड़ की आय हुई थी, वहीं 2020-21 में घटकर 9,520 करोड़ रह गई। इस साल करीब 12 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यूपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान की तुलना में भी मप्र की आय कम हुई है।
    एक ही दुकान पर मिल सकती है देशी व विदेशी शराब
    मप्र में लंबे समय से एक साथ ही देशी व विदेशी शराब बेचने को लेकर चर्चा चल रही है, पर इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। बैठक में इस मामले पर भी चर्चा की गई। माना जा रहा है कि इन सभी मामलों पर फैसला लेने के लिए अभी समिति की कई दौर की बैठकें होंगी। इसके बाद ही इन पर कुछ फैसला लिया जा सकेगा। हालांकि सैद्धांतिक रूप से सभी सहमत हैं कि देशी दुकान पर विदेशी शराब व विदेशी शराब दुकान पर देशी शराब बेची जाए।
    जनजातीय समूहों को मिल सकता है डिस्टलरी का अधिकार
    प्रदेश में नई आबकारी नीति के तहत एक हजार लीटर तक की क्षमता की डिस्टलरी खोलने का अधिकार जनजातीय समूह को मिलना तय माना जा रहा है। इसके लिए हेरिटेज शराब को बढ़ावा देने जनजातीय विकासखंडों में आॅनलाइन लाइसेंस दिए जाएंगे। यह लाईसेंस केवल अनुसूचित विकासखंडों में दिए जाएंगे। इसके लिए समूह में 50 फीसदी महिलाएं तथा 25 प्रतिशत का 10वीं पास होना अनिवार्य किया जा रहा है। इसके संग्रहण, बॉटलिंग सह विपणन की अनुमति जनजातीय समूह को कलेक्टर द्वारा दी जाएगी।

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