बीते साल भी चार अरब का किया गया था भुुगतान…
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मजदूरों के कल्याण के लिए जुटाई जाने वाली राशि का उपयोग बीते दो सालों से सरकार द्वारा बिजली सब्सिडी में खर्च की जा रही है, जिसकी वजह से सूबे के मजदूरों को इस राशि से होने वाले वेलफेयर के कामों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालत यह है श्रमिकों के फंड में से चार अरब से अधिक का भुगतान बीते साल सरकार ने बिजली सब्सिडी की राशि चुकाने में कर दिया। यही नहीं अब इसी फंड में से सरकार एक बार फिर इसी मद में 82 करोड़ रुपए का भुगतान करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए बाकायदा फाइल तैयार कर ली गई है। दरअसल श्रमिकों के वेलफेयर के लिए एकत्रित होने वाली इस राशि का उपयोग 15 से अधिक योजनाओं में किए जाने का प्रावधान है। इसमें दुर्घटना के दौरान मदद, मृत्यु उपरांत सहायता, प्रसव में राशि सहयोग और विदेश में पढ़ाई आदि के प्रावधान हैं।
इस मद से इस तरह का भुगतान करने के पीछे सरकार का तर्क है कि जो संबल योजना में तीन लाख पंजीकृत श्रमिक हैं, उन्हें सौ यूनिट बिजली सौ रुपए में दी जाती है। यह सब्सिडी वाली है, जिसकी बाकी राशि श्रम विभाग की ओर से बिजली विभाग को दी गई है। इस बार भी भुगतान के लिए इसी तर्क का सहारा लिया जा रहा है।
कहां से जुटती है राशि
दरअसल सरकारी और निजी निर्माण की कुल लागत का एक प्रतिशत श्रमिकों के वेलफेयर के रूप में ग्राम पंचायत और नगरीय निकायों के पास जमा की जाती है। इस राशि को बाद में भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल के पास दिया जाता है। इस राशि को खर्च करने के लिए 1996 में एक्ट बना हुआ है। इसके मुताबिक कुल राशि का सिर्फ 5 प्रतिशत ही प्रशासनिक मद में खर्च किया जा सकता है। शेष राशि को कल्याण के कामों में ही खर्च किया जा सकता है। यही नहीं इस एक्ट में प्रावधान है कि इस पैसे को किसी अन्य विभाग को भी नहीं दिया जा सकता है। मप्र सह पठित नियम 2005 नियम 280 के तहत निर्देश हैं कि बोर्ड के फंड का उपयोग केवल श्रमिकों के हितार्थ जो योजनाएं चलाई जाएंगी उस पर ही व्यय होगा। उपकर के रूप में प्राप्त राशि केवल श्रमिकों के हित यानि जो बोर्ड के द्वारा योजनाएं चलाई जा रही हैं, उस पर ही खर्च की जा सकती है।
एक साथ किया गया था तीन सालों का भुगतान
भवन निर्माण का काम करने वाले श्रमिकों के कल्याण के 416.33 करोड़ रुपए ऊर्जा विभाग के सब्सिडी खाते में बीते साल दे दिए गए थे। उस समय एक साथ तीन साल 2018-19, 2019-20 और 2020-21 का यह पैसा दिया गया था। दरअसल अलग-अलग योजनाओं (कृषि व घरेलू) में बिजली विभाग साल में करीब 21 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देता है। फंड का इस्तेमाल श्रमिकों की दुर्घटना में मदद, डिलेवरी, मृत्यु सहायत आिद कामों में होता है। रिटायर होने वाले श्रमिकों को पेंशन, लोन व एडवांस, ग्रुप इंश्योरेंश, कल्याण योजनाओं को मजबूती देने में भी राशि जाती है। विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले श्रमिकों के बच्चों, सुपर 5000 आदि स्कीमें भी इसी फंड से चलती हैं।