42 करोड़ की खरीदी में बड़ा खेल खेलने की तैयारी

‘अपनों’ को लाभ पहुंचाने माशिमं ने रखी अटपटी शर्तें…

माध्यमिक शिक्षा मंडल

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। अपने अजब-गजब कारनामों के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल लगातार विवादों में बना रहता है। वर्तमान समय में माशिमं एक बड़ी खरीदी के टेंडर के कारण चर्चा में है। दरअसल, मंडल में बड़े पैमाने पर कम्प्यूटर एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीदी की जाना है। लगभग साढ़े 42 करोड़ रुपए का सामान खरीदने के लिए ऐसी अटपटी शर्तें रखी गई हैं, जिससे इस बात को बल मिलता है कि यह शर्तें किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए रखी गई है। गौरतलब है की मंडल में लगभग हर खरीदी किसी न किसी विवाद में पड़ जाती है।
कम्प्यूटर एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीदी की उटपटांग शर्तें तो चर्चा में हैं ही, साथ जिन सामानों को खरीदा जा रहा है उन पर भी विवाद है। दरअसल, सस्ते में मिलने वाले डेस्कटॉप कंप्यूटर के एजुकेशन वर्णन के बजाय प्रोफेशनल वर्जन महंगे मोल में खरीदने की तैयारी हैं। इतना ही नहीं, बाजार में उपलब्ध 12 जनरेशन कंप्यूटर के स्थान पर पुराना पड़ चुका 11 जनरेशन खरीदने की तैयारी है। इन शर्तों पर विशेषज्ञों ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है। एचओडी कंप्यूटर साइंस गवर्नमेंट एमवीएम भोपाल  के पंकज सिंह का कहना है कि यदि कोई भी शिक्षण संस्थान 42 करोड़ रुपए का सामान खरीदता है तो उसे ऐसे व्यापारी को टेंडर देना चाहिए जिसका सालाना टर्न ओवर करीब 25 करोड़ रुपए हो। इसके साथ ही यह भी देखना चाहिए कि उसके पास माल सप्लाई करने की क्षमता है कि नहीं।
यदि सालाना टर्न ओवर ढाई करोड़ रुपए वाले व्यापारी को टेंडर दिया जाएगा तो यह भी परखना पड़ेगा कि वह सामान दे पाएगा या नहीं। वह इतने पैसे कैसे जुटा पाएगा। वहीं शिक्षण संस्थान में एजुकेशन वर्जन चलता है। सभी काम इसमें हो सकते है। प्रोफेशनल की जरूरत तब पड़ती है जब कोई सॉफ्टवेयर बनाना हो। यदि हम 11 जनरेशन कंप्यूटर खरीदने की बात करें तो अब मार्केट में 12 जनरेशन के कंप्यूटर आ गए है।
टेंडर की शर्तों पर विवाद
सूत्रों के मुताबिक 31 मार्च 2023 को समाप्त हो चुके वित्त वर्ष के 14 दिन पहले 16 मार्च 2023 को टैंडर निकाला गया। इस टेंडर के तहत डेस्कटॉप कंप्यूटर, फोटो कॉपी मशीन, यूपीएस आदि खरीदे जाने हैं। इसमें प्रत्येक आइटम 3500 क्रय किए जाने हैं। इसके लिए बुलाई गईं निविदाएं कल 6 अप्रैल को खोली जाएंगी। जानकारों की मानें तो साढ़े 42 करोड़ रुपए का सामान खरीदने के लिए विक्रेता फर्म का सालाना टर्नओवर मात्र ढाई करोड़ मांगा गया है, जो कि विशेषज्ञों की नजर में काफी कम है। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर सप्लाई करने के लिए विक्रेता फर्म का आर्थिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। इसी तरह एक अन्य हास्यास्पद शर्त रखी गई है वह यह है कि विक्रेता फर्म का सिंगल आर्डर 50 लाख तक का होना चाहिए। जेम पोर्टल की शर्तों पर नजर डाले तो पता चलता है कि टेंडर राशि के 35 फीसदी सिंगल ऑर्डर के मान से साढ़े 42 करोड़ रुपए की खरीदी के लिए न्यूनतम 15 करोड़ का एक ऑर्डर होना था। गौरतलब है कि  माध्यमिक शिक्षा मंडल में परीक्षा सेंटरों के लिए डेस्कटॉप कंप्यूटर, फोटोकॉपी मशीन और यूपीएस खरीदे जाएंगे। इसके लिए रैम की जरूरत होती है। टैंडर में पुराने 11 जनरेशन डेस्कटॉप कंप्यूटर खरीदने का जिक्र है, जबकि बाजार में 12 जनरेशन भी मिल रहे है, जिन्हें एमपी बोर्ड नहीं खरीद रहा है। एमपी बोर्ड एज्युकेशन संस्था होने से एमएस ऑफिस एजुकेशन वर्जन मांगा जाना चाहिए था क्योंकि यह बाजार में कम रुपए में मिलता है, लेकिन एमएस ऑफिस प्रोफेशनल वर्जन मांगा है जो काफी महंगा है। इसमें रैम 4 जीबी मांगी गई है जबकि विंडो 11 को चलाने के लिए 8 जीबी रैम चाहिए। प्रोफेशनल वर्जन काफी महंगा होता है, जबकि एजुकेशन वर्जन 4000 रुपए में आता है। एनपीजी 59 (2 नं.) केनन फोटो काफी मशीन खरीदने का जिक्र है जो कि काफी महंगी है। जो यूपीएस खरीदेंगे वह ढाई हजार रुपए का होता है, लेकिन उसे महंगे दामों पर खरीदने की तैयारी है, जिससे सरकार को नुकसान होगा।

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