- बिजली कंपनियों की ओर से विद्युत नियामक आयोग को दिया गया प्रस्ताव …
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियां हमेशा ईमानदार उपभोक्ताओं की जेब पर भार डालने की जुगत में लगी रहती हैं। बीते कुछ माह पहले उनके द्वारा पहले बिजली दर में छह फीसदी तक की वृद्धि के प्रयास किए गए थे, लेकिन उसमें जब सफलता नहीं मिली तो अब इन कंपनियों ने जेब काटने का नया तरीका खोज लिया है।
इसके तहत अब विभिन्न तरह के चार्ज में 70 फीसद तक की वृद्धि करने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं, जिसकी वजह से ईमानदार उपभोक्ताओं को करंट का बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है। खास बात यह है कि जिन कामों के एवज में अधिक राशि वसूली की तैयारी की जा रही हैं उसमें बिजली का कनेक्शन से लेकर नाम बदलवाने तक का काम शामिल है। दरअसल प्रदेश की बिजली कंपनियों का अमला और अफसर बिजली चोरी रोकने के साथ ही लाइन लॉस कम करने के लिए प्रयास करने की जगह सिर्फ घाटा दिखाकर आम आदमी की जेब काटने के प्रयासों में लगा रहता है। यही नहीं इन कंपनियों द्वारा फिजूलखर्ची रोकने के भी प्रयास नहीं किए जाते हैं, जिसकी वजह से उनका घाटा लगातार बढ़ता ही जाता है।
दरअसल हाल ही में बिजली कंपनियों की ओर से विद्युत नियामक आयोग के सामने एक प्रस्ताव रखा है। जिसमें नए कनेक्शन लेने, मीटर टेस्टिंग, लोड बढ़ाने और नाम बदलवाने सहित बिजली से जुड़े ऐसे अन्य कामों के लिए 70 फीसदी तक चार्ज बढ़ाने का आग्रह किया गया है। इस प्रस्ताव पर आयोग द्वारा 30 सिंतबर तक आपत्तियां बुलाई गई है। 5 अक्टूबर को आयोग इस पर सुनवाई करेगा। कंपनियों द्वारा इस वृद्धि के लिए थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बढ़ने का हवाला दिया है। यह बात अलग है कि यह तय मापदंडों के खिलाफ है। गौरतलब है कि प्रदेश में पहले इस आधार पर कभी भी चार्जेस में बढ़ोतरी नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रदेश के 98 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की सब्सिडी में कटौती करने पर मंत्री समूह ने सहमति दे दी है। इसके लिए पूर्व की तरह ही 100 यूनिट के लिए 100 रुपए ही लिए जाएंगे, लेकिन यदि 101 यूनिट हो जाएं तो एक से 101 यूनिट तक का बिल वास्तविक घरेलू दरों पर ही देना होगा। फिलहाल प्रदेश में घरेलू दर बिजली की दर औसतन 8.40 रु. प्रति यूनिट हैं।
मंत्री समूह की सिफारिश के बाद ऊर्जा विभाग द्वारा ने प्रस्ताव बनाकर मुख्य सचिव को भेजा जा चुका है। अब इस मामले में मुख्य सचिव द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करके निर्णय लिया जाना है। इसी तरह से अभी किसानों की सब्सिडी पर फैसला होना है। बताया जाता है कि किसानों की सब्सिडी घटाने के 7 प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। दरअसल सरकार चाहती है कि अभी घरेलू उपभोक्ता और किसानों को दी जा रही सालाना 21 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी को कम कर पचास प्रतिशत तक कर दिया जाए।
यह भी दिया जा चुका है प्रस्ताव
तीनों बिजली वितरण कंपनियों की ओर से मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी पूर्व में ही इस वित्त वर्ष के लिए औसत 6 प्रतिशत दर वृद्धि की याचिका पेश की जा चुकी है। इसमें घरेलू बिजली की दर में करीब आठ प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव है। अगर विद्युत नियामक आयोग प्रस्ताव स्वीकार कर लेता है तो बिजली दरों में प्रति यूनिट लगभग 32 पैसे की वृद्धि हो जाएगी। प्रदेश के 1.50 करोड़ उपभोक्ताओं में एक करोड़ ऐसे उपभोक्ता हैं, जो 150 यूनिट तक बिजली खर्च करते हैं। इसकी वजह से इन पर ही सबसे अधिक बोझ पड़ना तय है।
13/09/2021
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