पीएफआई की लड़ाकों की पीओके में ट्रेनिंग कराने की थी तैयारी

पीएफआई
  • कई देशों के पीएफआई मेंबर्स बुलाए जाते थे डेपुटेशन पर

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) अकेले भारत में ही नहीं बल्कि, कई देशों में अपना संगठन चला रही है। यह बड़ा खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। इसमें कहा गया है कि पीएफआई को कई देशों से आर्थिक मदद मिलती थी। इस सगंठन की तैयारी अपने लड़ाके सदस्यों का प्रशिक्षण पीओके में कराने की  थी। इसके अलावा कई देशों के अपने सदस्यों को डेपुटेशन पर भारत भी बुलाया जाता था। इसमें दुबई से भारत में तैनात में किए गए 189 सदस्यों की जानकारी भी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगी है। इनका काम भारत में संगठन के लिए फंड एकत्रित  करने के अलावा उसका इस्तेमाल अपने नापाक मंसूबो को अंजाम देना भी था। बताया जा रहा है कि इनमें से कई सदस्य अब भी भारत में हो सकते हैं, जिनकी जानकारी खुफिया एजेंसी के अलावा तमाम राज्यों की पुलिस और सुरक्षा बलों को भी दी गई है। पीएफआई के तार टर्की तक फैले थे। टर्की में मौजूद अलकायदा मॉड्यूल से भी इसके तार जुड़े होने की जानकारी सामने आयी है। बताया जा रहा है कि करीब तीन साल पहले तुर्की में फिलिस्तीन से संबंधित एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बहाने पीएफआई का एक कट्टरपंथी दल हिंदुस्तान से टर्की भी गया था।
कई और अहम खुलासे हुए
ईडी और एनआईए के द्वारा चलाए गए इस संगठन के खिलाफ ऑपरेशन ऑक्टोपस में कई और अहम खुलासे हुए हैं। इस ऑपरेशन को भारत में सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है , लेकिन विदेशों में मौजूद पीएफआई पर  नकेल कसाना मुश्किल है। विदेशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीएफआई का एजेंडा उससे जुड़े तमाम संगठन अब भी जारी रखे हुए हैं। सूत्रों की माने तो दावत-ए-इस्लामिया द्वारा पीएफआई पर लगे प्रतिबंध को भुनाने का काम किया जा रहा है, ताकि हिन्दुस्तान में मौजूद उसके पीएफआई  कैडर का फायदा अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए उठा सके। पीएफआई और दावत-ए-इस्लामिया दोनों का मकसद हिंदुस्तान में कट्टरपंथ को बढ़ावा देना है। इसके अलावा पता चला है कि पीएफआई के लिए पैसा विदेशों से पैसा एनआरआई अकाउंट में भेजा जाता था। इसके बाद यह पैसा पीएफआई लीडर्स के अकाउंट में भेजे देते थे। यह पूरी तरह से फॉरन फंडिंग रेगुलेशन लॉ का उल्लंघन है।
लगातार यूएई की यात्रा पर जाते थे पीएफआई नेता  
एनआईए ने जांच में पाया है कि चार संगठन के लीडर जमात-ए-इस्लामी, जीएफआई (केरल), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) अक्सर यूएई में अबू धाबी जाते हैं। दरअसल, एमिरेट्स इंडियन फटॅर्निटी फोरम और इंडियन कल्चरल सोसाइटी दुबई में पीएफआई का मुखौटा है। पीएफआई से जुड़े लोग रियल एस्टेट में बड़ी राशि का निवेश कर रहे हैं। पीएफआई के ज्यादातर कार्यकता टूर ट्रेवल कंपनी चलाते हैं, जिनका केरल में बड़ा नेटवर्क है। कुवैत में भी पीएफआई की जड़े काफी मजबूत है। वहां पीएफआई का मुखौटा है के आईएसएफ यानी दी कुवैत इंडियन सोशल फोरम। यह संगठन वहां सलाना मेंबरशिप के नाम पर लोगों से पैसा वसूल करता है ,ताकि विशेष समुदाय मदद कर सके। इस संगठन के टारगेट पर वहां के रईस कारोबारी और एम्प्लाइज होते हैं, जिन्हें ये बाबरी मस्जिद विध्वंस और हिंसा के वीडियो दिखाकर रेडिकैलाइस करते हैं और उनसे मोटी रकम वसूल करते हैं। पीएफआई ओमान में सीएफ यानी कल्चरल फोरम के नाम से संगठन चलाता है. इस संगठन से वहां बड़े पैमाने पर मलयाली समुदाय जुड़ा हुआ है। यह संगठन आईएसआईएस का बड़ा पैरोकार है।  इस संगठन का सदस्य मुहम्मद फहीमी सीरिया में आईएसआईएस से पैसा  मुहैया करवाता है।
हज के नाम पर भारत भेजी जाती थी मोटी रकम
हज के नाम पर सऊदी अरब से जीएफआई, आईएसएफ और आईएफएफ की तरफ से भारत में मोटी रकम भेजी जाती है, जिससे संगठन के पास कभी भी  पैसों की कमी नहीं रहती। यह रकम हवाला और गोल्ड स्मगलिंग के जरिए भी भेजी जीती है। हिंदुस्तान पहुंच रहा है। पीएफआई ई-वॉलेट के जरिए कानूनी मदद और सेवा के नाम पैसा ट्रांसफर किया जाता है। ओमान में सोशल फोरम के नाम संगठन पीएफआई, आईएसएफ और आईएफएफ के साथ मिलकर काम कर रहा है। पीएफआई की शाखा एनडीएफ ओमान में पूरी तरह से एक्टिव है, जिसने हवाला के जरिए पीएफआई को 44 लाख रुपये हिंदुस्तान भेजे हैं। पीएफआई को ये पैसा रेहाब इंडिया फाउंडेशन के जरिए भेजा जाता है।
अब महमूद की तलाश में एजेंसियां
एटीएस सहित कई जांच एजेंसियों को अब महमूद की तलाश है। पीएफआई के जनरल सेक्रेटरी अब्दुल खालिद का भाई मोहम्मद महमूद है। महमूद पिछले कई सालों में 6 बार पाकिस्तान जा चुका है। हालांकि, इंदौर पुलिस लगातार ठिकानों पर दाबिश दे रही है। एजेंसियों का दावा है कि महमूद की गिरफ्तारी के बाद बड़े खुलासे हो सकते हैं। पीएफआई का गल्फ देशों से संपर्क होने के बाद एजेंसी ने रिमांड के दौरान चीफ अब्दुल करीम से पूछताछ की थी। एटीएस ने सवाल करते हुए पूछा था कि मध्य प्रदेश को ही क्यों चुना? इस पर करीम ने बताया कि आसानी से लोगों को भड़काया जा सकता है। तब कुछ समय से जांच एजेंसियां भी सक्रिय नहीं थी। इसमें सिमी के स्लीपर ने मदद की थी। जिसके बाद कई राज्यों के पीएफआई के सदस्यों ने भी लोगों को शरिया कानून के लिए भड़काना शुरू कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक इसके कई सदस्य पाक जा चुके हैं। उनसे भी पूछताछ की गई है। इस बारे में इंदौर और उज्जैन के साथ केंद्रीय गृह और विदेश मंत्रालय जानकारी जुटा रहा है। इनके करीबियों की भी जानकारी खंगाली जा रही है।

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