- खास सप्लायरों के लिए टेंडर में रखी विशेष शर्तें

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
सिंगरौली में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए महिला बाल विकास विभाग द्वारा 5 करोड़ रुपए के चम्मच, सर्विंग चम्मच और जग खरीदने का विवाद अभी थमा भी नहीं है कि आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए प्री-स्कूल एजुकेशन किट खरीदने की तैयारी हो रही है। आरोप लगाया जा रहा है कि इसके लिए विभाग ने टेंडर में ऐसी शर्तें रखी हैं, ताकि कुछ खास सप्लायर ही टेंडर के लिए पात्र हो सकें। बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार करने में सहायक आंगनबाड़ी केंद्रों में एक साल के बच्चों का आना शुरू हो जाता है। इसी को देखते हुए प्री-स्कूल एजुकेशन किट तैयार किया गया है। सरकार की सोच है कि छह साल में जब बच्चा पहली कक्षा में दाखिले के लिए तैयार होता है। उससे पहले वह आंगनबाड़ी केंद्र में रहकर पढ़ाई के लिए तैयार हो पाएगा। उसे बेसिक जानकारी हो जाएगी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की तरह मप्र में भी आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-नर्सरी स्कूलों की तरह संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए केंद्रों में प्री-स्कूल एजुकेशन किट की जरूरत है। जिसमें रंगीन चार्ट पेपर, बिल्डिंग बाक्स, मोम कलर, पेंसिल कलर, कलर चाक, स्लेट-पेंसिल, गोंद, कठपुतली, गुड़िया, शैक्षिक खिलौने सहित अन्य सामग्री होती है। प्रदेश में 97,329 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनके लिए यह किट खरीदे जानी है। लेकिन खरीदी की यह प्रक्रिया विवादों में पड़ गई है। विभाग से होने वाली सालाना करोड़ों की खरीदी भोपाल, इंदौर, खंडवा की फर्म ही करती हैं। जेम पर इन्हीं फर्मों ने अपने आइटम रेट सैट कर रखे हैं जो बाजार दर से सैकड़ों गुना हैं। मसलन एक स्टील की एक चम्मच 810 रुपए की है जो बाजार में ब्रांडेड कंपनी की भी 40 से 50 रुपए की आती है। चारों फर्म आपस में टेंडर मैनेज कर आइटम वार करोड़ों के खेल में शामिल हैं।
सरकार के पास पहुंची शिकायत
मप्र महिला बाल विकास द्वारा आंगनवाडिय़ों में करोड़ों की सामग्री खरीदी विवादों में आ गई है। इस मामले की शिकायत सरकार के पास पहुंच गई हैं। पिछले दिनों संयक्त आयुक्त कार्यालय द्वारा अलग-अलग टेंडर जारी किए गए हैं जिनमें 97,329 आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए, प्री स्कूल किट, रंगीन एलईडी टीवी, बर्तन और योगा मैट खरीदे जाने हैं। खास बात यह है कि इन टेंडरों में ऐसी शर्तें अधिकारियों ने जोड़ दी हैं, जिसके चलते केवल चार पांच सप्लायर ही इन टेंडरों में भाग ले पायेंगे। प्रदेश के कुछ अन्य कारोबारियों ने शासन स्तर पर इस मामले शिकायत की हैं। प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की उपस्थिति और वहां संरचना किसी से छिपी नहीं है, लेकिन विभाग योगासन के लिए करोड़ों की मैट खरीदने जा रहा है। कमिश्नर महिला बाल विकास विभाग सूफिया फारूकी का कहना है कि टेंडर जेम की गाइडलाइन के मुताबिक होते हैं। स्टार्टअप का क्लॉज तो हमेशा होता है। फिर भी किसी खास ठेकेदार को फायदा दिलवाने की बात है तो आप नाम बताइये, मैं इसे दिखवा लेती हूं।