अच्छी सडक़ों पर सवा अरब रुपए खर्च करने की तैयारी

  • व्हाइट टापिंग के नाम पर खेल करने की योजना  
निर्माण

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
नियमानुसार जो सडक़ बेहद खराब हाल में पहुंच जाती है, उसका नऐ सिरे से निर्माण किया जाता है। इसमें भी अगर कोई सडक़ सुधार करने लायक होती है, तो उसे सुधारा जाता है, लेकिन लोक निर्माण विभाग में इस तरह के नियम कायदे और पंरपराओं का कोई मायने नही है।
यही वजह है की विभाग का उन सडक़ों पर अधिक फोकस रहता है, जो अन्य सडक़ों की तुलना में न केवल बेहतर होती हैं, बल्कि उन पर यातायात भी कम ही रहता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भोपाल ही है। शहर की कुछ सडक़ें तो ऐसी हैं, जो बेहद अच्छी होने के बाद भी हर साल पुर्ननिर्माण के दायरे में आती रहती हैं। दरअसल ऐसी सडक़ों के रखरखाव के पीछे अधिक लक्ष्मी की कृपा को माना जाता है। अब विभाग ने एक और  नया तरीका व्हाइट टापिंग का खोज लिया है। इसमें अहम बात यह है कि इस पद्दति से उन सडक़ों का निर्माण कराया जा रहा है, जो शहर की सबसे बेहतर सडक़ों में शामिल हैं। इनमें राजधानी के पॉश इलाकों सहित पॉलीटेक्निक चौराहे से सीएम हाउस और राजभवन की सडक़ों को शामिल किया गया है। ऐसा नहीं है कि अकेले भोपाल की गिनी चुनी ही सडक़ों का निर्माण व्हाइट टापिंग कराया जाएगा, बल्कि प्रदेश की अन्य सडक़ों की भी यहीं स्थिति है। पीडब्ल्यूडी ने खराब सडक़ों की अपेक्षा बेहतर सडक़ों का चयन इसके तहत किया है। प्रदेश में बारिश के दौरान करीब 50 फीसदी सडक़ों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। इन सडक़ों पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। इनका मेंटेनेंस कराने पर करीब सात सौ से लेकर आठ सौ करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। पीडब्ल्यूडी विभाग ने प्रदेश में 41 सडक़ों की व्हाइट टापिंग यानि सीमेंट कांक्रीट से निर्मित कराने की तैयारी पूरी कर ली है। इसके लिए टेंडर भी बुला लिए गए हैं। इन 41 सडक़ों के निर्माण पर करीब 300 करोड़ की राशि खर्च की जानी है। इससे यह तय है कि खराब सडक़ों से ज्यादा बेहतर सडक़ों पर निर्माण कार्य कराया जाना है। इसके उलट जो सडक़ें बेहद खराब स्थिति में हैं और उन पर यातयात का दबाव अधिक रहता है, उनको व्हाइट टापिंग की सूची में शामिल ही नहीं किया है।
शहर की यह सडक़ें शामिल
शहर  की जो सडक़ें सबसे अच्छी हैं और जिनको व्हाइट टापिंग की सूची में शामिल किया गया है, उनमें पत्रकार भवन से बिरला मंदिर, वल्लभ भवन, विंध्याचल, सतपुड़ा भवन होते हुए हॉट बाजार तक तथा मंत्रालय तिराहे से शिवाजीनगर चौराहा, ठंडी सडक़ और व्यापमं चौराहे तक सीमेंट कांक्रीट से सडक़ बनाई जाएगी। इसके अलावा पॉलीटेक्निक चौराहे से सीएम हाउस, राजभवन, एयरपोर्ट रोड फोरलेन, स्टेट हैंगर एवं ओल्ड टर्मिनल पहुंच मार्ग, स्टेट हैंगर पार्किंग टू लेन, मंत्री बंगला आकाशवाणी चौराहे से बंगला क्रमांक एक से 6 तक पहुंचा मार्ग, भोजपुर क्लब से 1100 क्वार्टर साथ ही अरोरा कॉलोनी के आंतरिक मार्गों का निर्माण कराया जाएग। यानि विभाग इन 14 सडक़ों के निर्माण पर एक अरब 19 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करेगा।
प्रदेश की किन सडक़ों को किया शामिल
इंदौर परिक्षेत्र में 20 करोड़ से तीन सडक़ें बनाई जाएगी, बुरहानपुर में 27 करोड़ से दो सडक़ें, ग्वालियर ग्रुप में 38.68 करोड़ से तीन सडक़ें, रीवा परिक्षेत्र में तीन सडक़ें 8 करोड़ में निर्मित कराई जाएगी। सागर में सर्किट हाउस पहुंच मार्ग और सिटी लिंक रोड 17.53 करोड़ में बनाया जाएगा। इसके अलावा नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, मंदसौर में किला पहुंच मार्ग तथा पशुपतिनाथ मंदिर पहुंच मार्ग का निर्माण कराया जाएगा। व्हाइट टापिंग कराने के लिए जिन आधा दर्जन खराब सडक़ों को शामिल किया है, उनमें भरत नगर केनाल मार्ग, डीआईजी बंगले से काली परेड होते हुए बेस्ट प्राइज, मंदाकिनी चौराहे से दानिश कुंज, एसबीआई चौराहे से करबला मार्ग, इंदिरा मार्केट से एनएच-12 आदि शामिल हैं।
इस तरह की होती है व्हाइट टॉपिंग
 विभाग के अधिकारियों ने बताया कि व्हाइट टॉपिंग तकनीक के तहत डामर रोड पर बेस मजबूत कर छह इंच कांक्रीट किया जाता है। यह तकनीक दक्षिण भारत के राज्यों सहित कई नेशनल हाइवे पर उपयोग में लाई जा रही है। भोपाल में भी ऐसी सडक़ें हैं, जहां हमेशा पानी भरने की समस्या होती है और बार-बार सडक़ें खराब होती हैं, वहां इसका उपयोग होगा। अन्य शहरों और हाईवे को भी चिह्नित कर इसे प्रयोग में लाएंगे। लेकिन, इसमें शर्त यह है कि सडक़ें भार की वजह से धंसे नहीं। यह तकनीक बहुत कारागर है और इसमें केवल एक बार खर्च करने के बाद बार-बार मेंटेंनेस की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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