विभागों के फालतू खर्चों पर… कैंची चलाने की तैयारी

विधानसभा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके पहले शिवराज सरकार वर्तमान कार्यकाल का अंतिम बजट मार्च में प्रस्तुत करेगी। चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार का सबसे अधिक फोकस विकास पर है। साथ ही सरकार सभी वर्गों को साधने के जतन भी करेगी। इसलिए बजट में सरकार सभी 55 विभागों के अनावश्यक खर्चों पर कैंची चलाएगी। वहीं राज्य बजट का अधिक से अधिक उपयोग सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं में करने की भी तैयारी है। नई योजनाएं वे ही शामिल की जाएंगी, जिनके उद्देश्य की पूर्ति किसी अन्य योजना के माध्यम से नहीं हो सकती है।
जानकारी के अनुसार विभागों से टैक्स और देनदारियों की जानकारी मांगी गई थी। विभागों ने अपनी रिपोर्ट वित्त विभाग को दे दी है। इसमें यह देखा जाएगा कि कहां-कहां टैक्स में राहत दी जा सकती है या मंदी के चलते टैक्स यथावत रखे जाएं। उधर राज्य में खर्चों में इजाफा हुआ है तो आय भी बढ़ी है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार आय में 15 प्रतिशत तक का इजाफा होने का अनुमान है। पिछले वित्तीय वर्ष में 2.15 लाख करोड़ की आय हुई थी। चालू वित्तीय वर्ष में यह बढक़र 2.49 लाख करोड़ की आय संभावित है , जबकि खर्चों में 14 प्रतिशत का अनुमान है। बीते वित्तीय वर्ष में 2.17 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए थे। चालू वित्तीय वर्ष में यह खर्च बढक़र 2.47 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है। बजट मंथन के लिए इस माह तक बैठकों का दौर पूरा हो जाएगा।

केंद्रीय योजनाओं का अधिक लाभ उठाने पर जोर
शिवराज सरकार ने वर्ष 2022-23 का बजट दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया था। यह अब तीन लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। राजस्व संग्रहण भी लक्ष्य के आसपास चल रहा है। सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए अनुपयोगी परिसंपत्ति के विक्रय के साथ अन्य माध्यमों से वित्त प्रबंधन करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। लोक निर्माण विभाग ने सडक़ परियोजनाओं के लिए पांच सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण लिया है। वहीं, आबकारी नीति के माध्यम से भी राजस्व बढ़ाया जा रहा है। तीन साल बाद रेत खदान नीलाम करने के लिए नीति लार्ई जा रही है। इसके माध्यम से भी राजस्व बढ़ाने का प्रयास होगा। सरकार अपने वित्तीय स्थिति मजबूत करने के साथ केंद्रीय योजनाओं के भरपूर उपयोग की कार्ययोजना पर काम कर रही है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार से केंद्रीय करों के हिस्से में इस वर्र्ष 64 हजार 107 करोड़ रुपये प्राप्त होने और 44 हजार 595 करोड़ रुपये का सहायता अनुदान अनुमानित है। इस राशि को प्राप्त करने के लिए लंबित प्रस्तावों को प्राथमिकता पर लेकर स्वीकृत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री लगातार केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं तो सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्तर पर भी केंद्रीय अधिकारियों सेे संवाद रखें। इसका लाभ भी प्रदेश को मिल रहा है। कई योजनाओं में प्रदेश का प्रदर्शन देश के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है।

सरकार की चिंता खर्च कम करने पर
 नए वित्तीय वर्ष के लिए बजट तैयार कर रही सरकार की चिंता खर्च कम करने को लेकर है, क्योंकि कमाई से ज्यादा खर्चा है। वेतन-भत्ते और ब्याज भुगतान पर बजट का 48 प्रतिशत हिस्सा खर्च हो जाता है। शेष 52 प्रतिशत विकास कार्य, योजनाओं इत्यादि पर खर्च होते हैं। अब सरकार का फोकस खर्चों में कमी पर है। इसके लिए  मंथन चल रहा है। वित्त विभाग ने भी सभी विभागों से खर्चों में कमी करने को कहा है। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य का बजट 2.79 लाख करोड़ का है। अब यह बढक़र 3 लाख करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है। चुनावी वर्ष में अधूरे पड़े विकास कार्यों को समय रहते पूरा करने का दबाव सरकार पर है। योजनाओं के लिए भी बजट की दरकार है।

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