बीयू को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी, अब खुद का होगा सिस्टम

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय

-फाइल ट्रैकिंग सिस्टम, गेस्ट फैकल्टी का लेखा-जोखा, वेतन सहित विभिन्न कार्यालयीन कार्यों के मॉड्यूल इसमें रहेंगे

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश की तर्ज पर ही आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम बीयूएमएस बनाने का निर्णय लिया गया है। यानी इस मामले में बीयू अब किसी अन्य पर निर्भर नहीं रहेगा। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि विश्वविद्यालय में अपना खुद का सॉफ्टवेयर तैयार हो जाने से इसका लाभ स्टूडेंट्स, प्रोफेसर, कर्मचारी सबको होगा। खासतौर पर इसके माध्यम से यूटीडी में होने वाले एडमिशन हो सकेंगे। स्टाफ की डिटेल भी उपलब्ध होगी। उन्हें दिए जाने वाले वेतन, गेस्ट फैकल्टी का लेखा-जोखा सहित विभिन्न कार्यालयीन कार्यों के मॉड्यूल भी इसमें रहेंगे। फाइल ट्रैकिंग सिस्टम लागू होने से वर्किंग में आसानी होगी। सिस्टम बन जाने के बाद विश्वविद्यालय स्तर पर ऑनलाइन कार्य व मॉनिटरिंग की जा सकेगी। हालांकि एमपी आॅनलाइन से होने वाले कार्यों को अभी इसमें नहीं जोड़ा जाएगा।
सबके काम आएगा सॉफ्टवेयर
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरजे राव का कहना है कि कोरोना काल में जब अधिकांश स्टाफ घर पर है और घर से ही काम करना चाह रहा है तो ऐसे में यह सिस्टम सभी के काम आएगा। इसके माध्यम से जुड़कर लोग अपना कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि इसके पूर्व आरजीपीवी ने अपना खुद का सॉफ्टवेयर बनाया था इसलिए यूनिवर्सिटी का कंसोर्टियम बना कर आईयूएमएस बनना था लेकिन हमारी यूनिवर्सिटी ही बहुत बड़ी है। हम खुद सिस्टम बना सकते हैं। आत्मनिर्भर भारत के तहत हमें यूनिवर्सिटी को भी आत्मनिर्भर बनाना है। इसमें विशेष यह है कि इस मैनेजमेंट सिस्टम को चलाने वाले भी हमारे ही लोग होंगे।
आरजीपीवी कर चुका है बड़े दावे
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) द्वारा लगभग दो वर्ष पूर्व राजभवन में हुई बैठक में इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम  (आईयूएमएस) बनाने की जिम्मेदारी ली गई थी। उस दौरान बड़ी बातें और बड़े दावे किए गए थे और कहा गया था कि आईयूएमएस बनाकर अन्य विश्वविद्यालयों के लिए इससे जोड़ा जाएगा। हालांकि इसके बाद से ही विश्वविद्यालय इस पर करीब सात लाख रुपए हर महीने खर्च कर रहा है लेकिन अब तक भी यह आईयूएमएस बनकर धरातल पर नहीं आ सका है। सूत्रों की माने तो आरजीपीवी यह कार्य अपने ही कम्प्यूटर साइंस डिपार्टमेंट, आईटी डिपार्टमेंट की फैकल्टी से नहीं करा कर बाहरी लोगों से करा रहा है। इस वजह से भी इसमें देरी हो रही है। बहरहाल आरजीपीवी द्वारा राजभवन में की गई बातें सिर्फ दावे ही बनकर रह गए हैं।
विभाग के लोग ही बना रहे सिस्टम
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा अपना खुद का सॉफ्टवेयर बनाने के निर्णय से आरजीपीवी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल आरजीपीवी द्वारा अपने विभाग के लोगों से काम ना कराया जाकर बाहरी लोगों से काम कराया जा रहा है, जबकि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय यह काम अपने ही लोगों से करा रहा है। बता दें कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का नाम उन पांच विश्वविद्यालयों में था जिन्होंने आरजीपीवी से एमओयू किया था लेकिन अब बीयू द्वारा खुद का सिस्टम बनाए जाने के निर्णय के बाद आरजीपीवी के दावों को बड़ा झटका लगा है।

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