– आबकारी अमला अवैध शराब तस्करी, और मनमाने दामों पर बिकने वाली शराब को रोकने के मामले में नकारा साबित हुआ
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। उप्र की तर्ज पर मप्र सरकार भी अगले माह से शराब के दामों में पांच फीसदी की वृद्धि करने की तैयारी कर रही है। इसकी वजह है इस बार नए वित्त वर्ष निकल जाने के बाद भी नए ठेके का न होना। इसकी वजह से सरकार पुराने ठेकेदारों को ही पांच फीसदी लाइसेंस फीस अधिक लेकर उनके ठेके जारी रखने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर प्रदेश में शराब के दामों में वृद्धि होना तय है। बीते साल कोराना की वजह से देर से ठेके हो सके थे और बीच में लॉकडाउन के चलते दुकाने बंद करनी पड़ी थीं। इसके चलते सरकार ने शराब ठेकेदारों को दो माह का अतिरिक्त समय देते हुए ठेके इस बार जून में कराने का फैसला किया था। इस बार भी अब अतिरिक्त समय देने के बाद कोरोना के चलते एक बार फिर लॉक डाउन के चलते शराब दुकानें बंद करनी पड़ी है। उधर सरकार ने नई शराब नीति तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। इसकी वजह से प्रदेश की भाजपा सरकार को हर दिन करीब 32 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसकी वजह से अब तक प्रदेश सरकार को करीब 600 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इस घाटे की भरपाई के लिए सरकार अब शराब के दामों में वृद्धि करने की तैयारी कर रही है। सरकार की मंशा पुराने ठेकों का ही नवीनीकरण करने की है। इसकी वजह है शराब ठेकों में लगने वाले समय की बचत के साथ ही नुकसान की पूर्ति करना। फिलहाल सरकार के सामने कोरोना पर काबू पाने की बड़ी चुनौती बनी हुई है , जिसकी वजह से प्रदेश में लॉकडाउन का समय एक बार फिर बढ़ने की पूरी संभावना बनी हुई है , ऐसे में इस माह दुकानें खुलना मुश्किल नजर आ रहा है। इसके चलते यह घाटा बढ़ना और तय है।
माना जा रहा है कि सरकार द्वारा नए ठेकों को लेकर अगले पखवाड़े तक कोई फैसला कर लिया जाएगा। अगर पांच फीसदी लाइसेंस फीस बढ़ा कर ठेकों को रिन्यू किया जाता है तो शराब के दामों में एक बार फिर वृद्धि होना तय है। फिलहाल प्रदेश में एक साल के अंदर शराब के दामों में करीब 25 फीसद की वृद्धि हो चुकी है। यही नहीं होली और नए वर्ष के अवसर पर ठेकेदारों द्वारा मनमाने तरीके से अलग से दाम बड़ा दिए जाते हैं। इसकी वजह है प्रशासन की अक्षमता और शराब ठेकेदारों का सिंडिकेट होना। अगर सरकार पांच फीसदी फीस में वृद्धि कर फिर से ठेके पुराने ही ठेकदारों को दे देती है तो एक बार फिर से शराब सिंडिकेट हावी हो जाएगा। इसकी वजह से इस बार मनमाने दामों पर खुलेआम शराब मिलेगी। हालांकि माना जा रहा है कि कोरोना कफर््यू के चलते लगाए गए लॉकडाउन के चलते सरकार एक बार फिर शराब ठेकेदारों को कुछ राहत अवधि में वृद्धि कर दे सकती है। फिलहाल नए ठेकों को लेकर मंथन का दौर जारी है। अगर अवधि में वृद्धि की जाती है तो शराब के नए ठेके एक माह और पिछड़ जाएंगे। इस बीच नई शराब ठेका पॉलिसी को लेकर शासन व सरकार स्तर पर कवायद जारी है।
माना जा रहा है कि सरकार का पूरा जोर पांच फीसद की फीस में वृद्धि कर लाइसेंस को रिन्यू करने पर है , लेकिन अगर किसी जिले का ठेकेदार सरकार की इस शर्त को नहीं मानता है तो फिर सरकार द्वारा टेंडर जारी किए जाएंगे। गौरतलब है कि बीते साल सरकार द्वारा शराब ठेकेदारों को सिंडीकेट बनाने की सुविधा देते हुए फीस में बीस फीसद की वृद्धि की गई थी , जिसकी वजह से ठेकों में देरी हुई थी।
यह हैं प्रदेश में शराब दुकानों की स्थिति
प्रदेश में फिलहाल देशी शराब की 2541 दुकानें हैं। इसी तरह से विदेशी मदिरा की 1070 और 358 बार हैं। इनकी नीलामी से प्रदेश सरकार को बीते वित्त वर्ष में करीब 11 हजार करोड़ रुपए की आय की संभावना थी, लेकिन विपरीत हालातों को चलते सरकार इस आंकड़े को नही छू सकी है। अगर शराब से होने वाली आय को बीते पांच सालों के आंकड़े को देख जाए तो सरकार को 2019-20 में सर्वाधिक 10773 करोड़ रुपए की आय हुई थी। उसके बाद के दोनों सालों में भी सरकार इतनी आय प्राप्त नहीं कर सकी है।
आय कम होने की यह भी वजह
प्रदेश में शराब सिंडिकेट होने की वजह से ठेकेदारों द्वारा शराब को मनमाने दामों पर बेचा जा रहा है , जिसकी वजह से प्रदेश में आसपास के इलाकों से सस्ती शराब की तस्करी में वृद्धि हुई है। इसके अलावा अवैध शराब माफिया भी बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर देशी शराब बनाकर सस्ते दामों पर बेच रहा है। आबकारी अमला अवैध शराब तस्करी, और मनमाने दामों पर बिकने वाली शराब के मामले में पूरी तरह से नकारा साबित हो चुका है , जिसकी वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
05/05/2021
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