- 26 जनवरी के बाद मप्र को मिल सकता है नया परिवहन आयुक्त
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आईएएस अधिकारियों के छिटपुट तबादले के साथ ही सरकार ने आईपीएस अधिकारियों के तबादले की तैयारी कर ली है। इसके तहत कई जिलों के एसपी के साथ ही आईजी, डीआईजी के अलावा पुलिस मुख्यालय में भी फेरबदल होगा। पीएचक्यू के सूत्रों का कहना है कि गणतंत्र दिवस के बाद पुलिस विभाग में थोकबंद तबादले होंगे। इसी दौरान मप्र को नया परिवहन आयुक्त भी मिल सकता है। मप्र का परिवहन विभाग पिछले 42 दिन से बिना आयुक्त के काम कर रहा है। इस कारण विभाग की कार्यप्रणाली सुस्त हो गई है।
गौरतलब है कि नई सरकार के गठन के बाद से ही पुलिस विभाग में बहुप्रतीक्षित फेरबदल की प्रतीक्षा है। पहले अयोध्या में रामलला की स्थापना के दौरान प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखने के कारण पुलिस विभाग में फेरबदल रोक दिए गए थे। अब जबकि अयोध्या में रामलला की स्थापना शांतिपूर्ण ढंग से हो चुकी है। इस कारण संभावना है कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के बाद पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल हो सकता है। फेरबदल में दर्जन भर एसपी के साथ कुछ रेंज डीआईजी व जोन आईजी भी बदलेंगे। पदोन्नति के बाद दो अधिकारियों राजाराम सिंह परिहार तथा आशुतोष प्रताप सिंह को छोडक़र सभी अपने पद पर यथावत हैं। परिहार को डीआईजी जबलपुर के पद से पदोन्नति के बाद आईजी पुलिस मुख्यालय बनाया गया है, जबकि संचालक जनसंपर्क आशुतोष प्रताप सिंह की सेवाएं पुलिस विभाग को लौटा दी गई हैं।
करीब डेढ़ माह से खाली है परिवहन आयुक्त पद
गुना बस हादसे में 13 लोगों की मौत के बाद सरकार ने परिवहन आयुक्त एसके झा को हटा दिया था। तब से लेकर आज तक आयुक्त का पद खाली है। यही नहीं परिवहन विभाग में कोई उपायुक्त न होने के कारण परमिटों के नवीनीकरण में काफी परेशानी हो रही है। अधिकांश आरटीओ के पद भी कार्यवाहकों के भरोसे है। परिवहन आयुक्त के लिए एडीजी सीआईडी बिजलेंस पवन कुमार श्रीवास्तव, एडीजी सायवर सेल योगेश देशमुख, संचालक खेल व युवक कल्याण रवि गुप्ता तथा एडीजी इंदौर देहात राकेश गुप्ता के नाम की चर्चा है। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव दो अधिकारियों एडीजी सायबर सेल योगेश देशमुख तथा राकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली से अच्छी तरह परिचित है। देशमुख उज्जैन जोन के आईजी व एडीजी रह चुके हैं। मुख्यमंत्री ने तेजतर्रार व ईमानदार छवि के कारण ही देशमुख को उज्जैन संभाग के एडीजी का प्रभार सौंपा है। वही राकेश गुप्ता उज्जैन एसपी, डीआईजी व आईजी रहे हैं। इस कारण मुख्यमंत्री उनकी कार्यप्रणाली से अच्छी तरह परिचित हैं। अति विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार राकेश गुप्ता को परिवहन आयुक्त या ओएसडी मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। मुख्यमंत्री के वर्तमान ओएसडी अंशुमान सिंह को किसी रेज का आईजी बनाया जा सकता है।
एपी सिंह की सेवाएं मूल विभाग को
मध्यप्रदेश कैडर के 2010 बैच के आईपीएस अफसर व संचालक जनसंपर्क एपी सिंह की सेवाएं मूल विभाग को सौप दी गई है। वे डीआईजी पीएचक्यू बनाए गए है। सिंह मध्यप्रदेश जनसंपर्क संचालनालय में संचालक के पद पर पदस्थ थे। वे एसपी रैंक के अधिकारी थे। उन्हें एक जनवरी 2024 की स्थिति में डीआईजी के पद पर पदोन्नति मिली थी। पदोत्रति के बाद से उन्हें मूल विभाग में वापस भेजे जाने की अटकलें थी। सिंह ने खुद भी मूल विभाग में वापस किए जाने का आग्रह किया था। आज जारी आदेश में उन्हें पीएचवूय में डीआईजी के पद पर पदस्थ किया गया है।
लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू एडीजी के पद रिक्त
पुलिस अधिकारियों के तबादले के तहत सरकार का फोकस लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू पर रहेगा। लोकायुक्त में लंबे समय से रिक्त एडीजी व आईजी के पदों को भरा जाएगा। ईओडब्ल्यू में भी एडीजी का पद रिक्त है। पुलिस विभाग में अधिकारियों को पदोन्नति एक जनवरी को दे दी गई थी, लेकिन पदस्थापना यथावत है। जिससे कई जिलों में अभी डीआईजी ही एसपी तथा डीसीपी का काम देख रहे है। भोपाल में पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र आईजी हैं, वही अपर पुलिस आयुक्त अनुराग शर्मा भी आईजी वेतनमान में पदोन्नत हो चुके है। शर्मा को स्थानांतरित कर किसी डीआईजी को वहां पदस्थ किया जाएगा। उज्जैन जोन में भी दो आईजी हैं। संतोष कुमार सिंह पहले से ही वहां आईजी कुमार पदस्थ थे। डीआईजी उज्जैन अनिल सिंह कुशवाहा भी पदोन्नति के बाद आईजी बन गए है। यही स्थिति रीवा जोन की भी है। प्रशासन शाखा में भी दो एडीजी है। विजय कटारिया पहले से ही वहां पदस्थ थे। पदोन्नति के बाद श्रीमती दीपिका सूरी भी एडीजी बन गई हैं। दो एडीजी अनिल कुमार तथा संजीव शमी के पास दो-दो शाखाओं का प्रभार है। लंबे असे बाद पुलिस विभाग में आईजी व डीआईजी स्तर के अधिकारियों की संख्या पर्याप्त हो गई है। अब अधिकांश शाखाओं में रिक्त पदों को भरा जाएगा। छत्तीसगढ़ से वापसी के बाद खन्ना दंपत्ति विनीत खन्ना तथा हिमानी खन्ना को पदस्थापना की प्रतीक्षा है। दोनों आईजी वेतनमान में पदोन्नत हो चुके हैं। लोकायुक्त तथा ईओडब्ल्यू में लंबे समय से पदस्थ अधिकारियों को इधर-उधर किया जा सकता है।