विदिशा-छिंदवाड़ा में अपनी.. जमीन तलाश रहे हैं प्रहलाद?

प्रहलाद पटेल
  • दमोह में भाजपा के घटते जनाधार से परेशान हैं प्रहलाद पटेल

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। 
    मप्र में भाजपा इनदिनों पूरी तरह चुनावी मोड में है। पार्टी मिशन 2023 के साथ ही मिशन 2024 की तैयारी में जुटी हुई है। ऐसे में केंद्रीय जलशक्ति एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल की प्रदेश की राजनीतिक वीथिका में चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा इसलिए हो रही है कि पटेल अपने लोकसभा क्षेत्र को छोड़कर विदिशा और छिंदवाड़ा में सक्रिय हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि दमोह में भाजपा के गिरते जनाधार को देखते हुए प्रहलाद पटेल विदिशा और छिंदवाड़ा में अपने लिए राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं।
    गौरतलब है कि प्रहलाद पटेल वर्तमान में दमोह से सांसद है। लेकिन कुछ साल पहले तक भाजपा के गढ़ रहे दमोह में पार्टी का जनाधार तेजी से गिरा है। यही कारण है कि विधानसभ उपचुनाव में प्रहलाद पटेल की लाख कोशिश और मेहनत के बावजुद भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी जीत नहीं पाए। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में लोधी ने कांग्रेस से चुनाव जीता था। ऐसे में अब प्रहलाद पटेल कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं।
    दमोह में लोधी बनाम ऑल का माहौल
    जानकारों का कहना है कि प्रहलाद पटेल की परेशानी की एक वजह यह है कि दमोह में उपचुनाव के बाद से लोधी बनाम ऑल का माहौल बन गया है। माना जा रहा है कि आगामी चुनावों में भी यह स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में प्रहलाद पटेल के लिए राह कठिन हो जाएगी। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रहलाद पटेल को सभी वर्गों का वोट मिला था। लेकिन अब क्षेत्र का माहौल पूरी तरह बदल गया है।
    छिंदवाड़ा पर भी नजर
    विदिशा संसदीय सीट भाजपा की हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है। यहां अक्सर पार्टी बड़े नेताओं को टिकट देती है। ऐसे में पटेल की छिंदवाड़ा पर भी नजर है। गौरतलब है कि पूर्व में वे छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ चुके हैं और कमलनाथ को कड़ी टक्कर दे चुके हैं। इसलिए वे गतदिनों छिंदवाड़ा में सक्रिय रहे। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के गृह नगर छिंदवाड़ा में ही उनके खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। उन्होंने कमलनाथ का नाम लिए बिना उन पर हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह ऐसा जिला है जहां बिना काम के ही भुगतान कर दिया जाता है। सिंचाई प्रोजेक्ट में ठेकेदार को तीन करोड़ का एडवांस पैमेंट का उन्होंने मुद्दा उठाया और चेतावनी दी कि अब ऐसी गड़बड़ी करने वाले जेल जरूर जाएंगे। उनके बयान और सक्रियता को मिशन 2024 की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है।
    अपनों का भी नहीं मिलेगा साथ
    उपचुनाव में प्रहलाद पटेल ने जिस तरह जयंत मलैया का खुलेआम विरोध किया था उससे यहां भाजपा दो भाग हो गई है। उपचुनाव में भाजपा की हार ही एक वजह यह भी थी। वहीं माना जा रहा है कि अगर 2024 में प्रहलाद पटेल चुनाव लड़ते हैं तो मलैया खुलकर उनका विरोध कर सकते हैं। यह भी एक वजह हो सकती है की प्रहलाद पटेल ने अपने संसदीय क्षेत्र के बाहर अपने लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी है।
    विदिशा के विकास पर फोकस
    प्रहलाद पटेल के अब तक के कार्यकाल का आकलन किया जाए तो हम पाते हैं कि पिछले दो साल में उन्होंने अपनी ससुराल विदिशा व उसके आसपास बहुत काम कराया है। साथ ही वहां सक्रियता भी बढ़ाई है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। गौरतलब है कि विदिशा भाजपा का गढ़ है।

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