मप्र में गहराने लगा बिजली संकट

बिजली संकट

कोयले की कमी के कारण अघोषित बिजली कटौती
-शहर से लेकर गांव तक बिजली कटौती से लोग परेशान
-गर्मी के इन दिनों में 20 प्रतिशत अधिक बिजली की खपत हो रही है
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
मप्र में बिजली महंगी हो गई है। इस बीच कोयले की कमी के कारण बिजली संकट भी शुरू हो गया है। प्रदेश में बिजली संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने दिल्ली जाकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात तक करनी पड़ी।  ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हर दिन कम से कम 12.5 रैक जरुर उपलब्ध कराए जाएं, जबकि अभी कोयले के रैक कम हो गए हैं। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि यदि रैक की उपलब्धता नहीं कराई गई, तो आगे चलकर दिक्कत आ सकती है।
जिस कारण शहर से लेकर गांव तक आघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है। गर्मी में बिजली की मांग बढ़ गई। 12 हजार के करीब मेगावाट रोज डिमांड है। 12 हजार की जगह सिर्फ 10 हजार के करीब बिजली उत्पादन हो रहा है। यानी जरूरत से भी कम बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसके साथ ही 44 डिग्री तापमान के बीच अघोषित बिजली कटौती से ग्रामीण परेशान हो गए हैं। अघोषित कटौती से किसानों की खेती को भारी नुकसान हो रहा है। कई जगहों पर ग्रामीण और बिजली के विभाग के बीच विवाद का वीडियो भी सामने आया है। मांग पूरी नहीं होने के कारण ग्रामीण इलाकों में 4 घंटे से ज्यादा अघोषित कटौती की जा रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गर्मी के कारण अचानक से बिजली की खपत बढ़ गई है। आम तौर के बजाए गर्मी के इन दिनों में 20 प्रतिशत अधिक बिजली की खपत हो रही है। खपत अधिक होने और उत्पादन प्रभावित होने के कारण फीडर बंद हुए तो कटौती होना शुरू हो गई । जनरेशन और डिमांड में आए अंतर के कारण अघोषित कटौती का दौर शुरू हो चुका है।  शाम को पीक समय के चलते लोड सेटिंग के कारण कटौती की जा रही है।
तोमर ने सिंधिया का बताए हालात
प्रदेश में कोयला संकट का अलार्म देखकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मदद के लिए हस्तक्षेप किया है। ऊर्जा मंत्री तोमर ने दिल्ली में सिंधिया को जाकर भी कोयला संकट की पूरी स्थिति बताई। इसके बाद सिंधिया ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को कोयला की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आग्रह किया है। सिंधिया ने प्रदेश को निश्चित कोटे का पूरा कोयला भेजने के लिए रैक बढ़ाने के लिए कहा है।
आगामी समय में खरीफ का मौसम आना है, ऐसे में यदि कोयला संकट रहता है तो बिजली आपूर्ति पर प्रभाव पड़ेगा। इससे खेती की बिजली पर सबसे ज्यादा असर आ सकता है। इस कारण सिंधिया ने मामले में जल्द हल निकालने के लिए कहा है। पिछले साल देशभर में कोयला संकट छाया था। तब बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई थी। हालांकि मप्र में ज्यादा असर नहीं हुआ था। केवल खेती के फीडरों पर आपूर्ति में कुछ कमी आई थी। घरेलू उपभोक्ताओं पर असर नहीं पड़ा था। देश में 10-12 दिन यह संकट चला था। मप्र में 3-4 दिन ही असर हुआ था। इसका कारण रिजर्व कोयला पर्याप्त रहना था।
हर कोई है कटौती से परेशान
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने बताया कि 24 घंटों में करीब 10 बार अघोषित विद्युत कटौती की जा रही है। रात में कभी भी एक से डेढ़ घंटे की कटौती हो जाती है। सुबह-शाम हो रही वो अलग है। एक तो गर्मी और मच्छरों से बेहाल हैं।  ऊपर से लाइट कटौती की मार से रात भर जगाना पड़ रहा है। लगातार हो रही कटौती से आम लोगों में जहां आक्रोश बढ़ता जा रहा है तो वहीं ,जिले में कांग्रेस द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा ने लगा है। बिजली कंपनी से लेकर सीएम के खिलाफ कटौती को लेकर प्रदर्शन हो रहे है। तो सोशल मीडिया पर भी कटौती के चलते सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ आम लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
 4 दिन का ही कोयला बचा
कोयले की भारी कमी के कारण बिजली संकट गहराने लगा है। हालत यह है कि प्रदेश के चारों थर्मल पॉवर हाउस में 1 से 4 दिन तक का कोयला बचा है। प्रदेश में बिजली संकट के मद्देनजर ऊर्जा मंत्री तोमर दिल्ली में  रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले। उन्होंने रेल मंत्री को मप्र के हालात बताए। तोमर ने कहा मप्र में कोयले के परिवहन के लिए रोजाना 12.5 रैक की जरूरत होती है, जबकि 8.6 रैक ही मिल पा रहे हैं।  इससे रोजाना 15600 मीट्रिक टन कोयला कम मिल रहा है। ऊर्जा मंत्री ने कहा मध्यप्रदेश में थर्मल पॉवर से बिजली उत्पादन क्षमता 4570 मेगावाट है। तय प्रावधान के मुताबिक 26 दिन का कोयला होना जरूरी है। इन 26 दिनों के लिए 40 लाख 5600 मीट्रिक टन कोयला होना जरूरी है, ताकि ब्लैकआउट जैसे खतरे से बचा जा सके। लेकिन, अब कोयला की आपूर्ति कम होने से  रिजर्व कोयले के इस्तेमाल की स्थिति बन गई है। ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में दिक्कत हो सकती है।

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