- गौरव चौहान
मप्र में नए मंत्रियों को जल्द ही विभाग का बंटवारा हो जाएगा। दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रियों का पोर्टफोलियो फाइनल कर लिया है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों के पास प्रमुख विभाग रहेंगे। गौरतलब है कि विभाग वितरण पूरी तरह से मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन डॉ. मोहन यादव सब को विश्वास में लेकर काम कर रहे हैं। इसी कारण उन्होंने दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री अपने पास सामान्य प्रशासन, जनसंपर्क व विमानन विभाग रख सकते हैं। बताया जा रहा है कि संभवत:आज या कल मंत्रियों को विभागों का आवंटन किया जा सकता है। मुख्यमंत्री दिल्ली से आज वापस आएंगे। यह पहला अवसर है, जब मंत्रियों को विभाग वितरण में इतना समय लग रहा है। सामान्यत: मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभाग आवंटित कर दिए जाते हैं, ताकि मंत्री काम शुरू कर दें। सूत्रों का कहना है कि दिग्गज नेता अपने पास मलाईदार विभाग रखना चाहते है। उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी इससे अवगत करा दिया है। दोनों डिप्टी सीएम को भी ओहदे के हिसाब से बड़े विभाग दिए जाने हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने समर्थक मंत्रियों को पूर्व की तरह अच्छे विभाग दिए जाने पर अड़े हैं। यही वजह है कि विभागों के आवंटन में देरी हो रही है। अब मंत्रियों के विभाग आवंटन पर सहमति बन गई है।
छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के विभाग वितरण के बाद अब सबकी निगाहें डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल के विभागों को लेकर है। सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ में दोनों उप मुख्यमंत्रियों को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी गई है, उसी तरह मध्यप्रदेश के दोनों उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को महत्वपूर्ण विभाग दिया जाएगा। देवड़ा को पुराना विभाग वित्त व वाणिज्यिककर फिर मिल सकता है, जबकि राजेन्द्र शुक्ला को गृह व जेल विभाग दिया जा सकता है। एक चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री गृह व जनसंपर्क विभाग अपने पास रखकर किसी राज्यमंत्री को अपने साथ संबंध कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में राजेन्द्र शुक्ला को इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है।
शाह करेंगे साइबर तहसील व्यवस्था का लोकार्पण
प्रदेश के सभी जिलों में एक जनवरी, 2024 से साइबर तहसील व्यवस्था लागू होगी। इसके बाद रजिस्ट्री होने के 15 दिन के भीतर क्रेता के पक्ष में नामांतरण होगा। इसके लिए अलग से कोई आवेदन नहीं करना होगा। इसी तरह अविवादित नामांतरण के लिए सभी पक्षों को तहसील कार्यालय आने की आवश्यकता भी नहीं होगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस व्यवस्था के लोकार्पण के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर उन्हें आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रदेश की जनता को दी गई संकल्प-पत्र 23 की गारंटियों की पूर्ति के लिए सरकार संकल्पित है। इसी क्रम में एक जनवरी, 2024 से पूरे प्रदेश में साइबर तहसील की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। इस व्यवस्था में आधुनिक तकनीक के उपयोग से बिना आवेदन दिए पारदर्शी तरीके से रजिस्ट्री के 15 दिन के भीतर क्रेता के पक्ष में नामांतरण किया जाएगा और खसरा-नक्शा में भी तत्काल सुधार किया जा सकेगा। प्रथम चरण में इस प्रक्रिया को केवल ऐसे अविवादित प्रकरणों में लागू किया जा रहा है, जहां विक्रय पूरे खसरे का है। इसके बाद इसे सभी प्रकार के अविवादित नामांतरण और बंटवारे के प्रकरणों में लागू किया जाएगा। साइबर तहसील के माध्यम से ऑनलाइन, पेपरलेस और फेसलेस प्रक्रिया से नामांतरण होने से शासन सुशासन से सुराज की दिशा में आगे बढ़ेगा। गौरतलब है कि प्रदेश में दतिया एवं सीहोर दो जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 27 मई, 2022 को साइबर तहसील शुरू की गई थी। इसके बाद इंदौर, हरदा, डिंडौरी, सागर, आगर मालवा, बैतूल, उमरिया, श्योपुर, विदिशा एवं ग्वालियर जिलों में साइबर तहसील व्यवस्था प्रभावशील की गई। इस तरह डेढ़ साल में साइबर तहसील व्यवस्था 12 जिलों की में लागू हो गई। बाकी जिलों में यह एक जनवरी से लागू की जाएगी।
बड़े नेताओं को एडजस्ट करना है चुनौती!
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि कई बड़े नेता अपने समर्थक मंत्रियों के लिए हाई प्रोफाइल मिनिस्ट्री की मांग कर रहे हैं। दरअसल मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अभी तक मंत्रालयों का बंटवारा नहीं हो सका है, इसका कारण हैं गृह, परिवहन, नगरीय प्रशासन और आबकारी जैसे महकमे, जो हाई प्रोफाइल माने जाते हैं। इन विभागों को लेकर बड़े नेता कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं इस बार भाजपा के कई कद्दावर नेता विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते हैं तो ,भाजपा की मुश्किलें और बढ़ी हुई हैं। इस बीच भाजपा संगठन के लिए कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल और राकेश सिंह के लिए कद के हिसाब से मंत्रालय तय करने में भी मुश्किल आ रही है। इस मुश्किल से निपटने के लिए भाजपा भी कई तरीके आजमा सकती है।
दिग्गजों को मिलेंगे बड़े विभाग
भाजपा सूत्रों का कहना है कि दिल्ली से मिले संकेतों के अनुसार कैलाश विजयवर्गीय को नगरीय प्रशासन व विकास तथा संसदीय कार्य, प्रहलाद पटेल को पंचायत व ग्रामीण विकास, राकेश सिंह को लोक निर्माण, राव उदय प्रताप सिंह को कृषि, इंदर सिंह परमार को स्कूल शिक्षा तथा करण सिंह वर्मा को राजस्व विभाग दिया जा सकता है। विजय शाह को वन तथा संपतिया उइके को आदिम जाति कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। विश्वास सारंग को स्वास्थ्य व गैस राहत, कृष्णा गौर को महिला व बाल विकास तथा नारायण सिंह पवार को मिल सकता है पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण।