- नर्मदा नदी में अब भी गिर रहे नाले
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)और प्रदूषण नियंत्रण मंडल की सख्ती के बाद भी मप्र की जीवनधारा पुण्य सलिला नर्मदा के जल में नाले गिर रहे हैं। जो इस बात का संकेत है कि गंदे पानी से प्रदूषित हो रही नर्मदा को बचाने में योजनाएं कागजों पर चल रही हैं। नालों को नर्मदा से मिलने रोकने की दिशा में ठोस इंतजाम भी नहीं किए। अब यह लापरवाही भारी पडऩे जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने 10 जिलों के 16 नगरीय निकायों पर 79.44 करोड़ का पर्यावरण क्षति हर्जाना लगाया। वहीं, अब भी कई नगरों की डंपिंग साइट्स पर 33 लाख टन कचरा जमा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) न होने सेरोज 1369 एमएलडी सीवेज बह रहा है। गौरतलब है कि घरों से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करने के लिए 2017-18 में अर्बन डेवलपमेंट (एमपीयूआईडीसी) को कंपनी 21 एमएलडी के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट एसपीटी प्लांट बनाना था, लेकिन इसका निर्माण अब तक नहीं हो सका है। इससे गंदे नाले सीधे नर्मदा में मिल रहे हैं। गुजरात हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता कीर्ति कुमार सदाशिव भट्ट ने नर्मदा में बढ़ते प्रदूषण के लिए मप्र को जिम्मेदार बता कार्रवाई की मांग की थी। हाईकोर्ट से याचिका एनजीटी – सेंट्रल जोन पहुंची और सुनवाई हुई। सुनवाई में मप्र अर्बन डेवलपमेंट कंपनी के चीफ इंजीनियर आनंद सिंह ने कहा, जहां एसटीपी बन गए, वहां चालू है। बाकी बन रहे हैं। देरी पर ठेकेदारों की गारंटी राशि जब्त की जा रही है।
16 निकायों पर 79 करोड़ जुर्माना
प्रदेश में पर्यावरण नियमों के प्रति नगरीय निकायों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। घरों से निकलने वाले कचरे और सीवेज का प्रबंधन नहीं कर पा रहे हैं। इससे जलस्रोत दूषित हो रहे हैं। नर्मदापुरम में दो साल में कचरा और सीवेज प्रबंधन में ज्यादा सुधार नहीं होने और नर्मदा में नालों का गंदा पानी मिलने के कारण नगर पालिका परिषद पर सबसे ज्यादा 8.46 करोड़ जुर्माना लगाया। धरमपुरी धार, अमरकंटक, डिंडोरी, बुदनी, शाहगंज, शहडोल, मंडला के नगरीय निकायों के साथ जबलपुर नगर निगम पर भी 1.90 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया। गौरतलब है कि एनजीटी ने 10 नवंबर 2022 को इस लापरवाही पर राज्य सरकार पर 3000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। तत्कालीन मुख्य सचिव के शपथ-पत्र के बाद इसे स्थगित कर 6 माह का समय दिया गया। तब से दो साल और बीतने को आ गए, लेकिन पूरे इंतजाम नहीं हो सके। सुनवाई में सीएस ने कहा था, सीवेज प्रबंधन के लिए मध्यप्रदेश में 9688 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसमें 2731 करोड़ रुपए केंद्र सरकार का हिस्सा है, बाकी राज्य खर्च करेगा।