मप्र में नए जिलों की राजनीति…

  • पुराने प्रस्ताव अधर में , नए पर जोर…
  • गौरव चौहान
जिलों की राजनीति

मप्र में पिछले दो दशक में नए जिले बने हैं। वहीं अभी भी नए जिले की राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां के जनप्रतिनिधि और लोग अपने क्षेत्र को जिला बनाने की मांग लगातार उठा रहे हैं। अब नए जिले की राजनीति कहां थमेगी, यह कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि जिला बनाने के पुराने प्रस्ताव अधर में हैं और नए जिले बनाने की कवायद जोरों पर है। दरअसल, नागदा को जिला बनाने का प्रस्ताव अधर में लटका हुआ है, वहीं खुरई-बीना को जिला बनाने के लिए धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है, जबकि जुन्नारदेव को जिला बनाने की तैयारियां शुरू हो गई है।
दरअसल, साल 2000 में जब मप्र और छत्तीसगढ़ अलग हुए थे, उस समय मप्र में केवल 45 जिले थे। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने नए जिले बनाने की शुरुआत की। पहले जनसंख्या, क्षेत्रफल और कई अन्य कारणों से नया जिला बनाने की मांग उठती थी लेकिन अब प्रदेश की राजनीति में वोट बैंक के चलते भी नया जिला बनाने की मांग तेजी से उठ रही है। मप्र में इन 24 सालों में 10 नए जिले बन चुके हैं जबकि मप्र के कई और इलाकों ऐसे है जहां अभी भी नया जिला बनाने की मांग उठ रही है। वर्तमान में मप्र में 55 जिले हो चुके हैं।
जुन्नारदेव को जिला बनाने की कवायद शुरू
पिछले साल छिंदवाड़ा जिले की तहसील पांढुर्णा को जिला बनाया गया था, अब छिंदवाड़ा जिले की जुन्नारदेव तहसील को जिला बनाने की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है। राजस्व विभाग ने हाल में कलेक्टर छिंदवाड़ा से इस संबंध में प्रतिवेदन भेजने को कहा है। यदि सरकार जुन्नारदेव को जिला बनाती है, तो छिंदवाड़ा जिला तीन हिस्सों में बंट जाएगा। इसके अलावा मंदसौर जिले के गरोठ, रतलाम जिले के जावरा, शिवपुरी जिले के पिछोर, देवास जिले के बागली, सोनकच्छ वखातेगांव, गुना जिले के चाचौड़ा, विदिशा जिले के गंजबासौदा, सिवनी जिले के लखनादौन को भी वर्षों से जिला बनाने की मांग की जा रही है। अब फैसला सरकार के हाथ में है कि किसी तहसील को जिला बनाया जाए या नहीं। सरकार राजनीतिक नफा-नुकसान को देखते हुए इस संबंध में आगे निर्णय लेगी। वर्तमान में प्रदेश में 55 जिले हैं। प्रदेश में जब किसी नगर या तहसील को जिला बनाया जाता है, तो सबसे पहले संबंधित जिले के कलेक्टर दावे-आपत्ति बुलाते हैं। दावे-आपत्तियों का निराकरण होने के बाद जिले से प्रस्ताव शासन को भेजा जाता है। फिर कृषि उत्पादन आयुक्त की बैठक में इस पर चर्चा होती है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद जीएडी और वित्त विभाग के पास प्रस्ताव भेजा जाता है। इसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में रखा जाता है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद नया जिला बनाने के आदेश जारी होते हैं और अधिसूचना जारी कर दी जाती है।
नागदा का मामला एक साल से होल्ड पर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन की तहसील नागदा को जिला बनाने का प्रस्ताव एक साल से होल्ड पर है। इस बीच राजस्व विभाग ने छिंदवाड़ा जिले की जुन्नारदेव तहसील को जिला बनाने के संबंध में कलेक्टर से प्रतिवेदन भेजने को कहा है। पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नागदा, मैहर, पांढुर्णा और मऊगंज को जिला बनाने की घोषणा की थी। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले मैहर, पांढुर्णा और मऊगंज जिले का गठन हो गया, लेकिन नागदा जिला नहीं बन पाया। सीएम की घोषणा के अनुपालन में कलेक्टर उज्जैन ने दावे-आपत्ति बुलाए थे। अफसरों का कहना है कि दावे-आपत्तियों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण उनका निराकरण नहीं किया जा सका और नागदा को जिला बनाने की प्रक्रिया अटक गई है। नागदा में उज्जैन जिले की नागदा व खाचरौद तहसील और रतलाम जिले की आलोट व ताल तहसील शामिल करने का निर्णय लिया गया था। दिलीप सिंह गुर्जर पूर्व विधायक नागदा का कहना है कि मैं लंबे समय से नागदा को जिला बनाने की लड़ाई लड़ रहा हूं। दावे-आपत्तियों का निराकरण हो चुका है। क्षेत्र के लोगों की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री को 15 अगस्त से पूर्व नागदा का जिले के रूप में गठन करना चाहिए।
खुरई-बीना में प्रदर्शन
कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आने वालीं बीना विधायक निर्मला सप्रे के एक बयान के बाद प्रदेश में नए जिलों के गठन की मांग ने जोर पकड़ लिया है। इस मुद्दे पर सियासत भी शुरू हो गई है। विधायक निर्मला सप्रे ने कहा था, बीना को जिला बनाने और बीना के विकास के लिए जो मांगें उन्होंने भाजपा सरकार के समक्ष रखी हैं, उनके पूरे होने पर ही वह विधायक पद से इस्तीफा देंगी। उनके बयान के बाद बीना को जिला बनाने की मांग को लेकर यहां एक सप्ताह तक धरना-प्रदर्शन चलता रहा। जिला बनाओ समिति के सदस्यों का कहना है कि बीना को जिला बनाने की मांग 1982 से की जा रही है। जैसे ही बीना को जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ा, तो खुरई के लोग भी नगर को जिला बनाने की मांग को लेकर सडक़ों पर उतर आए। यहां विभिन्न संगठनों ने धरना-प्रदर्शन किया और रैलियां निकालीं। बीना और खुरई सागर जिले की तहसीलें हैं। निर्मला सप्रे विधायक बीना का कहना है कि बीना को जिला बनाने की मांग वर्षों पुरानी है। क्षेत्र की जनता इसके लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही है। मैंने इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. यादव से बात की है और आगे भी उन्हीं के समक्ष अपनी मांग रखूंगी।

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