- नाथ व भूपेन्द्र का दावा एक दूसरे के कई विधायक पाला बदलने को तैयार
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की सियासत एक बार फिर से गर्मा गई है। इसकी वजह है भाजपा व कांग्रेस के नेताओं द्वारा एक दूसरे के विधायकों के उनके सम्पर्क में होने के किए जाने वाले दावे। इससे एक बार फिर सवाल खड़ा होने लगा है कि प्रदेश में फिर से क्या विधायकों का दलबदल का दौर शुरू होने वाला है। दरअसल इसकी शुरूआत शिवराज सरकार के वरिष्ठ मंत्री भूपेंद्र सिंह द्वारा की गई है। उनके द्वारा हाल ही में कहा गया था की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी के लगातार संपर्क में बने हुए हैं। इसके बाद अब इस मामले में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जवाबी हमला करते हुए दावा किया है कि भाजपा के कुछ विधायक हमारे संपर्क में लगातार बने हुए हैं और उनके मामले में सही समय आने पर फैसला लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब दो साल पहले जब आपरेशन कमल चलाया गया था, तब उसकी शुरूआत भाजपा की तरफ से भूपेन्द्र सिंह द्वारा ही की गई थी। उसके बाद ही कांग्रेस के तमाम विधायक श्रीमंत के साथ पाला बदलकर भाजपा में आ गए थे , जिसकी वजह से कांग्रेस की 16 माह पुरानी सरकार गिर गई थी। यह बात अलग है कि उस समय भी कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने भाजपा के कई विधायकों के संम्पर्क में होने के दावे किए थे, लेकिन वे जरुरत के समय पूरी तरह से हवा हवाई साबित हुए थे, इसके उलट भाजपा द्वारा किए गए दावे उस समय वास्तविक साबित हुए थे। अब भाजपा द्वारा इस तरह का दावा ऐसे समय किया गया है, जब कांग्रेस में चुनावी तैयारियों को जोर शोर से शुरू किया जा चुका है। अगर कांग्रेस विधायक ऐसे में पार्टी छोड़ते हैं तो पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल प्रदेश में अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। इसकी वजह से कांग्रेस की न केवल चुनावी तैयारियों पर , बल्कि उसके कार्यकतार्ओं के मनोबल पर बुरा असर पड़ना लाजमी है। माना जा रहा है कि पार्टी अब पूरे प्रयास करेगी की प्रदेश में इस तरह का कोई मामला न हो, यही वजह है कि इस मामले में अब खुद कमलनाथ सामने आए और उनके द्वारा इस मामले में पलटवार किया गया है।
उधर अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कमलनाथ के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाथ पहले अपना घर बचाएं, फिर भाजपा के बारे में कोई बात करें। भाजपा में संगठित और सबसे जुड़ा हुआ संगठन है। यहां ऐसे लोग नहीं है जो कांग्रेस के संपर्क में आएं। कमलनाथ, बौखला गए हैं। दिल्ली से लेकर मप्र तक कांग्रेस बिखर चुकी है। नाथ शायद भूल गए हैं कि उनकी ही पार्टी में ही सबसे ज्यादा टूट-फूट है।
भाजपा एक साथ हुई हमलावर
कमलनाथ द्वारा किए गए दावे के बाद भाजपा एक साथ संगठित होकर उनके बयान को लेकर हमलावर हो गई है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का इस मामले में कहना है कि कोई दिन में सपने देखे तो मैं क्या कहूं, उन्हें अपने ही विधायकों से मिलने की फुर्सत नहीं है। सदन में बैठने का समय नहीं है, भाजपा के विधायकों से कहां मिलेंगे। भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने कहा कि कमलनाथ दिन में सपने देखना बंद करें। कांग्रेस विधायक पार्टी में स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि 2020 में जब मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ था तब भी कमलनाथ ने इसी तरीके के बहुत दावे किए थे, लेकिन उसके बावजूद शपथ लिए हुए विधायक और मंत्रियों ने कांग्रेस का दामन छोड़ा और भाजपा के साथ आ गए। कमलनाथ के दावों में कोई दम नहीं है, कहीं ऐसा ना हो कि कमलनाथ यह दावे करते रह जाएं और कांग्रेस के नेता विधायक जो भारत माता में विश्वास करते हैं भाजपा का दामन थाम लें।
भूपेंद्र सिंह का यह दावा
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस में अब कोई भी नेता नहीं रहना चाहता। कमलनाथ पर अब कांग्रेस के विधायकों और नेताओं को भरोसा नहीं हैं। कांग्रेस के नेता और विधायक भाजपा में आना चाहते हैं। जिस दिन भाजपा चाहे वो पार्टी में आ जाएंगे। उन्होंने कहा था कि लोग अब कांग्रेस छोड़ना चाहते हैं। कांग्रेस के नेता अब भाजपा के चिन्ह पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, कांग्रेसियों को कांग्रेस में अपना भविष्य नहीं दिख रहा है। बता दें कि अगर ऐसा हुआ तो विधायकों की टूट से कमलनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश कांग्रेस को एक बड़ा झटका लग सकता है।
कांग्रेस विधायकों के दलबदल से गिरी थी नाथ सरकार
गौरतलब है कि भले ही कमलनाथ ने बीजेपी के दावे पर पलटवार किया है, लेकिन मंत्री भूपेंद्र सिंह के दावे से कांग्रेस की चिंता तो जरूर बढ़ गई है। इसकी वजह है पूर्व में कई मौकों पर कांग्रेस के तमाम विधायकों ने बगावत करते हुए भाजपा का दामन थामा है। इससे पहले 2020 में श्रीमंत और कई विधायकों के कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से तत्कालीन कमलनाथ सरकार गिर गई थी। इसके बाद भी मौकों बेमौकों पर कांग्रेस के विधायक पार्टी को अलबिदा करते रहे हैं, जबकि अब तक कांग्रेस बीते दो सालों में किसी भी भाजपा विधायक को कांग्रेस में शामिल कराने में सफल नहीं हुई हैं।