ऑक्सीजन पहुंचाने पुलिस, परिवहन विभाग मुस्तैदी से निभा रहा उम्दा भूमिका

परिवहन विभाग

-प्रदेश में बने कंट्रोल रूम में बैठकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी  कर रहे हैं सतत निगरानी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रदेश में सरकार का पूरा फोकस कोरोना की भयावह स्थिति को नियंत्रण करने में है। ऐसे में पुलिस और परिवहन विभाग पर भी बड़ी जिम्मेदारी है। संकट के इस दौर में पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ ड्यूटी पर मुस्तैद ही नहीं हैं बल्कि अस्पतालों तक आॅक्सीजन कंटेनरों को पहुंचाने में अपनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। यही नहीं प्राणवायु ऑक्सीजन लेकर अन्य राज्यों से आ रहे टैंकरों के प्रदेश की सीमा में प्रवेश करते ही इन दोनों विभाग की टीमें आॅक्सीजन टैंकरों को एस्कार्ट करने में जुट जाती हैं। मप्र में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की आपूर्ति गुजरात की आईनोस ऑक्सीजन प्रोडक्ट्स कंपनी के माध्यम से हो रही है। यहां से प्रदेश को अभी तक करीब पचास प्रतिशत तक की आपूर्ति हुई है। यदि रोजाना की आवक स्थिति को देखें तो गुजरात से आने वाले आॅक्सीजन कंटेनरों की संख्या करीब 35 से 40 है। नई व्यवस्था के अनुसार गुजरात की सीमा से लगे प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल परिवहन चेकपोस्ट पर इन्हें बिना रोके गंतव्य के लिए रवाना कर दिया जाता है। परिवहन विभाग के अधिकारी और प्रदेश के कंट्रोल रूम मैं बैठे पुलिस और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी इन कंटेनरों के सतत संपर्क में रहकर निर्देशित कर रहे हैं।
जरूरत के हिसाब से बदल जाती है स्थिति
ऑक्सीजन लेकर आ रहे टैंकरों की कई बार स्थिति बदल भी जाती है। दरअसल होता ये है कि जिले में ऑक्सीजन खाली करते समय अचानक दूसरे शहर से जरूरत पड़ने की खबर आ जाती है। ऐसे स्थिति में अधिकारियों को टैंकर को वहां पर ले जाना पड़ता है। हाल ही में उज्जैन में ऐसी स्थिति बनी। वहां पर जामनगर से आया आॅक्सीजन सिलेंडर खाली हो रहा था। तभी अचानक भोपाल में आॅक्सीजन खत्म होने की खबर आई, इसके बाद आधा टैंकर को तत्काल भोपाल भेज दिया। लगभग साढ़े तीन घंटे में टैंकर भोपाल पहुंच गया और मरीजों को ऑक्सीजन लग गई। कई बार ऐसा होता है कि प्लांट से टैंकर किसी शहर के लिए निकलता है लेकिन बीच रास्ते में ही उसे किसी दूसरे शहर में आॅक्सीजन की कमी होने पर तत्काल वहां के लिए डायवर्ट कर दिया जाता है।
निभा रहे मानवता का फर्ज
विश्वव्यापी महामारी कोरोना से अस्पतालों में भर्ती मरीजों और सुविधाओं के अभाव में भटकते उनके परिजनों का दर्द बड़ा है। ऐसे में पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी चिंता के साथ 24 घंटे अपनी ड्यूटी तो निभा ही रहे हैं, साथ ही वे मानवता के नाते अपना नैतिक फर्ज भी बखूबी निभा रहे हैं। यही नहीं इस काम में अफसरों और कर्मचारियों के साथ टैंकरों के ड्राइवर, कंडक्टर भी दिन-रात काम में लगे हैं। ऑक्सीजन टैंकर पहुंचने में समय की बचत हो इसके लिए अफसर व्हाट्सएप पर ही दस्तावेज बुला लेते हैं। वरिष्ठ अधिकारियों और विभाग की पूरी टीम ने एक विशेष व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। इसके माध्यम से निर्देशों, सुझावों व अन्य किसी भी समस्या को गु्रप में साझा करते हैं। वहीं वरिष्ठ अधिकारी तुरंत उसका समाधान कर मार्गदर्शन करते हैं।
ऑक्सीजन कंटेनरों के लिए चेक पोस्ट पर व्यवस्था
प्रदेश की सीमा पर बने चेक पोस्टों पर ऑक्सीजन कंटेनरों के आने के लिए अलग व्यवस्था बनाई गई है। यहां मौजूद अधिकारी ऑक्सीजन कंटेनर को एक मिनट से ज्यादा नहीं रोकते। एक मिनट में सिर्फ औपचारिक विवरण लिया जाता है साथ ही चालक और सह चालक को भोजन पैकेट और पानी की बोतल देकर सुरक्षा दस्ते के साथ गंतव्य स्थान के लिए रवाना कर दिया जाता है। प्रदेश की मुरैना जिले की सीमा पर भी ऐसा ही हो रहा है। यहां की सीमा में गाजियाबाद, फरीदाबाद, पानीपत, नोएडा, भिवाड़ी व देहरादून आदि शहरों से कंटेनर आए हैं। इन ऑक्सीजन कंटेनरों को ग्वालियर चंबल अंचल के अलावा प्रदेश के अन्य जरूरत वाले इंदौर, भोपाल, जबलपुर, शहडोल व छिंदवाड़ा आदि जिलों के लिए रवाना किया गया।

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