भोपाल सहित चार शहरों में जहरीली हवा से जान का खतरा

जहरीली हवा

प्रदूषित हवा से बिगड़ रही लोगों की सेहत

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। लगातार कम होते जंगल,सड़कों पर बढ़ते वाहनों और धुआं उगलते उद्योगों की वजह से अब प्रदेश में भी वायू प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है। इसके बाद भी सरकार से लेकर प्रशासन तक इस मामले में कोई कारगर कदम नहीं उठा रहे हैं। इसकी वजह से हालात अब बदतर होते जा रहे हैं। हालात यह हैं कि राजधानी सहित प्रदेश के चार शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक मानक तक पहुंच चुका है। इसमें सबसे खराब हालात ग्वालियर शहर की है। इस शहर की हवा सबसे खराब पायी गई है। यह बात अलग है कि सुबह से लेकर रात तक भले ही एयर क्वालिटी इंडेक्स बदलता रहा, लेकिन रात्रि आठ बजे ग्वालियर में अब तक सबसे ज्यादा 366 दर्ज किया गया। जबकि सिटी सेंटर क्षेत्र में प्रदूषित हवा का स्तर 318 रहा है। अगर इस मामले में राजधानी भोपाल की बात की जाए तो टीटी नगर इलाके में एक्यूआई 143 जबकि पर्यावरण परिसर में 328 एक्यूआई दर्ज किया गया। लगभग यही हाल सिंगरौली जिले का रहा। इस शहर में एक्यूआई 313 रहा है। कटनी में भी यह आंकड़ा 203 दर्ज किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली में एक्यूआई 800 तक पहुंचने के कारण ग्वालियर की हवा खराब हो रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ग्वालियर का मानना है कि अभी एक्यूआई और ऊपर जाएगा। त्योहार के बाद यह समझा जा रहा था कि पटाखों के कारण एक्यूआई खराब हुआ है लेकिन दीपावली के बाद भी 24 अक्टूबर से हवा निरंतर खराब बनी हुई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का मानना है कि ग्वालियर से दिल्ली नजदीक होने के कारण वहां जबरदस्त प्रदूषित हवा ग्वालियर को भी प्रभावित कर रही है। सडकों पर कई जगह गली-मोहल्ले खुदे पड़े हैं वहां धूल उड़ी हुई देखी जा सकती है। मसलन सिटी सेन्टर, पटेल नगर, यूनिवर्सिटी रोड, थीम रोड पर धूल उड़ती दिख जाएगी। यही धूल हवा में घुल रही है और प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा रही है। हालांकि प्रदेश के बाकी जिलों की आबोहवा ठीक रही।इस दौरान मंडीदीप में197,जबलपुर  में 163,उज्जैन में 148, देवास143, इंदौर में140 और सागर में 134 एक्यूआई दर्ज किया गया।
यह सामने आती हैं समस्याएं
वायु प्रदूषण हमारी सेहत को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही तरह से प्रभावित करता है। इससे गर्भ में बच्चे की असमय मृत्यु, अस्थमा का दौरा, हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, विकासात्मक क्षति, संक्रमण के लिए संवेदनशीलता, फेफड़े के ऊतकों में सूजन व जलन, नवजात के वजन में कमी, सांस लेने में घरघराहट, खांसी और सांस संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
देश में हैं चौथे स्थान पर
 वहीं वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली, हरियाणा व उत्तरप्रदेश के बाद मध्यप्रदेश चौथे नंबर पर है। यहां निचले वातावरण में धूल, धुएं और हानिकारक गैसों के कणों का स्तर बढ़ रहा है, जिसकी वजह ठंड व नमी है। यह खतरा आगे और बढ़ेगा। प्रदूषित हवा की वजह से बीमार, बुजुर्ग, बच्चों की सेहत पर विपरीत असर पड़ता है।
दूसरे राज्यों की तुलना में मप्र की स्थिति अच्छी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी द्वारा सोमवार शाम चार बजे जारी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के शादीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 403 पहुंचा था, जो कि सभी राज्यों में सर्वाधिक था। वहीं उत्तरप्रदेश के नोएडा के सेक्टर- 62 में सूचकांक 358 और हरियाणा के फरीदाबाद में 348 तक पहुंच गया था। बाकी के राज्यों में यह 100 से 250 के बीच रहा है। यह सूचकांक जब 50 तक या उससे नीचे हो तभी हवा की स्थिति को आदर्श माना जाता है। जब वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है तो इसमें भी बढ़ोतरी होती है।
ठंड में इसलिए बढ़ता है वायु प्रदूषण
पीसीबी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मप्र से सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक पीआर देव का कहना है किवातावरण में धूल, धुएं व हानिकारक गैसों के कणों की मौजूदगी हमेशा रहती है। ठंड के दिनों में ये कण नमी पाकर भारी हो जाते हैं और सतह से अधिक ऊंचाई तक नहीं फैल पाते। निचले स्तर पर ही रहते हैं और प्रदूषण का कारण बनते हैं। यही कण गर्मी के दिनों में शुष्क हो जाते हैं और अधिक ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं, जिसकी वजह से प्रदूषण का स्तर कम होता है। वहीं वर्षा के दिनों में यही कण जमीन से ऊपर नहीं उठ पाते इसलिए हवा सर्वाधिक साफ होती है।

Related Articles