- मानगढ़ धाम में मप्र राजस्थान और गुजरात के आदिवासियों का होगा सम्मेलन
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मिशन 2023 में 200 विधानसभा सीटों को जीतने का टारगेट पूरा करने के लिए भाजपा ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों पर सबसे अधिक ध्यान केंद्रित किया है। पार्टी की कोशिश है कि एसटी के लिए आरक्षित 47 सीटों में से अधिक से अधिक सीटों को जीता जाए। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 नवम्बर को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में बड़ी जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं। यहां तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश से करीब 1 लाख आदिवासी समाज के लोग इस सभा में पहुंचेंगे। मोदी तीनों राज्यों की 99 आदिवासी सीटों को जनसभा और सम्मेलन से साधेंगे।
गौरतलब है कि इन तीनों राज्यों में से मप्र में आदिवासी बड़ा वोट बैंक है। प्रदेश में कुल आबादी का 22 फीसदी आदिवासी हैं। प्रदेश की 80 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है। अत: इस वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार आदिवासी समाज को साधने में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में अब राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम से प्रधानमंत्री आदिवासियों को साधने का उपक्रम करेंगे।
आदिवासी सीटें खोलती है सत्ता के दरवाजे
माना जाता है कि मप्र सहित राजस्थान और गुजरात में आदिवासियों ने जिस पार्टी को वोट दे दिया उस पार्टी की जीत संभव हो जाती है। राजस्थान विधानसभा में 25, गुजरात विधानसभा में 27, मध्य प्रदेश विधानसभा में 47 सीट एसटी के लिए रिजर्व हैं। गौरतलब है कि इन सीटों पर जीत राजनीतिक दलों के लिए सत्ता के दरवाजे खोलती है। भाजपा पिछले दो साल से आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए मेहनत कर रही है। मानगढ़ धाम ब्रिटिश सेना की ओर से 1913 में आदिवसी – भीलों के सामूहिक नरसंहार के लिए जाना जाता है। इसमें संत गोविंद गुरु के नेतृत्व में लगभग 1500 आदिवासियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन पर आजादी का आंदोलन चलाने का आरोप लगाया गया था। यहां तक कि यज्ञ और पूजा-अनुष्ठान से रोकने की कोशिश की गई थी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बताया कि मानगढ़ का स्वतंत्रता
आंदोलन में ऐतिहासिक योगदान है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री की सभा में प्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर के आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होंगे। इसके अलावा प्रदेश अजजा मोर्चा के पदाधिकारी भी मानगढ़ पहुंचेंगे।
तीन राज्यों के सीएम-प्रदेशाध्यक्ष होंगे शामिल
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और एक एनजीओ मिलकर कार्यक्रम करवाएंगे। इसमें तीनों राज्यों के सीएम और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को आमंत्रित किया है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल, मध्य प्रदेश सीएम शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी और राजस्थान से केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी कार्यक्रम में रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मानगढ़ धाम के स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की घोषणा कर सकते हैं। इस जगह और आदिवासियों के विकास के लिए कई घोषणाएं की जा सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों राजस्थान और गुजरात के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मानगढ़ धाम को लेकर बैठक भी की है। सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान सरकार ने केन्द्र सरकार को आश्वस्त किया गया है कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक बनाने में हरसंभव मदद दी जाएगी। गहलोत ने कहा- मैं उम्मीद करता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 1 नवंबर को अपने मानगढ़ धाम के दौरे पर इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर देंगे । मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की मांग लम्बे समय से चली आ रही है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी पीएम को इसके लिए पत्र लिखा है। माना जा रहा है यह मांग पूरी हो सकती है। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा, राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, गुजरात के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीआर पाटिल भी मोदी की सभा में शामिल होंगे। गुजरात के बाद अगले साल राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। तीनों राज्यों के बॉर्डर मानगढ़ धाम से लगते हैं। इसलिए तीनों राज्यों के पार्टी नेताओं को आमंत्रित किया जा रहा है।
पीएम मोदी के राजस्थान के मानगढ़ धाम में इस दौरे से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी को वोट बैंक का फायदा होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 47 विधानसभा सीटों पर भाजपा पिछड़ गई थी और उसे महज 16 सीटें मिल पाई थीं। कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थीं। इस बार इन सीटों पर अभी से संगठन का फोकस है।
भाजपा ने बनाया मिशन 40
भाजपा ने कांग्रेस सरकार को वर्ष 2003 में हिंदू संगम के बाद उखाड़ फेंका था। पार्टी ने 41 में से एक तरफा 37 सीट हथियाकर दो तिहाई बहुमत पाया था। भाजपा अब अजजा की आरक्षित 47 सीट में से 40 जीतने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है। भाजपा ने सालभर के आयोजनों का कैलेंडर बनाया है। संघ लगातार सक्रिय है। सीएम शिवराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जल्द ही नियमित दौरे शुरू होंगे। मुख्यमंत्री 13 अगस्त को बैगा, सहरिया एवं भारिया हितग्राहियों के खाते में 23 करोड़ 35 लाख रुपए देंगे। योजना में प्रतिमाह 2 लाख 33 हजार 570 हितग्राहियों को एक-एक हजार रुपए आहार अनुदान मिलता है। एक साल में भाजपा ने आदिवासी वर्ग में पैठ के लिए बड़े आयोजन किए। बिरसा मुंडा जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस सम्मेलन हुआ। टंट्या मामा की शहादत दिवस पर अमृत महोत्सव मनाया। दो लाख आदिवासी भोपाल में एकत्र हुए। हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन किया। टंट्या मामा की प्रतिमा लगाई गई है।
22 फीसदी आबादी को साधने भाजपा-कांग्रेस में होड़
मप्र के 22 फीसदी आदिवासियों को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने जमावट शुरू कर दी है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि प्रदेश में आदिवासी जिस ओर रहते हैं, उसी पार्टी की सरकार बनती है। 2018 में आदिवासियों ने कांग्रेस पर विश्वास जताया था। ऐसे में मिशन 2023 से पहले भाजपा और कांग्रेस की कोशिश है कि आदिवासी वोट बैंक को अपने पाले में लाया जाए। भाजपा की तरफ से संघ, संगठन और सरकार सक्रिय हो गई है। वहीं कांग्रेस ने भी तैयारी शुरू कर दी है। मप्र की सियासत में अभी तक का गणित कहता है कि प्रदेश की इस 22 प्रतिशत आबादी को जिसने साध लिया, सरकार उसी की बनती है। प्रदेश में अजजा के लिए आरक्षित 47 सीट हैं। इसके अलावा 35 सीट पर आदिवासी वोटर्स की संख्या 50 हजार से ज्यादा है। 82 सीट पर आदिवासी वोट अहम हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दो करोड़ आदिवासी वोटरों को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अभी से ताकत लगानी शुरू कर दी है। भाजपा में तीन मोर्चे संघ, संगठन और सरकार सक्रिय हैं तो कांग्रेस ने अपने आदिवासी नेताओं को मैदान में उतारा है।