भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शासन व सरकार मिलकर कब किस पर कैसी मेहरबानी कर दें, कहा नहीं जा सकता है। बस जरुरत है तो इसके लिए आपके प्रशासनिक व राजनैतिक रसूख की। इसके बाद नियम कायदे और परंपरा को कोई महत्व नहीं रह जाता है। ऐसा ही नया उदाहरण सामने आया है मप्र कैडर में 2009 बैच के आईएएस अधिकारी तरुण कुमार पिथोड़े का। उन पर सरकार की मेहरबानी देखिए की उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ दिलाने के लिए सरकार ने उनकी रेलवे की सर्विस को भी आईएएस के कार्यकाल में शामिल कर दिया है। दरअसल, पिथोड़े आईएएस बनने से पहले रेलवे में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। उनकी रेलवे में की गई सर्विस को भी अब आईएएस की सर्विस में जोड़ दिया गया है, जिससे वे भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ पाने के लिए पात्र हो गए हैं। दरअसल, सरकार में अगर आप अखिल भारतीय सेवा के अफसर के रूप में कार्यरत हैं, तो फिर आपके फायदे के लिए होने वाले निर्णयों में एक दिन की देरी होना तो दूर समय से पहले भी निर्णय लिए जा सकते हैं। ऐसे दर्जनों उदाहरण भरे पड़े हैं। फिर मामला चाहे पदोन्नति को हो या फिर समय -समय पर मिलने वाले भत्तों का। अहम सवाल यह है कि भारी भरकम वेतन भत्तों व सुविधाओं से परिपूर्ण इन अफसरों को लेकर दिखने वाली सद्भावना निचले स्तर के कर्मचारियों के साथ कभी नहीं दिखाई देती है।
पिछोड़े की रेलवे में दी गईं सेवाएं ऐसे समय आईएएस में शामिल की गई हैं, जबकि वे दो दिन सेवा से अनुपस्थित भी रहे हैं, लेकिन इसे भी लगातार मान लिया गया है। इससे पिथोड़े को पुरानी पेंशन का लाभ मिलने लगेगा। आईएएस पिथोड़े के साथ खास बात यह भी है कि उन्होंने 2008 में रेलवे में इंजीनियर रहते हुए यूपीएससी की परीक्षा दी और उन्हें मप्र कैडर में 2009 बैच मिला। जबकि पिथोड़े ने इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा 2003 के माध्यम से भारतीय रेल में नौकरी पाई थी और वे रेलवे में इंजीनियर के पद पर 7 सितंबर 2004 से 28 अगस्त 2009 तक पदस्थ रहे हैं।
यानि इंजीनियर रहते हुए उन्हें मप्र आईएएस कैडर मिल गया। इस मामले में रेल मंत्रालय ने 25 अक्टूबर 2023 के द्वारा तरुण कुमार पिथोड़े की उक्त सेवा पुरानी पेंशन योजना अथवा रेलवे सेवा (पेंशन) नियम 1993 के तहत मान्य की गई है। यूपीएससी से पत्र मिलने के बाद मप्र सरकार ने 13 जुलाई 2023 के बिंदु क्रमांक 3, 4 एवं 6 में उल्लेखित पात्रता मानदंडों की पूर्ति मानते हुए अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति हितलाभ) नियम के तहत 29 एवं 30 अगस्त के दो दिन के व्यवधान अवधि को दोष मार्जित करते हुए भारतीय रेलवे की दिनांक 7 सितंबर 2004 से 28 अगस्त 2009 तक की पूर्व सेवा को वर्तमान भारतीय प्रशासनिक सेवा के साथ जोडक़र राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एनपीएस का लाभ देने की मंजूरी दे दी है।
अभी केन्द्र में हैं पदस्थ
आईएएस तरुण कुमार पिथोड़े को केंद्र में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में निदेशक के रु़प में पदस्थ हैं। वे दो साल पहले तब चर्चा में आए थे, जब उनके द्वारा कोविड पर भी किताब लिखी थी। इसके बाद उनके द्वारा एक और किताब लिखी गई, जिसका नाम था रामजी का राज, महाराजा का लंगर… और यूक्रेन की अनकही कहानी दरअसल यह किताब रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के शुरुआती दौर हजारों की संख्या में फंसे भारतीयों को युद्ध क्षेत्र से उन्हें निकालने के लिए भारत सरकार की तरफ से ऑपरेशन गंगा पर अधारित है। उनकी किताब ऑपरेशन गंगा रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे लोगों को निकालने में जिन लोगों की भूमिका रही है, उनसे बातचीत पर आधारित है। साथ ही कई ऐसे लोग भी वहां काम कर रहे थे, जिनके बारे में हम सभी लोग कम ही जानते हैं।
भोपाल सहित कई जिलों में रहे कलेक्टर
2009 बैच के आईएएस तरुण कुमार पिथोड़े भोपाल, राजगढ़ और सीहोर जिले में कलेक्टर रहे हैं। साथ ही नागरिक आपूर्ति निगम तथा वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के एमडी रहे हैं। वर्तमान में पिथोडे भारत सरकार में डायरेक्टर पर्यावरण के पद पर पदस्थ हैं।
07/10/2024
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