फर्जी जाति प्रमाण पत्र वालों का संरक्षक बना पीएचई

फर्जी जाति प्रमाण पत्र
  • राज्य स्तरीय एससी छानबीन समिति को पीएचई ने नहीं दी जानकारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वालों के खिलाफ सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है। लेकिन कुछ विभाग ऐसे हैं ,जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वालों की जानकारी नहीं दे रहे हैं। ऐसा ही मामला पीएचई विभाग में सामने आया है। पीएचई विभाग में चीफ इंजीनियर के पद पर पदस्थ संजय कुमार अंधवान और अधीक्षण यंत्री संजय कुमार के फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में पूर्व आईएएस द्वारा राज्य स्तरीय एससी छानबीन समिति से की गई शिकायत के बाद विभाग ने जब पीएचई से दोनों अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी, तो विभाग के अधीक्षण यंत्री प्रशासन ने यह कहते हुए पत्र लौटा दिया कि जानकारी इस विभाग से संबंधित नहीं है, जबकि दोनों की अधिकारी मूल रूप से पीएचई में कार्यरत हैं।
गौरतलब है कि पूर्व आईएएस रघुवीर श्रीवास्तव ने पीएस अनुसूचित जाति कल्याण ई रमेश कुमार को पत्र लिखकर कहा था कि पीएचई के पूर्व ईएनसी संजय कुमार अंधवान तथा अधीक्षण यंत्री संजय कुमार के जाति प्रमाण पत्र अत्याधिक संदेहास्प्रद बताया गया है। पूर्व आईएएस ने पीएस को यह पत्र व्हिसिल ब्लोअर एबी दुबे द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर लिखा। उन्होंने इन दोनों वरिष्ठ अभियंताओं की जाति एवं प्रमाण पत्रों की सूक्ष्म जांच किए जाने की मांग की थी। गौरतलब है कि प्रदेश में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र से नौकरियां पाने के बाद अब फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले भी बड़े पैमाने पर सामने आ रहे हैं। अभी राज्य में पुलिस और एसएएफ में काम कर रहे 200 से ज्यादा जवान ऐसे हैं, जिनकी नौकरी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर लगी है। सबसे चिंता की बात ये है कि पुलिस और प्रशासन दोनों को पता है कि ये फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन दोनों की लापरवाही के चलते न्यायालय से इन मामलों में मिला स्थगन आदेश खत्म नहीं हो पा रहा है और उनकी नौकरी बदस्तूर जारी है।
अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में
 प्रधान आरक्षक रामसिंह मांझी वर्तमान में दतिया के पुलिस थाना बड़ौनी में पदस्थ हैं। आरक्षक धर्मेंद्र मांझी स्पेशल ब्रांच (अशोकनगर) में सेवाएं दे रहे हैं। ये नाम केवल उदाहरण है, जबकि हकीकत में मप्र पुलिस और एसएएफ में ऐसे 200 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनके अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में हैं।
2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई थी
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, रामसिंह और धर्मेंद्र सहित 10 लोगों के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र (एसटी) के मामले में मार्च 2019 में एफआईआर दर्ज हुई थी। इन सभी के खिलाफ अप्रैल 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। हालांकि पहली ही सुनवाई में सभी को फौरी राहत मिल गई। हाई कोर्ट में सुनवाई के 5 साल बीतने के बाद भी जांच एजेंसी स्टे नहीं हटवा सकीं। नतीजा मामले में अभी तक फैसला नहीं हो सका। हालांकि तब से इन सभी का प्रमोशन रुका हुआ है।
फर्जी बाड़ा का ऐसे हुआ खुलासा
दरअसल, टिहौली के कई युवकों द्वारा अनुसूचित जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने की शिकायत ग्वालियर निवासी गोविंद पाठक नामक व्यक्ति ने की थी। उन्होंने शिकायत में दावा किया था कि ये युवक भोई और बाथम जाति के हैं और ओबीसी से आते हैं। शिकायत दर्ज होने के बाद आरोप की जांच हुई, जिसमें कुल 10 युवकों के प्रमाण पत्र प्रथम दृष्टया फर्जी पाए गए। इसके आधार पर पुलिस थाना सीआईडी मुख्यालय में 13 मार्च 2019 को धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया।
पीएचई ने लौटा दिया पत्र
गौरतलब है कि पीएचई विभाग में 5 दिसंबर 2022 को प्रभारी ईएनसी बनाए गए संजय कुमार अंधवान को नई सरकार बनते ही पद से हटा दिया गया और उनकी सेवाएं पीएचई विभाग के अधीन संचालित जल विकास निगम को प्रतिनियुक्ति पर सौंप दी गई। वर्तमान में अंधवान जल विकास निगम में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं और पीएचई के अधिकारी हैं। इनका रिटायरमेंट 21 जनवरी 2027 को है। वहीं, मोहन सरकार बनने के बाद पीएचई में रिटायर चीफ इंजीनियर केके सोनगरिया की सेवाएं संविदा पर लेकर प्रभारी ईएनसी बनाया गया है। उधर, अधीक्षण यंत्री के पद पर पदस्थ संजय कुमार के रिटायरमेंट में अभी सात साल बाकी है। इन दोनों अधिकारियों के जाति प्रमाण पत्रों की जांच कराने की मांग पूर्व आईएएस रघुवीर श्रीवास्तव ने करते हुए अनुसूचित जाति विभाग की राज्य स्तरीय छानवीन समिति से की है। एससी विभाग की राज्य स्तरीय समिति ने जब इस मामले में पीएचई को पत्र लिखकर इन दोनों ही अधिकारियों के संदेहास्पद जाति प्रमाण की शिकायत की जांच के लिए अभिलेख मांगे तो पीएचई में पदस्थ अधीक्षण यंत्री प्रशासन सुधीर सक्सेना ने जवाब में लिखा-संजय कुमार अंधवान व संजय कुमार के सेवा अभिलेख आदि की प्रतियां चाही गई है। यह पत्र इस विभाग से संबंधित नहीं है, कहते हुए पत्र वापस लौटा दिया।

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