- पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन का गठन कर खजाना खोजेगी सरकार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। खनिज संपदा से भरे मप्र में जमीन के नीचे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार की संभावना जताई जा रही है। मप्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की खोज अब व्यापक स्तर पर की जाएगी। इसके साथ ही इसके उत्पादन तथा वितरण व विपणन के लिए राज्य सरकार की ओर से मप्र पेट्रोलियम कार्पोरेशन की स्थापना की जाएगी। प्रदेश के दमोह और पन्ना जिले पठारी इलाके होने के कारण यहां पेट्रोलियम के भंडार होने की संभावना जताई जा रही है। इसके लिए पिछले कई साल से ओएनजीसी और सहयोगी कंपनियां यहां प्राकृतिक गैस व तेल की तलाश में जुटी हैं। इसी तरह पूर्व में धार और देवास जिलों में भी पेट्रोलियम पदार्थ मिलने की संभावना जताई जा चुकी है। अब प्रदेश सरकार संभावित स्थानों पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की खोज कराने की योजना पर काम कर रही है।
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद सीएम सचिवालय के अधिकारियों ने पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की स्थापना की तैयारियां तेज कर दी है। अभी यह विचार-विमर्श किया जा रहा है कि किस विभाग के अंतर्गत इस कॉर्पोरेशन की स्थापना की जाए। विभिन्न विभागों से इस संबंध में चर्चा की जा चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में प्रदेश के दमोह, पन्ना, धार व देवास जिले में पेट्रोलियम के भंडार होने की संभावना जताई जा चुकी है। पिछले कई वर्षों से ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) और सहयोगी कंपनियां प्रदेश में प्राकृतिक गैस व तेल की तलाश में जुटी हैं। अब प्रदेश सरकार संभावित स्थानों पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की खोज करने की योजना पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खनिज साधन विभाग की समीक्षा बैठक में भी पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की स्थापना के संबंध में निर्देश दे चुके हैं।
पेट्रोलियम के भंडार होने की संभावना
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि मप्र में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं। यहां विशाल वन क्षेत्र के अलावा पहाड़ी और पठारी इलाका है, इसलिए राज्य में पेट्रोलियम के भंडार होने की संभावना है। यदि इस दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जाएं, तो हमें बड़ी सफलता मिल सकती है। मुख्यमंत्री की मंशा को देखते हुए सीएम सचिवालय के अधिकारियों ने कॉर्पोरेशन के गठन की कवायद तेज कर दी है। दरअसल, सीएम अब खनिज संपदा पर आधारित उद्योगों के अलावा दूसरे साधनों से नए उद्योगों को बढ़ावा देना चाहते हैं। प्रदेश के बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में बीते सालों में भूमिगत गैस के रिसाव और नलकूपों के खनन के दौरान आग भभकने की घटनाओं को सीएम ने संज्ञान में लिया है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने खनिज विभाग से ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित कर जानकारी जुटाकर ब्यौरा तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है सरकार को चिन्हित क्षेत्रों में सामने आने वाली घटनाओं से यहां भूमिगत गैस के भंडार दबे होने का अनुमान है। बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य पठार और पहाड़ों से घिरे अंचल हैं। इस वजह से भी यहां पेट्रोलियम पदार्थों की मौजूदगी की संभावना बीते दो दशकों से जताई जाती रही है। हांलाकि इसको लेकर ठोस प्रयास अब तक नहीं किए गए हैं। दमोह में आज से लगभग 8 साल पहले लोहारी गांव में ओएनजीसी ने पेट्रोलियम पदार्थों की खोज शुरू की थी। इसके लिए 5 एकड़ जमीन को लीज पर लिया गया था और उसमें काफी गहरे गड्ढे किए गए थे, लेकिन बाद में यह कार्यक्रम रोक दिया गया। एक बार फिर भारत सरकार का पेट्रोलियम मंत्रालय मप्र के दमोह, पन्ना, धार और देवास में पेट्रोलियम पदार्थों की खोज का अभियान शुरू करने जा रहा है।
सरकार करेगी खनन आधारित इंडस्ट्रियल मीट
प्रदेश सरकार भी 14 और 15 अक्टूबर को खनन आधारित इंडस्ट्रियल मीट करने जा रहा है। इसमें ऐसी संभावना जताई जा रही है कि देश भर से सरकारी और निजी कंपनियां खनन के क्षेत्र में रुचि दिखाने के लिए मध्य प्रदेश आएंगी। इनमें कोयला खनन और पेट्रोलियम खनन से जुड़ी हुई सरकारी कंपनियों के आने की भी संभावना है। मध्य प्रदेश में आपने अक्सर सुना होगा होशंगाबाद, पचमढ़ी, दमोह, शहडोल और सिंगरौली के आसपास कई नल ऐसे हैं, जिनसे गैस का रिसाव होता है। प्राकृतिक गैस का यह रिसाव पेट्रोलियम पदार्थों की शुरुआती गवाही होती है। इससे यह संभावना बनती है कि जमीन के नीचे कुछ ऐसा है जिससे गैस निकल रही है। यह जरूरी नहीं है कि वह जमीन के बहुत ऊपर हो, लेकिन सरकार एक बार फिर पेट्रोलियम पदार्थों को पाने की उम्मीद में अपना अभियान शुरू करने जा रही है। भारत सरकार के सहयोग से आयोजित इस संयुक्त कार्यक्रम में प्रमुख उद्यमी, विषय विशेषज्ञ विभिन्न राज्यों के अधिकारी और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खनन क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल कंपनियों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का उददेश्य क्षेत्र में खनिज गतिविधियों और निवेश को बढ़ावा देना है।