- मप्र में खपा दी छग की एक्सपायर्ड बियर

विनोद उपाध्याय
मप्र में शराब कारोबार से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें लाखों लीटर एक्सपायर्ड शराब की हेराफेरी की गई। सितंबर 2024 में छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश लाई गई 55,090 पेटी यानी करीब साढ़े चार लाख लीटर एक्सपायर्ड बियर का बड़ा हिस्सा बाजार में बेचा गया और बाद में उसे नष्ट करने का दावा किया गया। आबकारी विभाग के अधिकारियों और लिकर कंपनी ने सांठगांठ कर बड़ी मात्रा में एक्सपयर्ड बियर की लाइसेंसी दुकानों से ग्राहकों को बेची गई। सरकारी दस्तावेजों में बताया गया कि यह शराब 4,20,94,970 रुपए (करीब 4.21 करोड़) की थी, लेकिन पड़ताल में सामने आया कि इसकी वास्तविक कीमत करीब 13 करोड़ रुपए थी। यानी करीब 9 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ के रायपुर से मप्र में एक्सपायर्ड शराब वापस आई। दरअसल, मप्र से सोम कंपनी की हंटर बीयर 50 ट्रक भरकर छत्तीसगढ़ भेजी गई थी। कुल 55,090 पेटी बीयर एक्सपायर होने से इसे सितंबर 2024 में मप्र वापस भेज दिया गया। 4 महीने बाद, 21 जनवरी 2025 को आबकारी विभाग ने सुबह साढ़े दस बजे इसका नष्टीकरण करने का दावा किया। सूत्रों के मुताबिक, रायसेन सेहतगंज स्थित सोम डिस्टलरी कंपनी ने इस एक्सपायर्ड बियर को अपने आउटलेट्स और दुकानों से ग्राहकों को बेच दिया। इस पूरी प्रक्रिया को छुपाने के लिए आबकारी विभाग के अधिकारियों से मिलकर एक फर्जी नष्टीकरण दिखा दिया। सूत्रों के अनुसार डेढ़ घंटे में साढ़े चार लाख लीटर शराब नष्ट करने का दावा किया गया, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है। इतनी मात्रा में शराब के नष्टीकरण में भारी मात्रा में मजदूर लगने थे। जो नहीं लगाए गए। लेकिन वीडियो ग्राफी में कुछ ही पेटी पर बुलडोजर चलाया गया था।
विधानसभा में गूंजेगा मुद्दा
कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने विधानसभा में कथित शराब घोटाले को लेकर सवाल लगाया है। उन्होंने दावा किया कि आबकारी विभाग के अधिकारियों और एक शराब कंपनी के बीच सांठगांठ कर बड़े पैमाने पर यह घोटाला किया गया। उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ी मात्रा में शराब की गड़बड़ी हुई है। इस मुद्दे को हम विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाएंगे। हीरालाल अलावा ने आगे कहा कि यह एक्सपायर्ड शराब थी, जिसे जहरीली भी कहा जा सकता है। उन्होंने आबकारी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश की जनता को अमानक और एक्सपायर्ड शराब बेच दी गई, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। अब हम विभाग के जवाब का इंतजार कर रहे हैं और आगे कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे।
एक्सपयर्ड शराब पीने से बिगड़ सकता है स्वास्थ्य
एक्सपायर्ड शराब या बीयर पीने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, चिकित्सकों के मुताबिक एक्सपायर्ड शराब पीने से फूड पॉइजनिंग, उल्टी, दस्त, सिरदर्द और पेट में जलन। समय के साथ इनमें बैक्टीरिया या फंगस विकसित हो सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपायर्ड बीयर का कार्बोनेशन कम हो जाता है, जिससे इसका स्वाद और गंध बिगड़ सकती है, जबकि शराब में ऑक्सीडेशन के कारण उसका असर और गुणवत्ता बदल सकती है। हालांकि अत्यधिक पुरानी शराब टॉक्सिक हो सकती है।
बिना अनुमति वापस आई बीयर
छत्तीसगढ़ से मप्र बीयर लाने के लिए आबकारी आयुक्त से पूर्व अनुमति भी नहीं ली गई और यहां शराब दुकानों से बीयर विक्रय कर दी गई। वहीं आबकारी विभाग का कहना है कि यह नष्टीकरण सेहतगंज, जिला रायसेन स्थित सोम डिस्टलरी के प्लांट में किया गया। लेकिन पड़ताल में पता चला कि इतनी बड़ी मात्रा में शराब स्टोर करने की वहां जगह ही नहीं थी, जिससे यह साफ होता है कि नष्टीकरण केवल कागजों पर किया गया। पहली दृष्टि में यह स्पष्ट है कि बिना प्रशासनिक मिलीभगत के इतनी बड़ी मात्रा में एक्सपयर्ड शराब की खेप राज्य में प्रवेश नहीं कर सकती थी। खासकर जब यह खेप छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश के रायसेन तक पहुंची, तब रास्ते में आबकारी विभाग और पुलिस की चुप्पी संदेह पैदा करती है। एक्सपायर्ड बीयर का इस तरह से लाया जाना यह दर्शाता है कि न केवल कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया गया। यह स्थिति बताती है कि शराब व्यापार में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है, जिसमें न केवल स्थानीय अधिकारी, बल्कि उच्च प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। इस घोटाले का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इतनी बड़ी खेप की जानकारी आबकारी कमिश्नर को नहीं थी या फिर इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
निशाने पर पूरा विभाग
बीयर को बाजार में खपाने का मामला मुख्य सचिव अनुराग जैन के संज्ञान में भी आ गया है। सूत्रों का कहना है कि मामले में आबकारी आयुक्त की भूमिका को लेकर नोटिस जारी किया जा सकता है। वहीं आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि बिना अनुमति छत्तीसगढ़ से शराब की पेटियां वापस लाने पर रायसेन के प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी को नोटिस जारी किया गया था, पर वह बीयर के नष्टीकरण की प्रक्रिया पर मौन साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित ने इस बीयर के नष्टीकरण की अनुमति मांगी थी जो दी गई थी। इधर, रायसेन की सहायक आबकारी उपायुक्त वंदना पांडे का कहना है कि वह आयुक्त की अनुमति के बिना मीडिया से बातचीत नहीं करेंगी। आबकारी एक्ट में निर्यात बीयर वापस आने का कोई प्रविधान नहीं है। वापस निर्यात की गई बीयर सोम डिस्टलरी में किसकी सक्षम अनुमति से प्राप्त की गई, या तस्करी करके लाई गई? भाड़ा किसने दिया? वाहन कौन से थे, बिना अनुमति बड़ी संख्या में बीयर डिस्टलरी के अंदर प्रवेश कैसे करवा दी गई? यह तमाम सवाल आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाते हैं। आबकारी विभाग ने प्रेस नोट में नष्टीकरण की गई बीयर की कीमत चार करोड़ 20 लाख के लगभग बताई। जबकि वास्तविक कीमत 13 करोड़ 22 लाख रुपये से अधिक है। सोम की हंटर ब्रांड बियर की मार्केट वैल्यू 220 रुपये प्रति बोतल के करीब है। यदि औसत एक बोतल की कीमत 200 रुपये भी मान ली जाए तो एक पेटी में 12 गुणित 200= 2400 रुपये इस तरह 55090 पेटी शराब की कीमत 55090 गुणित 2400 बराबर 13.22 करोड़ रुपये से अधिक होती है। विभाग ने जानबूझकर नष्टीकरण की गई बियर की कीमत को आधे से भी कम दिखाया।