- प्रदेश के बड़े शहरों के अस्पतालों पर भी नहीं कर रहे हैं भरोसा
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां के सीमावर्ती डेढ़ दर्जन जिलों के लोगों को बेहतर इलाज के लिए दूसरे राज्यों के अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसकी वजह है इन जिलों में सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार नहीं किया जाना। इसकी वजह से इन जिलों में लोगों का न केवल समय बेकार होता है , बल्कि पैसा भी अधिक खर्च होता है। दरअसल इन जिलों के लोगों को पड़ौसी राज्यों में न केवल बेहतर इलाज मिलता है बल्कि, उनका भरोसा भी वहां के चिकित्सकों पर अधिक रहता है। लोग प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में इलाज कराने से बेहतर पड़ोसी राज्यों को मानते हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार के बीच भी करीब 15 फीसदी मरीज पड़ोसी राज्यों के भरोसे हैं। दावा है कि यह आंकड़ा बीते दस साल में करीब आधा हो गया है, जो अच्छा संकेत है। फिर भी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात चिकित्सा सुविधा में मप्र से बेहतर माने जाते हैं। यह बात मेडिकल से जुड़ी रिपोर्ट्स में भी सामने आ चुकी है। मप्र सरकार यदि सुविधाएं बढ़ाएं तो दूसरे राज्यों में मेडिकल टूरिज्म बढ़ाने के बजाय अपने राज्य में ही स्वास्थ्य पर लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा। राजस्थान की सीमा से लगे आगर मालवा व राजगढ़ जिले के लोग झालावाड़ जाते हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राजस्थान सरकार अब सरकारी अस्पतालों में मप्र से के मरीजों से शुल्क लेने लगी है। इसी तरह से जबलपुर और छिंदवाड़ा इलाके के लोग महराष्ट्र के नागपुर में इलाज करना बेहतर मानते हैं, जबकि टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले के लोग इलाज के लिए झांसी जाते हैं। सीधी व सिंगरौली के लोग उप्र के वाराणसी सतना और रीवा के प्रयागराज, तो बड़वानी, झाबुआ, आलीराजपुर के लोग इलाज कराने गुजरात के अहमदाबाद और बुरहानपुर के लोग जलगांव या मुंबई जाते हैं।
दूसरे राज्यों में इस तरह की सुविधाएं
गुजरात में मुख्यमंत्री हेल्थ स्कीम के तहत जिला स्तर पर हेल्थ एटीएम खोले हैं। इनमें 40 तरह की जांचें मुफ्त की जाती हैं। इसी तरह से राजस्थान के जिला अस्पतालों में भी नि:शुल्क जांच होती है और दवाएं भी मुफ्त मिलती है। इस राज्य में संजीवनी योजना से सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी है। महराष्ट्र में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना में मुफ्त इलाज मिलता है। यह देश का ऐसा पहला राज्य है जहां पर नि:शुल्क और कैशलेस बीमा की सुविधा है। इसके अलावा प्रदेश में निजी अस्पतालों का अच्छा नेटवर्क है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
बीते एक दशक में बाहर जाने वालों संख्या आधी हुई है। कार्डिएक, न्यूरोलॉजी और न्यूरो सर्जरी के क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ी हैं। मेडिकल कॉलेजों में भी बड़े आॅपरेशन के दस में से करीब चार केस बाहर रेफर हो रहे हैं। एयर एंबुलेंस जैसी सुविधा बढ़ने से अब लोग दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरों का भी रुख कर रहे हैं। यह जरूर है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले हमारे जिला अस्पतालों में संसाधनों की कमी है, लेकिन बेसिक सुविधाओं में इजाफा हुआ है।