पटवारी की नई कार्यकारिणी बनी बीरबल की खिचड़ी सता रहा नेताओं की नाराजगी का डर

मूंग बिकी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को प्रदेश की कमान मिले हुए करीब 8 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन वे अब तक अपनी नई टीम का गठन नहीं कर पाए हैं। प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं। भोपाल से दिल्ली तक मंथन का दौर चल रहा है। मध्य प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह भी कई बार सार्वजनिक रुप से दावा कर चुके हैं कि पदाधिकारियों की सूची तैयार हो चुकी है, जिसे जल्द ही घोषित कर दिया जाएगा। कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी ने कार्यकारिणी की सूची तैयार कर ली है लेकिन बुधनी और विजयपुर में होने वाले उप चुनाव के कारण कार्यकारिणी का घोषणा नहीं की जा रही है। पार्टी के बड़े नेताओं को लग रहा है कि कार्यकारिणी की घोषणा होने पर कई नेता नाराज हो सकते हैं और इसका असर उपचुनाव पर पड़ सकता है। यही कारण है की कार्यकारिणी की घोषणा लगातार टालनी पड़ रही है। पार्टी हाईकमान ने दिसंबर 2023 में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कमान जीतू पटवारी को सौंपते हुए कमलनाथ की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई की थी। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी विधानसभा के लगातार तीन चुनाव हार गई। लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अन्य दलों के सहयोग से सत्ता हासिल की थी। पार्टी को सत्ता जरूर मिल गई, मगर गुटबाजी के रोग ने उसे ज्यादा दिन सत्ता हाथ में नहीं रहने दिया। 15 महीने ही कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने काम किया। उसके बाद सिंधिया के अलग होने से सरकार गिर गई और तब से कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहना पड़ रहा है।
प्रदर्शन में नेता दिख रहे सक्रियता
जब से जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी लगातार सडक़ों पर आंदोलन करती नजर आ रही है। पिछले दो महीने में 10 से ज्यादा बड़े आंदोलन प्रदेश में हो चुके हैं। खास बात यह है कि नर्सिंग, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर कांग्रेस के प्रदर्शन में सभी बड़े नेता शामिल हो रहे हैं, यह पार्टी के लिए अच्छे संकेत है। हालांकि कई नेता पार्टी में सक्रियता दिखाकर कार्यकारिणी में जगह चाहते हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी का इंतजार है। मीडिया विभाग के अलावा कुछ नेताओं के पास जिम्मेदारी है, मगर ज्यादातर पद अब भी खाली हैं और दावेदार जोर आजमाइश कर रहे हैं।
गुटबाजी हावी समन्वय का संकट
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और गुटबाजी का गहरा नाता है। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी युवा और महिलाओं को अपनी टीम में अधिक से अधिक जगह देना चाहते हैं। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता खुद को या अपने चाहने वालों को कार्यकारिणी में जगह दिलाना चाहते हैं। यही कारण है कि कई नेता जीतू पटवारी से नाराज चल रहे हैं। कई नेता तो खुलकर भी पटवारी के खिलाफ बयान बाजी कर चुके हैं। पटवारी के सामने परीक्षा की घड़ी है कि पार्टी को कैसे मैनेज करते हैं और कार्यकारिणी में सभी का समन्वय बनाते हैं। दरअसल राज्य में किसी दौर में कांग्रेस सत्ता में थी, संगठन भी मजबूत हुआ करता था, मगर वर्ष 2003 के बाद ऐसी स्थितियां बनी कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस को मजबूत करने में पार्टी के सभी नेता जुटे हुए है।

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