कई जिलों के मरीजों को जल्द ही मिलेगी मेडिकल कॉलेजों में इलाज की सुविधा

इलाज की सुविधा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नए साल में प्रदेश के आधा दर्जन जिला मुख्यालयों पर नए मेडिकल कॉलेजों में मरीजों को उपचार की सुविधा मिलनी शुरु हो जाएगी। इसके लिए शासन स्तर पर तैयारियों तेजी से की जा रही हैं। दरअसल इन शहरों में मेडिकल कॉलेज शुरू होने से मरीजों को इलाज के लिए दूर दराज तक जाने से मुक्ति मिल जाएगी। जिन जिला मुख्यालयों पर नए मेडिकल कॉलेज शुरु किए जाने की तैयारी है,  उनमें राजगढ़, नीमच, मंदसौर, मंडला, श्योपुर और सिंगरौली शामिल हैं। नए शैक्षणिक सत्र से शुरू होने वाले इन कॉलेजों में एमबीबीएस की सौ-सौ सीटें होंगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा इन सभी छह नए कॉलेजों में फैकल्टी की भर्ती प्रक्रिया की तैयारी शुरु कर दी गई है। वहीं दूसरी ओर इन कॉलेज के नए भवन निर्माण का काम तेजी से जारी है। अधिकांश स्थानों पर भवन निर्माण का काम लगभग पूरा होने वाला है। प्रदेश में फिलहाल मेडिकल कॉलेजों की संख्या 26 है। इसमें 14 सरकारी और 12 निजी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इन 26 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल सीटों की संख्या 4475 है। छह नए मेडिकल कॉलेज खुलने से प्रदेश में इनकी संख्या 32 हो जाएगी। इसके साथ ही एमबीबीएस की सीटें बढक़र 5075 हो जाएंगी। 14 सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की 2118 और निजी मेडिकल कॉलेजों में 1650 सीटें हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नए मेडिकल कॉलेज शुरू होने से आने वाले वर्षों में प्रदेश में डॉक्टरों की कमी दूर होगी। बाद में इन कालेजों में एमडी-एमएस कोर्स शुरू होने से प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी मिलने लगेंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिली जानकारी अनुसार इन कॉलेज के निर्माण में 325 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें 60 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार ने और 40 प्रतिशत राशि प्रदेश सरकार द्वारा खर्च की जा रही है।  केन्द्र की नीति के  खोले जा रहे नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों को जिला अस्पताल से अटैच किया जाएगा।
महानगरों का भार होगा कम
20 जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू होने से प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा बदल जाएगा। इन जिलों से मरीजों के रेफर किए जाने पर बहुत हद तक कंट्रोल हो सकेगा। प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर मेडिकल कॉलेजों पर मरीजों का भार कम होगा। नए कॉलेजों से निकलने वाले नए डॉक्टर्स को बांड सेवा के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में काम करना होगा, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुदृण होंगी।

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