बिना सुकून जीत का जुनून

जुनून
  • मप्र में भाजपा का मिशन 29

विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 163 सीटें जीतने के बाद अब भाजपा मप्र की 29 लोकसभा सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जोड़ी अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी के साथ मिलकर मिशन 29 के अभियान में जुट गए हैं। लोकसभा चुनाव में अबकी बार 400 पार के लक्ष्य के लिए बिना सुकून जीत का जुनून भाजपा में देखने को मिल रहा है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल।
डॉ. मोहन यादव जब से मप्र के मुख्यमंत्री बने हैं वे लगातार सक्रिय हैं। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी बिना रूके बैठकें, दौरें और सभाएं कर रहे हैं। मोदी-शाह की ही तरह सत्ता और संगठन की यह जोड़ी विधानसभा की बड़ी जीत से संतुष्ट नहीं आ रही है, बल्कि उस जीत के बाद और बड़ी जीत को लोकसभा चुनाव में हासिल करने में जुट गई है। वैसे भी सत्ता का सफल राजनीतिज्ञ वो होता है जो चुनाव में अपनी उपलब्धियां गिनाने की बजाय नये-नये सपनों को बेचना जानता हो। उपलब्धियां मन में संतोष पैदा करती हैं जबकि सपनों को हासिल करने के लिए सक्रिय होकर काम करना पड़ता है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मोदी ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को वही सपना दिखा दिया है। उन्हें बताया गया है कि जीत का जुनून हो तभी जीत संभव होती है और जब तक ऐसा न हो जाए तब तक शुकून और शांति से नहीं बैठ सकते। ऐसा नहीं है कि खुद मोदी शाह की जोड़ी भी सपने बेचकर शांत भाव में घर बैठ जाते हैं। मोदी भले ही 73 साल के हो गये हों, दो बार प्रधानमंत्री रह चुके हों लेकिन चुनाव के लिए या चुनाव के दौरान वो ऐसी बहुत सी बातें बोलते हैं जो सुनने में भले असहज लगती हों लेकिन वह उनके बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं और कम पढे लिखे वोटरों को प्रभावित करती है।
अब मोदी-शाह की तरह मप्र में मोहन-विष्णु(वीडी शर्मा)की जोड़ी बिना सुकून जीत के जुनून में लिपटी दिख रही है। लोकसभा चुनाव की शुरूआत में डेढ़ दो महीने की देर है, और पिछले एक डेढ़ महीने में पूरा विमर्श बदल गया है। अब चर्चा यह हो रही है कि अबकी बार 400 पार का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विश्वास सही साबित होगा या नहीं। लोगों की आशंका का आधार यह है कि राजीव गांधी की 414 सीट की जीत तो सहानुभूति लहर के कारण तब हुई थी जब हर राज्य में कांग्रेस की जड़ें मजबूत थी। अब मप्र भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा पूरी तरह आश्वस्त हैं कि भाजपा इस बार 400 से अधिक सीटें जीतेगी। उनका कहना है कि इस अभियान में भाजपा प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतेगी। भाजपा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में मिशन 2024 में क्लीन स्वीप की तैयारी में जुट गई है। गौरतलब है कि हमेशा मिशन मोड में रहने वाली भाजपा ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। मप्र विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद अब भाजपा राज्य में लाकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप की तैयारी में जुट गई है। भाजपा का लक्ष्य है कि प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों जीता जाए। इसके लिए पार्टी में रणनीति बनने लगी है। गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश की 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा का और एक लोकसभा सीट छिंदवाड़ा पर कांग्रेस का कब्जा है। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कब्जे वाली छिंदवाड़ा सीट समेत सभी 29 सीटों को जीतने के लिए भाजपा विधानसभा चुनाव की रणनीति पर ही काम करेंगी। जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की घेराबंदी की जाएगी। ऐसे में पार्टी ने यहां पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए अभी से ही मेहनत करना शुरू कर दिया है। तभी जाकर भाजपा के लिए लोकसभा की राह आसान हो पाएगी। 2003 के बाद भारतीय लोकतंत्र में यह देखा गया है कि विधानसभा और लोकसभा में एक जैसे पैटर्न पर चुनाव नहीं होते हैं। पिछले चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के अलावा कर्नाटक में भी अपनी सरकार बना ली थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। भाजपा पार्षद से लेकर लोकसभा चुनाव में पूरी मेहनत करती है। वह किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेती है। खास बात यह है कि छोटे चुनाव से लेकर बड़े चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा का साथ मिलता है। जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का भी हौसला बुलंद हो जाता है। पार्टी के आलाकमान की कोशिश है कि वे इस जीत को लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रखें। पीएम मोदी के नेतृत्व में पार्टी एक बार फिर चुनाव लडऩे जा रही है। नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही भाजपा मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का किला भेदने में सफल हो पाई है। भाजपा की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में भी वह इसे बरकरार रखें।

मप्र में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ भाजपा के सीएम और डिप्टी सीएम की बैठक में भाजपा मुख्यमंत्रियों ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर अपनी अपनी रिपोर्ट दी। राज्यों में संगठन के स्तर पर लोकसभा चुनाव को लेकर क्या तैयारी हैं, ये बताया गया। राज्य सरकारों ने जो बेहतरीन कदम उठाए हैं, उसको मुख्यमंत्रियों ने बताया। मप्र के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय नेतृत्व को आश्वस्त किया है कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा का सूपड़ा पूरी तरह साफ हो जाएगा। मुख्यमंत्रियों ने बताया कि पीएम मोदी के 400 पार के नारे को पूरा करने को लेकर वो तैयार हैं और उसको अपने-अपने राज्यों में पूरा करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि भाजपा के अधिवेशन में फिर से तीसरी बार वापसी को लेकर प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास बोल रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह वोटरों तक पहुंच रहे हैं। भाजपा के माइक्रो मैनेजमेंट की बहुत चर्चा होती है। वह यही है जो प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं को हर बूथ पर 370 नए वोट जोडऩे के लक्ष्य के रूप में दिया है। कैसे जोडऩा है यह भी बताया गया है। कहा गया है कि पहली बार मतदाता सूची में जुड़े एक भी वोटर अछूते न रहें। हर लाभार्थी तक पहुंचे। नतीजा क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है क्योंकि बड़ी संख्या में सीटों पर जीत हार का अंतर 25 हजार से एक लाख के बीच ही होता है। दूसरी तरफ का फर्क देखिए। देश में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने राजीव गांधी के समय 414 का आंकड़ा छुआ था। तब देश में कुल वोटर की संख्या 38 करोड़ थी और वोट डालने वाले लगभग 24 करोड़ थे। कांग्रेस ने कुल वोटिंग का लगभग 50 फीसदी हासिल किया था। बड़ी हैरानी की बात है कि तब से लेकर अब तक कांग्रेस चाहे सत्ता में रही हो या विपक्ष में उसके वोटरों की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही है।
राष्ट्रीय अधिवेशन में मतदाताओं को जोडऩे का लक्ष्य तय किया गया। मोदी ने मंडल प्रभारियों को हर एक पन्ना प्रमुख से 30 दिन में कम से कम एक बार मिलने को कहा है। मोदी चाहते हैं कि भाजपा हर वोटर तक व्यक्तिगत तौर पर पहुंचे। इसके लिए सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं को हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने को कहा गया है। देश में 10 लाख 35 हजार बूथ हैं, यानी एक लोकसभा क्षेत्र में करीब 1900 बूथ। अगर हर बूथ पर 370 वोट जोड़े गए, तो एक लोकसभा क्षेत्र में 7 लाख वोट जोडऩे होंगे और पूरे देश में 38 करोड़ वोटर जोडऩे होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यकर्ताओं को हर लाभार्थी तक पहुंचकर प्रधानसेवक का प्रमाण पहुंचाने को कहा। लाभार्थी के साथ मिलने पर कार्यकर्ताओं को नमो एप के सहारे लाभार्थी को मोदी की चि_ी भी देने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने पिछले 10 साल के काम और पांच साल के प्लान के साथ हर मतदाता तक पहुंचने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि मतदाताओं संपर्र्क के समय पंथ, परंपरा को दरकिनार रखना होगा। किसी कारण यदि कोई मतदाता अभी तक भाजपा के साथ नहीं जुड़ नहीं पाया है, तो उन्हें भी इस बार साथ में जोडऩे के लिए काम करना होगा। प्रदेश में राष्ट्रीय अधिवेशन के संकल्पों का क्रियान्वयन कैसे करना है इसका निर्णय प्रदेश कार्यसमिति में होना है।

हर बूथ पर 51 प्रतिशत वोट का टारगेट
भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि 2004 के संप्रग काल में कांग्रेस को साढ़े दस करोड़ वोट मिले थे तो 2009 में 11.91 और 2019 में 11.94 करोड़। जबकि कुल वोटरों की संख्या में लगभग तीनगुनी वृद्धि हो चुकी है। 2024 के चुनाव में वोटरों की संख्या लगभग 98 करोड़ होगी। भाजपा 1984 के लगभग दो करोड़ वोटरों के मुकाबले 1019 में 23 करोड़ पर पहुंच चुकी है और अब इसे कम से कम दोगुना करने की तैयारी है। आपने काम और पीएम मोदी के नाम के सहारे भाजपा की नई रणनीति कुल वोटरों का पचास फीसदी हिस्सा लेने की है। अगर यह संभव हुआ तो एक ऐसा इतिहास बनेगा किसी भी लोकतंत्र के लिए उदाहरण होगा। अगर मप्र की बात करें तो लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा हर बूथ पर 51 प्रतिशत वोट शेयर के टारगेट की रणनीति पर काम कर रही है। पिछले तीन विधानसभा और लोकसभा चुनावों के रिजल्ट का एनालिसिस कर पार्टी ने यह पॉलिसी बनाई है। पार्टी ने जिला टोली और मंडल टोली भी बनाई है। यहां प्रवासी कार्यकर्ताओं को तैनात किया जाएगा, जो क्षेत्र में जाकर संपर्क करेंगे। संगठन के कामों में सुधार कराएंगे। इससे पहले, 2023 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी ने यही रणनीति अपनाई थी। इसमें भी हर बूथ पर 51 प्रतिशत वोट हासिल करने का टारगेट तय किया था। इसमें पार्टी को 48.55 प्रतिशत वोट मप्र में मिले। दूसरे राज्यों या जिलों के भाजपा कार्यकर्ता चुनाव के समय अन्य राज्य या जिलों में जाते हैं। इन्हें पार्टी किसी बूथ या अन्य क्षेत्र की जिम्मेदारी देती है। इसे प्रवासी कार्यकर्ता कहते हैं। प्रवासी कार्यकर्ता अपने गांव, नगर के धार्मिक स्थलों के दर्शन करेंगे। स्वच्छता अभियान, पर्यावरण संरक्षण और अमृत सरोवर पर साफ-सफाई भी करेंगे। स्थानीय वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी और नेता के स्मारक पर श्रृद्धांजलि देने भी पहुंचेंगे। प्रवासी कार्यकर्ता द्वारा अलग-अलग लोगों से चर्चा करते वक्त अलग-अलग विषयों की तैयारी करेंगे। कार्यक्रम पूरा होने के बाद भी 15 दिनों तक गांव में जाएंगे। प्रवासी कार्यकर्ता द्वारा प्रवास के दौरान लाभार्थी संपर्क और अन्य गतिविधियों की फोटो, वीडियो सोशल मीडिया, दो फोटो सरल और संगठन ऐप पर अपलोड करेंगे। प्रवास पूरा करते समय अंतिम कार्यक्रम में प्रभावी व्यक्तियों की सामूहिक बैठक करना उचित रहेगा। सरल एप में समाज से जुड़े दो फोटो अपलोड करने हैं। अपने प्रदेश के वॉट्सएप ग्रुप में वीडियो अपलोड करेंगे।
चुनाव को देखते हुए भाजपा दूसरे राज्य, जिले और क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को अलग-अलग स्तर पर जिम्मेदारी दे रही है। प्रदेश चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी से लेकर बूथ स्तर तक प्रवासी कार्यकर्ता तैनात किए जा रहे हैं। जिला स्तर से लेकर बूथ स्तर तक की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। जिलों में जिला योजना बैठकें कराई गई हैं। इनमें मंडल की टोली के साथ को-ऑर्डिनेशन के साथ काम करने के साथ ही जिला टोली को सपोर्ट करने के लिए कहा गया है। मंडल समिति से समन्वय के साथ प्रवासी कार्यकर्ताओं की सूची बनाई जा रही है। हर गांव और नगरीय बूथ में एक संयोजक और प्रवासी कार्यकर्ता की बूथ के अनुसार मैपिंग करना। मंडल स्तर पर वर्कशॉप का आयोजन कराना, जिसमें करीब 100 प्रतिभागी शामिल होंगे। मंडल टोली को मंडल कार्यशालाओं का आयोजन करना होगा। जिला टोली के साथ समन्वय के साथ काम करते हुए प्रवासी कार्यकर्ता और संयोजक की नियुक्ति करना होगा। प्रवासी कार्यकर्ता को प्रचार-प्रसार की सामग्री मुहैया कराना होगा। प्रवासी कार्यकर्ता को बूथ समिति का विवरण, बूथ पर पिछले तीन चुनावों (2018-2019 और 2023) के प्रदर्शन का विश्लेषण कर केंद्र और राज्य सरकार के लाभार्थियों की सूची उपलब्ध कराना होगा। अभियान के बाद प्रवासी कार्यकर्ताओं के साथ मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन करना होगा। प्रवासी कार्यकर्ताओं को संगठनात्मक नजरिए से भी टॉस्क दिए गए हैं। इसके तहत, प्रवासी कार्यकर्ताओं को पंचायत, नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों, जनसंघ काल और भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता पार्टी में शामिल हुए नए लोगों से मिलेंगे। युवा संपर्क के तहत स्कूलों में जाकर शिक्षकों, छात्रों, प्रतिभावान विद्यार्थियों, खिलाडिय़ों और छात्र नेताओं से मिलना होगा। महिला संपर्क के तहत स्व-सहायता समूह, स्थानीय सरकारी कर्मचारियों जैसे आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से भेंट करना होगा। व्यावसायिक संपर्क के तहत किसानों के समूह, व्यवसायी वर्ग से भेंट करना है। सामाजिक व लाभार्थी संपर्क के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के सदस्यों और योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क करना है। भाजपा ने प्रवासी कार्यकर्ताओं को जो टॉस्क दिए हैं, उनमें प्रभावी मतदाताओं से संपर्क करने को कहा गया है। इसके तहत प्रवासी कार्यकर्ता आवंटित क्षेत्र के विभिन्न विधाओं में पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों, स्थानीय सरकार कर्मचारी- पटवारी, ग्राम रोजगार सहायक, पंचायत सचिव, पोस्टमैन, गैर सरकारी संगठन के अध्यक्ष, शहीद सैनिक परिवार, नक्सली और राजनीतिक हिंसा से पीडि़त परिवारों से संपर्क करेंगे। दूसरे दलों के प्रमुख व्यक्तियों से भी मिलेंगे।

परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण चुनावी मुद्दा
देश में अबकी बार 400 पार के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय अधिवेशन में रोड मैप तैयार कर लिया है। अब प्रदेश इकाईयों को उस रोडमैप पर काम करना है। ऐसे में मप्र में मिशन 29 के लिए रणनीति बनाने भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक जल्द होने वाली है। इस बैठक में राष्ट्रीय अधिवेशन के रोडमैप पर चर्चा होगी और उसके क्रियान्वयन का कार्यक्रम बनाया जाएगा। इस बार के चुनाव में पार्टी कांग्रेस के परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण को चुनावी मुद्दा बनाकर मैदान में उतरेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जो चुनावी मंत्री दिया है उसे साकार करने की रणनीति बनाने के लिए मप्र भाजपा संगठन जल्द ही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक करने जा रहा है। गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव को देश का भाग्य बदल देने वाला समय बताया है। फिर से वापसी का हुंकार भरते हुए उन्होंने चुनावी प्रचार का रोडमैप भी बताया और कार्यकर्ताओं को मोदी सरकार के 10 साल के काम और अगले पांच साल के प्लान के साथ हर लाभार्थी और मतदाता तक पहुंचने की अपील की। तीसरी बार भाजपा सरकार को जरूरी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं से अगले 100 दिनों तक पूरे जोश और उत्साह के साथ जुटने का आह्वान किया।
पार्टी ने तय किया है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दस सालों के कार्यकाल में हुए विकास, आमजन से जुड़ी योजनाओं, राम मंदिर को लेकर जनता के बीच जाएगी। इसके साथ ही कांग्रेस के परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण को भी इन चुनावों में मुद्दा बनाएगी। राष्ट्रीय अधिवेशन के एक पखवाड़े के भीतर राज्यों से प्रदेश कार्यसमिति करने को कहा गया है। माना जा रहा है कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति इस महीने के अंत या फिर मार्च के पहले हफ्ते में होगी। इसके बाद मोदी का संदेश जिलों में भेजा जाएगा। राष्ट्रीय अधिवेशन में हुए चार सत्रों के माध्यम से कार्यकर्ताओं का साफ संदेश दिया गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की आशा है और विपक्ष हताशा में है। विपक्ष के काम में कमियां निकालेगा, हमें विकास की अपनी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाना है, इसके लिए पार्टी ने अपने गांव चलो अभियान को और ज्यादा गति देने को कहा। राम मंदिर मुद्दे को भी जनता के बीच प्रभावी तरीके से रखने के लिए अधिवेशन में नेताओं ने आव्हान किया। अधिवेशन के बाद हुई प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक में तय किया गया कि अगले एक पखवाड़े के भीतर राज्यों में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी, इसके बाद जिला और मंडलस्तर तक की कार्यसमिति की बैठकें होगी और राष्ट्रीय अधिवेशन में लिए गए निर्णयों के बारे में हर कार्यकर्ता को चताया जाएगा। जल्द की प्रदेश को अगले तीन महीने का चुनाबी रोडमैप भी मिल जाएगा। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने मेगा प्लान बनाया है। जिसके तहत भाजपा लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव के फॉर्मूेले पर प्रचार करेगी। इसके तहत लोकसभा के लिए बनाए क्लस्टर्स की बैठकें शुरु हो गई हैं। जिसमें शामिल होने के लिए भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मध्य प्रदेश आएंगे। जानकारी के अनुसार, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जैसे दिग्गज नेता मध्य प्रदेश आएंगे। हर एक क्लस्टर बैठक में एक बड़ा नेता शामिल होगा। ग्वालियर क्लस्टर की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल हुए हैं।

जीत के लिए प्लान बी भी
मिशन 400 के लिए भाजपा कई स्तरों पर काम कर रही है। क्योंकि राज्य दर राज्य, चुनाव दर चुनाव सफलता का परचम लहराती आ रही भाजपा की अग्नि परीक्षा लोकसभा चुनाव में होगी। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 साल के कामकाज, कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही राम मंदिर निर्माण, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच लेकर जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी के तमाम बड़े नेता इन सभी विषयों पर लगातार मुखर होकर बोल रहे हैं। भाजपा इन सभी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही है और पूरे प्रचार अभियान के दौरान भी यह मुद्दे छाए रहने वाले हैं। लेकिन चुनावी जंग जीतने के लिए भाजपा ने प्लान बी भी बनाया है। इसके तहत पार्टी का सबसे ज्यादा जोर है बूथ मैनेजमेंट पर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय अधिवेशन में हर बूथ पर मतदाताओं को जोडऩे पर सबसे अधिक जोर दिया और कार्यकर्ताओं को अगले सौ दिन के लिए टास्क भी सौंप दिया। पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा का कार्यकर्ता पूरे सालदेश की सेवा के लिए कुछ न कुछ करता ही रहता है लेकिन अगले सौ दिन नई ऊर्जा, नए उमंग, नए उत्साह, नए विश्वास और नए जोश के साथ काम करने का है। एक-एक मतदाता तक पहुंचना है। पीएम के संबोधन में भी संदेश साफ था- बूथ मैनेजमेंट का, बूथ जीतने की रणनीति का। पीएम मोदी की ओर से दिए गए लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा अब तैयारी में भी जुट गई है। भाजपा ने सभी प्रदेश इकाइयों में जिम्मेदारी तय करने के साथ ही यह भी संदेश दे दिया है कि सभी मंडल प्रभारी 30 दिन में कम से कम एक बार हर एक पन्ना प्रमुख से मिलें। पीएम मोदी ने हर एक मतदाता तक पहुंचने का जो टास्क सौंपा है, उसके लिए भी पार्टी ने रणनीति तैयार कर ली है। हर नेता और कार्यकर्ता से हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने को कहा गया है। अब आंकड़ों की बात करें तो देशभर में कुल मिलाकर 10 लाख 35 हजार और एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन 1900 बूथ हैं। अब इस हिसाब से देखें तो भाजपा का लक्ष्य एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन सात लाख और कुल मिलाकर करीब 38 लाख मतदाताओं को जोडऩे का है। पीएम ने सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों से मिलकर उन्हें नमो ऐप के जरिए मोदी की चि_ी देने, पिछले पांच साल की उपलब्धियां बताने का भी आह्वान किया है। इसके जरिए पीएम मोदी और भाजपा की रणनीति मतदाताओं से इमोशनल कनेक्ट स्थापित करने की है। पीएम मोदी का कार्यकर्ताओं को संदेश देना कि हर लाभार्थी तक पहुंचकर यह कहना कि प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी ने उनको प्रणाम कहा है, इसी रणनीति की तरफ संकेत करता है। पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को यह नसीहत भी दी है कि मतदाताओं से संपर्क के समय पंथ और परंपरा को दरकिनार कर मिलें। अगर कोई मतदाता किसी कारण से अब तक भाजपा से नहीं जुड़ पाया है तो उसे जोडऩे के लिए भी काम करना होगा। पार्टी का फोकस फस्र्ट टाइम वोटर्स पर भी है। यही वजह है कि पीएम ने यह हिदायत भी दी है कि एक भी फस्र्ट टाइम वोटर ऐसा न हो जिस तक आप ना पहुंचें।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अंचलवार रणनीति बनाई थी। विशेषकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को घेरने के लिए पार्टी ने अपने ऐसे नेताओं को जिम्मेदारी दी थी, जो चुनावी प्रबंधन में माहिर थे। इसी तरह आरक्षित सीटों के लिए भी अलग से रणनीति बनाई गई थी। परिणाम यह रहा कि कांग्रेस बदलाव की बात करती रही और मतदाताओं ने भाजपा को दो तिहाई बहुमत देकर एक बार फिर से सूबे को सत्ता सौंप दी। भाजपा लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव की तरह अपना प्रदर्शन दोहराना चाहती है, इसलिए प्रदेश संगठन ने मिशन 29 अपने हाथों में लिया है। यानी कि सूबे की सभी 29 सीटों को जीतकर लोकसभा में मध्यप्रदेश से कांग्रेस मुक्त कराया जा सके। जानकारों की मानें तो भाजपा अगले लोकसभा चुनाव के लिए कई आरक्षित सीटों पर इस बार नये चेहरे उतार सकती है। इनमें भिंड, देवास और उज्जैन में भाजपा नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। इसी तरह छिंदवाड़ा, बालाघाट में भी किसी नए नेता को संसदीय चुनाव लड़वाया जा सकता है। इसी तरह सीधी, सतना, जबलपुर, मुरैना, ग्वालियर, सागर में भी लोकसभा चुनाव के लिए किसी नए नेता को मैदान में उतारा जा सकता है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव हारे थे। केवल कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में अपने पुत्र नुकुल नाथ को जिताकर कांग्रेस की लुटिया पूरी तरह से डूबने से बचाई थी। इस बार भाजपा छिंदवाड़ा संसदीय सीट को भी कांग्रेस से छीनना चाहती है, साथ ही वह विधानसभा चुनाव में केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की हार को भी ध्यान में रखकर आदिवासी और अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों के लिए रणनीति बनाएंगी।

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