निर्वाचन के बाद भी पंचायतों के पास नहीं रहेगा बैठक करने का अधिकार

निर्वाचन

-उलझे रहेंगे जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष के पद

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
 प्रदेश में हो रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर रोक के बाद होने वाले चुनावों का कोई औचित्य नहीं रहने वाला है इसकी वजह है पदों की संख्या के हिसाब से कोरम का पूरा न हो पाना। कोरम पूरा न हो पाने की वजह से न तो बैठकों का आयोजन हो पाएगा और न ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा।
इसकी वजह से इन चुनावों पर भी अब सवाल खड़ा होने लगे हैं। दरअसल ओबीसी वर्ग के जिला और जनपद पंचायत के तय पदों में से ओबीसी वर्ग के सदस्यों के पद रिक्त रहने की वजह से जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्षों का और उपाध्यक्षों का निर्वाचन भी नहीं हो पाएगा। इसी तरह से कई पंचायतों मेंं चुनाव नहीं हो सकेगा। अगर इस मामले में भोपाल जिले की बात की जाए तो फंदा के 5 जनपदों, 19 पंचायतों और 323 पंचों का और बैरसिया में 7 जनपद और 25 सरपंचों के पदों का चुनाव अल चुका है। अगर पूरे जिले की बात की जाए तो अकेले पंच की 3056 में से 859 सीटें ओबीसी वर्ग की हैं। इन आठ सौ से अधिक सीटों पर अब चुनाव सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्थगित हो गया है।
अब जिले में महज 187 पंचायतों में चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है। अब अगर जिले के फंदा जनपद की बात की जाए तो इसमें कुल 20 वार्ड हैं, जिनमें से पांच वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित थे। अब इन पांचो वार्ड में चुनाव स्थिगित किए जा चुके हैं। इसकी वजह से अब महज 15 वार्ड में हीे चुनाव हो रहे हैं , जिसकी वजह से अब यहां पर जनपद अध्यक्ष का चुनाव ही नहीं हो सकेगा। इसी तरह से दूसरे जनपद बैरसियों में जनपद सदस्य के लिए 25 वार्ड हैं। इनमें से सात वार्ड पिडड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इन पर चुनाव रोक दिया गया है। इसकी वजह से यहां पर भी अध्यक्ष का निर्वाचन नहीं सकेगा। इसी तरह से इस जनपद के उन 25 पंचायतों के सरपंच का चुनाव भी स्थगित कर दिया गया है, जो ओबीसी के लिए आरक्षित थे।
नए सिरे से अधिसूचित करने के लिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मप्र राज्य निर्वाचन आयोग को कहा था कि ओबीसी आरक्षण के आधार पर पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं। ओबीसी सीटों को नए सिरे से अधिसूचित किया जाए। जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने पाया कि ओबीसी आरक्षण का नोटिफिकेशन सर्वोच्च अदालत के पूर्व में दिए गए विकास किशनराव गवली वर्सेस महाराष्ट्र राज्य के फैसले के खिलाफ था। कोर्ट ने यह भी कहा है कि कानून के खिलाफ जाकर कोई भी काम किया गया तो चुनाव रद्द किया जा सकता है।
इन पंचायतों का करना होगा सरपंच का इंतजार
ओबीसी आरक्षण पर रोक की वजह से अब फंदा के तहत आने वालीं चंदेरी, पुरा छिंदवाड़ा ,प्रेमपुरा, रसूलिया पठार, बरखेड़ा सालम, फंदा कलां, शइस्ता खेड़ी , कोडि?ा, बोरदा, चौपड़ा कलां ,परवलिया सडक, अरवलिया, कुराना बकानिया और सरवर पंचायत में चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं।  

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