पंचायत विभाग ने विकास मदों के अरबों रुपयों पर मारी कुंडली

  • न तो खर्च किए और न ही सरकार को लौटाए

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार का पंचायत विभाग अरबों रुपयों के बजट पर कुंडली मारे बैठा रहा , जिससे न तो वह राशि विकास के कामों पर खर्च की गई है और न ही वित्त वर्ष की समाप्ती पर उस राशि को सरकार को ही लौटाया गया है। यह खुलासा हुआ है हाल ही में विधानसभा में पेश की गई कैग की रिपोर्ट में। अहम बात यह है कि विभाग ने उन योजनाओं में भी गंभीर लापरवाही दिखाई है, जो न केवल केंद्र की प्राथमिकता वाली योजनांए हैं, बल्कि राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में भी शामिल हैं। इसमें वह योजना भी शामिल है, जिस  प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना को लेकर प्रदेश सरकार देश में सबसे अच्छा काम होने का दावा कर खुद की पीठ थपथपाती है। रिपोर्ट में इसकी सच्चाई भी बताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2023 तक पीएम ग्रामीण आवास योजना का 171.43 करोड़ रुपए खर्च नहीं किया गया है, वहीं पंच परमेश्वर योजना, ग्रामीण आजीविका मिशन, मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना सहित स्वच्छ भारत मिशन का करीब 896 करोड़ रुपए बैंक में पड़ा है। पंचायत विभाग ने इसे न तो सरकार को लौटाया है और न ही खर्च किया है। पंचायत राज संचालनालय ने राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान के नाम पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की भोपाल शाखा में एक खाता क्रमांक 3245631964 खोला था। वित्त विभाग की कार्योत्तर स्वीकृति के बाद यह खाता इस शर्त पर खोला गया कि द्वितीय अनुपूरक में बजट का प्रावधान कर इस योजना को बजटीय प्रक्रिया के माध्यम से संचालित किया जाएगा। इसके तहत सभी जिला पंचायत एवं जनपद सीईओ को 29 जून 2020 तक उक्त खाते में राशि जमा करने के निर्देश दिए गए। जिससे बैंक खाते में 456.12 करोड़ रुपए जमा हो गए। साथ ही अन्य बैंक खातों में पड़ी राशि 440.78 करोड़ भी इस खाते में अंतरित कर दी गई। इससे बैंक एकाउंट में 896.68 करोड़ रुपए जमा हो गया। 31 मार्च 2023 को बैंक स्टेटमेंट में 896.68 करोड़ रुपए दिखाया गया, जबकि पंचायत संचालनालय के अभिलेखों में राशि 896.20 करोड़ जमा होना बताई गई। यानी 22 लाख रुपए का अंतर इसमें ही पाया गया।
इन योजनाओं का पैसा भी नहीं किया खर्च
रिपोर्ट में बताया गया हे कि विभाग ने एनआईसी रिफंड का 83 लाख, पेसा अधिनियम का 15 लाख, सांसद आदर्श ग्राम योजना का 23 लाख, प्रदर्शन अनुदान का 20 लाख, 12वीं वित्त आयोग का 58 लाख, मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना का 23 लाख रुपए शामिल है। इस तरह विभिन्न योजनाओं में पैसा होने के बाद भी पंचायत राज संचालनालय द्वारा खर्च नहीं किया गया। यहां तक अगस्त 2023 तक उक्त राशि वित्त विभाग को नहीं लौटाई गई थी। जिसे चलते इसमें भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की आशंका बनी हुई है।

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