ओवरलोड भारी वाहनों ने जर्जर कर दी सड़के

ओवरलोड भारी वाहनों
  • पीडब्ल्यूडी पर क्षतिग्रस्त हुई 1334 किमी सड़कों के निर्माण का भार बढ़ा

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
    मप्र में करीब 47 जिलों की 1334 किमी सड़कें खनिज परिवहन करने वाले ओवरलोड भारी वाहनों के कारण जर्जर हो गई हैं। इन सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं, इस कारण इन पर वाहन चलाना खतरे से खाली नहीं है। उधर, खस्ताहाल स्थिति से गुजर रहे लोक निर्माण विभाग के पास इतना फंड नहीं है कि वे इनको सुधार सके। पीडब्ल्यूडी के पास पहले से ही 5,000 करोड़ रूपए की सड़कों के निर्माण का भार है। अब 1334 किमी सड़कों के सुधार के लिए कम से कम 2700 करोड़ रूपए की आवश्यकता है। इससे विभाग के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
    गौरतलब है की प्रदेश में इन दिनों सड़कों के हाल अच्छे नहीं हैं। अतिवर्षा के कारण सड़कें प्रभावित हुई हैं तो खदान क्षेत्रों में खनिज परिवहन की वजह से भी सड़कों के हाल बेहाल हैं। लोक निर्माण विभाग ने ऐसी 1334 किमी सड़कें चिह्नित की हैं, जो वाहनों के अत्यधिक दबाव की वजह से क्षतिग्रस्त हैं। इनकी वजह से ग्रामीणों को आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है और आए दिन दुघर्टनाएं भी होती हैं। इन सड़कों को नए सिरे से बनाने को लेकर सरकार में मंथन किया जा रहा है। प्रारंभिक आंकलन के मुताबिक प्राथमिकता वाले लगभग 200 किमी लंबे मार्ग निर्माण के लिए पहले चरण में चार सौ करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
    ग्रामीण सड़कों पर भारी वाहनों की रेलमपेल
    लोक निर्माण विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में प्रतिबंध के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर भारी वाहनों की रेलमपेल हो रही है। प्रदेश में 47 जिलों में 124 मार्ग ऐसे हैं, जिन पर खनिज परिवहन बड़ी मात्रा में होता है।  खदान या भंडारण स्थल मुख्य मार्ग से दूर होने के कारण वाहन ग्रामीण मार्ग से होते हुए मुख्य मार्ग तक पहुंचते हैं। अत्यधिक भार की वजह से आंतरिक मार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। ग्रामीण कई बार इसको लेकर विरोध भी जता चुके हैं पर राजस्व का बड़ा जरिया होने की वजह से सरकार खदान बंद भी नहीं कर सकती है। इससे आर्थिक गतिविधियां भी जुड़ी हैं। वैसे भी कोरोना काल में निर्माण गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, जिससे रोजगार से लेकर राजस्व की बड़ी हानि हो चुकी है।
    सड़कों के बीओटी और एन्युटी पर जोर
    पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में रेत खनन क्षेत्र में सड़क निर्माण को लेकर उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई थी। इसमें सात मीटर चौड़ी सीमेंट कांक्रीट की सड़क बीओटी और एन्युटी के विकल्प पर विचार किया गया। अधिकारियों का मानना है कि आंतरिक मार्ग होने की वजह से बीओटी माडल पर ठेकेदार शायद ही इच्छुक हों इसलिए एन्युटी माडल बेहतर होगा। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकता वाले मार्ग 625 किमी के हैं। इसके लिए 1225 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। पहले चरण में 400 करोड़ रुपए की लागत से 200 किमी सड़क का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए 60 फीसदी राशि की व्यवस्था राज्य खनिज निधि से की जाएगी। शेष 60 फीसदी राशि का भुगतान एजेंसी को किस्तों में किया जाएगा। प्रति वाहन न्यूनतम 500 रुपए संधारण शुल्क लिया जाएगा। जल्द ही कार्ययोजना तैयार करके प्रस्ताव को अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट के समक्ष जल्द प्रस्तुत किया जाएगा।
    इन जिलों में सड़कें ज्यादा क्षतिग्रस्त
    परिक्षेत्र जिले-कुल लंबाई (किमी में)
    जबलपुर जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, डिंडौरी, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला- 342
    ग्वालियर ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, श्योपुर- 124
    भोपाल सीहोर, राजगढ़, रायसेन, नर्मदापुरम (होशंगाबाद), हरदा, बैतूल, विदिशा- 246
    उज्जैन उज्जैन, शाजापुर, नीमच- 172
    सागर सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह- 107
    इंदौर इंदौर, धार, झाबुआ, आलीराजपुर, खंडवा, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर- 96
    रीवा रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया- 24

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