प्रदेश के दो अंचलों में पानी के लिए हाहाकार

  • उधर, ओलों ने किसानों की बढ़ाई चिंता

विनोद उपाध्याय
प्रदेश में गर्मी के दस्तक देते ही पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू हो गया है। नदियों का जलस्तर कम हो गया, हैंडपंपों की सांसें उखडऩे लगीं, नल-जल योजनाएं आधी- अधूरी पड़ी हैं। पानी की टंकी है, पर पाइप लाइन नहीं बिछी है, कुओं में पानी तली पर पहुंच गया है। प्यास बुझाने के लिए लोगों को पानी खरीदना पड़ रहा है। गड्ढों का दूषित पानी पीकर ग्रामीण संक्रामक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उधर, असमय गिरने वाले ओलों बारिश की बूदों ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अहम बात यह है जहां पर पानी संकट गहराया है, वहीं मौसम की मार के रुप में ओले गिर रहे हैं। सिंगरौली जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर स्थित आदिवासी बाहुल्य गांव गोभा के बघबनवा टोला में 20 घरों के आदिवासी परिवार गड्ढे का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। पार्वती सिंह गोंड़ ने बताया कि हम लोग गड्ढे से पानी लाते हैं, जिसका पानी रुका हुआ होने के कारण बहुत गंदा और दुर्गंध मारता है। जिसे पीने से तरह- तरह की बीमारियां होती हैं, लेकिन कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। सरकार द्वारा चलाई जा रही नल-जल योजना केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। इस मामले में सिंगरौली कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा कि जल्द ही जल जीवन मिशन के तहत गोभा निवासियों को मीठा पानी उपलब्ध करवाया जाएगा।
उमरिया जिले के बैगा बाहुल्य गांव अतरिया में गर्मी की शुरुआत में ही जल संकट की समस्या होने लगी है। फूलकली बैगा ने बताया कि गांव में पेयजल के लिए सरकारी नल-जल योजना साल भर से अधूरी पड़ी हुई है। गांव में तकरीबन चार सौ परिवार निवास करते हैं। ये परिवार सिर्फ एक ही हैंडपंप के पानी पर आश्रित हैं। जब हैंडपंप बिगड़ जाता है तो मजबूरी में दूर दराज के नदी और नालों से पानी लाकर गुजारा करना पड़ता है। दूषित पानी के उपयोग से संक्रमित बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। इस मामले में उमरिया सीईओ अभय सिंह ओहरिया का कहना है कि शीघ्र ही ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाएगा।
दमोह के तेजगढ़ खुर्द ग्राम पंचायत के अंतर्गत ग्राम बहेरा में ग्रामीण पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं। यहां पानी की टंकी, पाइप लाइन तो है, परंतु इससे पानी नहीं मिल रहा है। गांव में लगे हैंडपंप में भी पानी की कमी है। जिससे ग्रामीण अब कुओं की तरफ रुख करने लगे हैं। जुगराज, हल्ले और गोविंद ने बताया कि पानी की टंकी बनवाई गई है, लेकिन वह सिर्फ शोपीस बन कर रह गई है। ग्रामीणों को कुएं से ही पानी लाना पड़ रहा है। सीधी जिले के ग्राम हनुमानगढ़ के करही टोला बस्ती में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। ग्रामीण सुनीता यादव, कौशिल्या गोंड, रागिनी गोंड ने बताया कि यहां कहने को तो दो हैंडपंप हैं, लेकिन उसमें से एक खराब पड़ा है। एक हैंडपंप से पानी नहीं निकलता है। हम लोग दो किलोमीटर दूर सोन नदी में नहाने जाते हैं तो वहीं से पीने का पानी भी ले आते हैं। हमारे यहां नल-जल योजना भी है, लेकिन दो दिन पानी आता है तो करीब 15-20 दिन नल बंद रहता है।
कटनी जिले के रीठी जनपद पंचायत मुख्यालय के रहवासी टैंकरों से खरीद कर पानी पीने मजबूर हैं। यहां नल-जल योजना भी ठप है। ग्रामीण रमेश, शिवा, सुनीता गुप्ता, अर्चना तिवारी, कल्पना शर्मा ने बताया कि उन्हें पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। टैंकरों से पानी खरीदकर प्यास बुझा रहे हैं। जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसके चलते रहवासियों को पानी के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कई जिलों में ओलों की बारिश
इस बीच प्रदेश के कई जिलों में ओलों की बारिश हो रहा है। आले गिरने का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। जिन जिलों में ओले गिर रहे हैं, उनमें उमरिया, शहडोल, मैहर समेत कई जिले शामिल हैंं। इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। दरअसल, प्रदेश में दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन और एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव है। इसके असर से प्रदेश में ओलावृष्टि, बारिश, गरज-चमक और आंधी चल रही है। कई जिलों में बारिश के साथ ओले गिरे जिससे किसानों की फसलों का काफी नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन के लिए अलर्ट जारी किया है। 22 और 23 मार्च को भी ऐसा मौसम बना रहेगा।  मौसम विभाग के मुताबिक मौजूदा सिस्टम का असर 23 मार्च तक रहेगा। 24 मार्च से एक और वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हो सकता है। इसका असर भी प्रदेश में देखने को मिलेगा।
उमरिया में फसलों को भारी नुकसान
उमरिया जिले के घुलघुली क्षेत्र के ग्राम पंचायत जरहा के घोरमारा में शुक्रवार शाम करीब 5 बजे मौसम ने अचानक करवट ली। तेज आंधी, तूफान और बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। इस प्राकृतिक आपदा से गेहूं, चना, मटर और सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। फसल कटाई के अंतिम चरण में थी, ऐसे में यह आपदा किसानों के लिए और भी ज्यादा चिंताजनक हो गई है। खेतों में खड़ी गेहूं की फसल तेज हवाओं के कारण गिर रही है। किसान अरुण तिवारी के अनुसार उनकी मेहनत से तैयार की गई फसल अब खतरे में है। जिले में रुक-रुक कर हो रही बारिश से जहां गर्मी से राहत मिली है, वहीं फसलों के लिए यह नुकसानदायक साबित हो रही है। किसान डॉक्टर बाल्मिक गौतम ने कहा कि खेतों में अभी गेहूं, चने और सरसों की फसल पककर तैयार है। इसे काटने की तैयारी कर रहे थे, इस ओलावृष्टि से इन फसलों को काफी नुकसान हो सकता है। शहडोल जिले में तो तडक़े ठंडी हवाएं चलने लगीं। सुबह से ही घने बादल छाए रहे। दोपहर में तेज गर्जना के साथ बारिश हुई साथ ही ओलावृष्टि हुई है। छोटे-छोटे ओलों से खेतों में फसलों को नुकसान भी पहुंचा है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। मैहर में हो रही बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। शुक्रवार दोपहर जिले के कई इलाकों में तेज बारिश के साथ ओले गिरने से किसानों की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने गेहूं, चना और सरसों जैसी दलहन फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

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