उम्र पर भी खरी नहीं उतर रही हमारी पुलिस

पुलिस
  • अधिक वजह ने के साथ शुगर व ब्लड प्रेशर के बन रहे मरीज

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अपराधियों के पीछे प्रदेश की पुलिस आखिर कैसे दौड़ लगाए, यह सवाल बना हुआ है। इसकी वजह है सूबे के अधिकांश पुलिसकर्मी अपनी उम्र पर भी खरा नहीं उतर पा रहे हैं, ऐसे में उन्हें कई तरह की बीमारियों ने अलग से घेर रखा है। दअरसल यह खुलासा हुआ है पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए मार्च से हुई आत्म संवर्धन एवं क्षमता विकास परेड के निष्कर्षों से। इस परेड के तहत अब तक 10 बैच पूरे हो चुके हैं।  इसके तहत आठ सैकड़ा पुलिस कर्मियों  व पुलिस अफसरों को  स्वास्थ्य लाभ मिला है। दरअसल इसके आधार पर किए गए आंकलन से चौकाने वाली जानकारी समाने आयी है।
उसके मुताबिक 75 फीसदी पुलिसकर्मी उम्र से अधिक पाए गए है यानि की उनकी उम्र वास्तविक उम्र से अधिक पायी गई है। इसी तरह से 43 फीसदी पुलिस कर्मी शरीर के हिसाब से अधिक वजन के भी मिले हैं। इसी तरह से 21 फीसदी पुलिसकर्मियों में शुगर की मात्रा अधिक पायी गई है , जबकि 9 फीसदी का कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ पाया गया है। यही नहीं 33 फीसदी पुलिसकर्मियों का ब्लड प्रेशर (बीपी) भी अधिक पाया गया है। इनमें कई का तो हाई रिस्क के आसपास भी मिला है। अगर महिला पुलिस की बात की जाए तो उनमें से 30 फीसदी महिला पुलिसकर्मियों में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम पायी गई है। दरअसल भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम के तहत पुलिस की नई परेड आत्म संवर्धन एवं क्षमता विकास का आयोजन किया जा रहा है। इसकी अवधारणा को तीन दिनों में विभाजित किया गया है। इसके तहत पहले दिन स्क्रीनिंग की जाती है जिसके तहत  पुलिसकर्मियों के पैथोलॉजिकल, फिजिकल एवं मनोवैज्ञानिक टेस्ट किए जाते हैं। दूसरे दिन फिजिकल वेलनेस डे के तहत पैथोलॉजिकल एवं फिजिकल टेस्ट की रिपोर्ट पुलिसकर्मियों को बताकर उन्हें चिकित्सकों व विशेषज्ञों के माध्यम से आवश्यक परामर्श दिया जाता है। तीसरे दिन इमोशनल वेलनेस डे के माध्यम से पुलिसकर्मियों को मनोवैज्ञानिक परीक्षा के परिणाम तथा मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है।
इसके बाद जरूरी होने पर संबंधित पुलिसकर्मियों की बाद में भी काउंसलिंग कराई जाती है और जरूरत के हिसाब से उनका इलाज भी कराया जाता है। इसके बदलावा उन्हें डाइट चार्ट भी बनाकर दिया जाता  है। इस तरह की परेड का आयोजन सप्ताह में तीन दिन शनिवार, मंगलवार और शुक्रवार को किया जाता है। इसका आयोजन सुबह साढ़े 6 बजे से 11 बजे तक किया जाता है। इसके तहत पहले दिन नेहरू नगर स्थित पुलिस लाइन में टेस्ट होते हैं। दूसरे व तीसरे दिन कार्यशाला पुलिस कमिश्नर कार्यालय में आयोजित की जाती है।
अफसरों से लेकर आरक्षकतक शामिल
इस कार्यशाला का आयोजन रैंकलैस प्रारूप के तहत किया जाता है। जिसमें बिना भेदभाव के आरक्षक से लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यानी एडिशनल डीसीपी स्तर के अधिकारी से लेकर आरक्षक तक को स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है। दरअसल इसके पीछे की मुख्य वजह है समस्त पुलिसकर्मियों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है।
इस तरह की वजहें आयीं सामने
दरअसल पुलिस कर्मियों  की बिगड़ी हुई सेहत की जो वजहें सामने आयी हैं उसके मुताबिक लगातार ड्यूटी पर रहने के कारण शरीर पर ध्यान नहीं दे पाना।  शरीर को नियमित रेस्ट नहीं मिलना , जिसकी वजह से शारीरिक क्षमता कमी का आना। व्यवस्था के चलते स्वभाव में चिड़चिड़ापन का आ जाना। जिम्मेदारी से भरी नौकरी के कारण बीपी का बढ़ना। समय की कमी के चलते व्यायाम का नहीं कर पाना। अनियमित जीवन शैली की वजह से शुगर जैसी बीमारी द्वारा घेर लेना।

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