हमारी बिजली.. दूसरे राज्यों में सस्ती.. तो हमें मिल रही मंहगी

बिजली

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। नए वित्त वर्ष के शुरू होते ही सूबे के बिजली उपभोक्ताओं को बिलों के माध्यम से झटका देने की तैयारी बिजली कंपनियों द्वारा लगभग कर ली गई है। इसके लिए बिजली कंपनियों द्वारा एक बार फिर नियामक आयोग में बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव दिया जा चुका है, जिस पर फिलहाल दावे-आपत्तियां बुलाए जाने की प्रक्रिया की जा रही है।
यह हाल प्रदेश में तब है जबकि हमारी बिजली दूसरे राज्यों में उपभोक्ताओं को सस्ती मिल रही है और हमारे ही प्रदेश के उपभोक्ताओं को मंहगी। बिजली कंपनियों के प्रस्तावों पर इस माह में ही सुनवाई पूरी हो जाएगी, जिसकी वजह से अप्रैल माह से बिजली की दरें बढ़ना लगभग तय है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बीते साल में तीसरी बार बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी हो रही है। ईमानदार उपभोक्ताओं पर बिजली कंपनियां लगातार भार डालती रहती हंै , जबकि जो उपभोक्ता बिजली बिलों का भुगतान करने की जगह धड़ल्ले से बिजली चोरी करते हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यही नहीं बिजली कंपनियों को कई तरह की गड़बड़ियों के चलते बिजली खरीदी, कोयला खरीदी में नुकसान होता है। इसकी भरपाई बिजली कंपनियां बिजली उपभोक्ताओं से दर वृद्धिकर बिजली बिलों के माध्यम से करता हैं। इसकी वजह से प्रदेश में लगतार बिजली मंहगी होती जाती है। प्रदेश में बीते एक साल के दौरान फ्यूल कास्ट के नाम पर चार बार में बिजली को पहले ही 15 पैसे प्रति यूनिट मंहगा किया जा चुका है। अब बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग से 8.71 प्रतिशत तक बिजली टैरिफ बढ़ाने की मांग की है। अगर इस पर आयोग अपनी मुहर लगा देता है तो हर एक यूनिट पर 28 से लेकर 58 पैसे तक की वृद्वि होना तय है। इसके अलावा उपभेक्ताओंं से बिजली बिल पर 12 फीसदी सर्विस टैक्स भी वसूला जाएगा। मध्य प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों ने अगले माह से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 48 हजार 874 करोड़ रुपए की आवश्यकता बताई है। यही नहीं कंपनी द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुसार बिजली की दरों में इजाफा किया जाना जरूरी बताया गया है। इसके पहले प्रदेश में 17 दिसंबर 2020 को बिजली दरों में 1.98 फीसदी और जून 2021 में दरों में 0.69 फीसदी का इजाफा किया गया था।
बिजली खरीदी अनुबंध पड़ रहे हैं भारी  
खास बात यह है कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां पर मांग से ढाई गुना अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है। अगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो प्रदेश में बिजली की जरुरत करीब 13 हजार मेगावॉट होती है, जबकि सरकार ने करीब बीस हजार मेगावाट से अधिक बिजली खरीदी के अनुबंध कर रखे हैं। इसकी वजह से बिजली न लेने के बाद भी अनुबंध की शर्त के अनुसार हर साल बिजली कंपनियों को 5 से 6 हजार करोड़ रुपए सालाना निजी बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को देना होता है। अफसरों की अदूरदर्शिता की वजह से यह अनुबंध अब उपभोक्ताओं को भारी पड़ रहे हैं। दरअसल अनुबंध करने वाले अफसरों ने निजी बिजली उत्पादकों को फायदा पहुंचाने के लिए इस तरह की शर्तों को शामिल कर लिया था, जिसकी वजह से बगैर बिजली लिए ही उन्हें राशि का भुगतान करना पड़ता है। इस भुगतान की गई राशि की वसूली भी उपभोक्ताओं से की जाती है। इसकी वजह से सूबे में बिजली के अधिक उत्पादन और उपलब्धता के बावजूद भी लोगों को महंगी बिजली मिलती है। इसके अलावा कोयला खरीदी के नाम पर भी गड़बड़ी होती है जिसकी वजह से कोयले की लागत या फिर खपत बढ़ जाती है। इससे होने वाले नुकसान की भरपाई भी कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं से की जाती है। इसी तरह से सप्लाई और बिजली चोरी से होने वाली हानी की भरपाई करने के लिए बिजली की दरों में वृद्वि कर दी जाती है।
अन्य राज्यों में इस तरह की राहत
दिल्ली में घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने 200 यूनिट तक बिजली पूरी तरह मुफ़्त है। 201 से 400  यूनिट वालों के लिए 4.5 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल लिया जाता है। खास बात यह है कि इस तरह के उपभोक्ताओं को भी दिल्ली सरकार द्वारा 800 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। इसी तरह से अगर हरियाणा की बात की जाए तो वहां पर 50 यूनिट तक 2 रुपये प्रति यूनिट, 51 से 100 तक 2.50 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली की दर है, इसमें भी अब 37 पैसे यूनिट की कमी कर दी गई है। इसी तरह से इंडस्ट्री के फिक्स चार्ज को 170 रुपए प्रति किलो वाट से घटाकर 165 रुपये प्रति किलोवाट पहले ही किया जा चुका है। उधर, बिहार में  एक अप्रैल से नई दरें लागू होने पर 0 से 100 यूनिट के बीच अब 6.10 रुपये प्रति यूनिट 101 से 200 यूनिट के लिए मौजूदा 6.85 रुपये प्रति यूनिट की तुलना में 6.95 रुपये प्रति यूनिट ली जाएगी। 201 से 300 यूनिट के लिए मौजूदा 7.70 रुपये प्रति यूनिट की जगह अब 8.05 रुपये प्रति यूनिट की दर से चार्ज लगेगा। इसकी तुलना में मप्र में 50 यूनिट तक 4.13, 51 से 150 यूनिट तक 5.5, 151 से 300 तक का 6.45 और 300 से ज्यादा यूनिट बिजली खपत पर उपभोक्ताओं को 6.65 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बिल का भुगतान करना होता है, जिसमें फिक्स चार्ज अलग से लिया जाता है।

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