- अगले माह से हट जाएगा प्रतिबंध
- गौरव चौहान

प्रदेश में तीन साल से तबादलों पर लगी रोक एक मई से हट सकती है। तबादला नीति अगले मंगलवार यानि 29 अप्रैल को मंत्रिमंडल के समक्ष मंजूरी के लिए आ सकती है। वरिष्ठ सचिवों की समिति इसका ड्राफ्ट तैयार कर इसे अंतिम रूप दे चुकी है।
माना जा रहा है कि एक मई से 30 मई तक के लिए तबादलों से बैन खुल जाएगा। मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार तबादला नीति में स्वयं के व्यय पर तबादला चाहने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। गौरतलब है कि शिवराज सरकार के समय से ही तबादलों पर बैन जारी था। पिछले साल लोकसभा चुनाव के चलते तबादला नीति पर विचार नहीं किया गया था। इसके बाद मंत्रियों की मांग पर 29 जनवरी 2025 को यह प्रावधान किया था कि विशेष परिस्थिति में विभागीय मंत्री प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शासकीय सेवकों के स्थानांतरण कर सकते हैं पर यह तरीका कारगर नहीं रहा। कारण यह कि इसमें कई सारे किंतु-परन्तु जोड़ दिए गये थे। इसमें गंभीर बीमारी, कोर्ट के दिशा निर्देश, लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा किसी शासकीय सेवक के विरूद्ध दर्ज प्रकरण में जांच प्रभावित होने की संभावना जैसे कारण होने पर ही तबादला करने की बात कही गई थी। इसके अलावा निधन, निलंबन, त्यागपत्र के बाद पदपूर्ति के लिए भी तबादले का अधिकार मंत्रियों को दिया गया था।
इस कारण अधिकांश मंत्री इस प्रक्रिया से दूर ही रहे। पिछली कैबिनेट में सीएम ने तबादला नीति जल्द कैबिनेट में आने की बात कही थी। सूत्रों की माने तो उन विभागों में जिनमें कम कर्मचारी होंगे वहां दस प्रतिशत तक तबादले किए जा सकेंगे। वहीं ज्यादा कर्मचारी वाले विभागों में यह सीमा तीन से पांच प्रतिशत तक निर्धारित की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग में सर्वाधिक सवा 2 लाख से अधिक कर्मचारी हैं पर उनकी तबादला नीति भी अलग है। इस विभाग में पोर्टल पर आवेदन बुलाकर आनलाइन तबादले किए जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग भी अब इसी प्रक्रिया को अपनाने जा रहा है। उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में नीति बनाने को कहा है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में 48 हजार से अधिक कर्मचारी हैं। वहीं पुलिस विभाग के ट्रांसफर पीएचक्यू के तबादला बोर्ड की अनुमति के बाद होंगे। जानकारी के अनुसार किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से ज्यादा तबादलों का अधिकार मंत्रियों को नहीं होगा। किसी संवर्ग में दो सौ तक अधिकारी-कर्मचारी हैं तो वहां 20 प्रतिशत तबादले किए जा सकेंगे। 201 से लेकर 2 हजार अधिकारी कर्मचारी होने पर दस फीसदी और इससे अधिक संख्या होने पर पांच फीसदी ही तबादले किए जा सकेंगे। तबादला नीति में यह भी उल्लेख किया जा रहा है कि सीएम मानिट से हुए तबादले वहीं से अनुमति मिलने के बाद ही निरस्त किए जा सकेंगे। तबादला नीति में आदिवासी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन क्षेत्रों में तबादले के बाद कोई पद रिक्त न रहे इसका ध्यान रखा जाएगा। पद की पूर्ति होने पर ही तबादला किया जाएगा।
विधायकों के पत्रों और पसंद को भी दी जाएगी प्राथमिकता
जिलों के भीतर तबादला करने पर प्रभारी मंत्रियों का अनुमोदन जरूरी होगा। अधिकांश विधायक अपनी विधानसभा क्षेत्र में अपनी पसंद के कर्मचारी चाहते है। उनके पत्रों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। जिलों में भी स्वयं के व्यय पर तबादला चाहने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी पर इसके लिए पद रिक्त होना जरूरी होगा।