भोपाल/गौरव चौहान//बिच्छू डॉट कॉम। दो माह का समय होने को है , लेकिन अब तक फसल आने के बाद राज्य सरकार ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीद प्रारंभ नहीं कर सकी है। इसकी वजह से सूबे के 90 फीसदी किसान कम दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हो गए हैं, जिसकी वजह से किसानों को फसल बेचने में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
हालात यह हैं कि प्रदेश में अभी मंूग की खरीदी के लिए किसानों के पंजीयन का काम चल रहा है। यह हाल प्रदेश में तब है जबकि प्रदेश सरकार किसान हितैषी होने का दावा करते हुए नहीं थकती है। अगर सरकार का रवैया यही रहा तो किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी यह सवाल खड़ा होता है। दरअसल सरकार निकाय व पंचायत चुनाव में ऐसी उलझी की उसके द्वारा मूंग खरीदी पर ध्यान ही नहीं दिया गया। इसकी वजह से पंजीयन का काम बेहद देरी से शुरू किया गया जिसकी वजह से अभी पंजीयन हो रहा है, जो 28 जुलाई तक चलेगा। इसके बाद किसानों के दावों की पड़ताल की जाएगी, जिसके बाद ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की तिथि घोषित की जाएगी। माना जा रहा है कि इस वजह से खरीदी में अभी कम से कम एक पखवाड़ा और लगना तय है। इस वजह से इस बार मंूग की खरीदी में दो माह की देरी हो चुकी है। दरअसल प्रदेश में अधिकांश किसानों की फसल जून के प्रथम सप्ताह तक ही कट कर घर आ चुकी थी, लेकिन सरकार का किसानों पर घ्यान ही नहीं था। पैसो की जरुरत और नई फसल की बोवनी के लिए पैसों की जरूरत के चलते अधिकांश किसान अपनी फसल को खुले बाजार में बेचने को मजबूर हो गए। इसका फायदा व्यापारियों ने भी जमकर उठाया। व्यापारियों ने किसानों की मजबूरी के चलते उनसे 4500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर खरीदी की है। जो फसल के हिसाब से कम दाम होते हैं। दरअसल सरकारी खरीदी के दाम 7225 रुपए प्रति क्विंटल का तय है। अब जिन किसानों के पास फसल रखी हुई है वे भी चिंतित हैं। इसकी वजह है बारिश का लगातार जारी रहना। ऐसे में घर से मूंग निकालकर खरीद केंद्र तक ले जाना बेहद मुश्किल बना हुआ है।
यही नहीं लगातार बारिश होने की वजह से फसल में नमी आने का खतरा अलग से बना हुआ है। नमी 5 फीसदी तक होने पर सरकारी केंद्र फसल खरीदने से मना कर देंगे। अब किसान संगठनों का आरोप है की सरकार की मंशा इस बार मूंग खरीदने की थी ही नहीं। अगर गंभीर होती तो आचार संहिता के बाद भी रास्ता निकाला जा सकता था। यह बात अलग है की विभाग इसे देरी नहीं मान रहा है। विभाग का कदावा है की मूंग की खरीदी के लिए किए जाने वाले स काम समय पर किए जा रहे हैं। इसमें कोई देरी नहीं हुई है।
व्यापारी कमाएंगे 60 फीसदी तक मुनाफा
किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्काजी का कहना है की मप्र में 90 फीसदी किसानों ने तो व्यापारियों को ही फसल बेच दी। नर्मदापुरम के अधिकांश ग्रीष्मकालीन मूंग उत्पादक गांव में मूंग बची ही नहीं। अब सरकारी खरीद का लाभ केवल व्यापारी उठाएंगे। वे किसानों के नाम से सरकार को 60 फीसदी मुनाफे में मूंग बेच देंगे। मध्य प्रदेश सरकार ने आखिरकार मूंग खरीद के पंजीयन की प्रक्रिया 18 जुलाई से शुरू करने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी करने जा रही है। जानकारी के मुताबिक व्यापारियों ने मंडियों में 4200 से 5800 रुपए प्रति क्विंटल किसानों की मूंग खरीदी है। ज्यादातर किसानों का कहना है की व्यापारियों ने अच्छी मूंग भी कम दामों में खरीदी है, सरकार का यह फैसला बहुत देर से आया है।
सवा दो लाख टन मूंग खरीदी का लक्ष्य
मध्य प्रदेश में इस वर्ष केंद्र सरकार ने केवल 2 लाख 25 हजार टन मूंग खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि मूंग का उत्पादन 15 लाख टन से अधिक हुआ है। इसे देखते हुए एमपी सरकार ने पूरी मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदने की केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। यह अनुमति मिल जाने पर राज्य सरकार पर वित्तीय भार नहीं आएगा। लेकिन सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने कोटा से ज्यादा खरीदने से मना कर दिया है। यह अनुमति भी तब मांगी गई है जबकि किसानो की मूंग बाजार में बिक चुकी है।
25/07/2022
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